नई दिल्ली : आगामी केन्द्रीय बजट से पहले, खुदरा विक्रेताओं के निकाय आरएआई ने शुक्रवार को सरकार से राष्ट्रीय खुदरा नीति बनाने एवं उसे लागू करने तथा खुदरा विक्रेताओं को विभिन्न लाभ प्राप्त करने के लिए उसे एमएसएमई के तहत पंजीकरण करने देने की मांग की.
आरएआई का कहना है कि कोरोना वायरस की महामारी के दौरान लगभग पूरी तरह से तबाह होने के बाद इस उद्योग को समर्थन दिये जाने की आवश्यकता है.
भारतीय फुटकर विक्रेता संघ (आरएआई) ने एक बयान में कहा कि लगभग 854 अरब डॉलर का भारतीय खुदरा उद्योग क्षेत्र महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुआ जिसका भरपूर असर इसके नीचे तक की पूरी मूल्य श्रृंखला पर सभी अंशधारकों को दिखा. इसमें सुधार के लिए गैर-परंपरागत समाधान और सरकारी समर्थन की आवश्यकता होगी.
इसने कहा कि मौजूदा समय में, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और लाखों नौकरियों को बचाने के लिए खुदरा क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए सभी प्रयासों को किये जाने की आवश्यकता है. आरएआई ने कहा कि बजट 2021-22 इसमें प्रमुख भूमिका निभाएगा. उसने कहा कि खपत अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाती है, और खुदरा क्षेत्र खपत का प्रवेश द्वार है.
आरएआई ने कहा, "खुदरा व्यापार तेज गति से सुधर रहा है और इस गति को बनाए रखने की जरूरत है. अगले बजट में विकासोन्मुखी नीतियों और उन उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए."
वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है.
बजट उम्मीदों के बारे में, आरएआई के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा कि महामारी के दौरान खुदरा उद्योग लगभग टूट गया था. अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ धीरे-धीरे यह क्षेत्र वापस अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है.
उन्होंने कहा, "इस रेंगने वाले उद्योग को अपने पैरों पर वापस लाने के लिए और दौड़ना शुरू करने के लिए, हमारा मानना है कि बजट में दो मुख्य चीजों पर ध्यान दिया जाना चाहिए जो खुदरा विक्रेताओं के लिए 'कारोबार करने की आसानी' (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) पैदा करेगी, विभिन्न प्रक्रियात्मक बाधाओं से आजादी मिलेगी और विकास के लिए आवश्यक धन तक पहुंच कायम होगी."
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आरएआई ने कहा कि विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों (जीएसटी) की सिफारिशों के अलावा, उसने सरकार को 'खुदरा क्षेत्र को बढ़ावा देने और व्यापार करने में आसानी की सुविधा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय खुदरा नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में तेजी लाने' पर विचार करने का सुझाव दिया है.
इसने केंद्र से "खुदरा विक्रेताओं को एमएसएमई के तहत पंजीकरण करने की अनुमति देने का भी आग्रह किया, ताकि खुदरा विक्रेता भी एमएसएमई के लिए उपलब्ध सभी लाभों के हकदार हो सकें", जबकि राज्यों को मॉडल शॉप और स्थापना अधिनियम को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा.