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अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के राज्यों के अध्यादेशों को राष्ट्रपति ने किया निरस्त: बीएमएस

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Published : Jul 23, 2020, 10:22 PM IST

श्रम भारत के संविधान में एक समवर्ती विषय है और राज्य अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कानून को बदल सकते हैं या नया कानून बना सकते हैं, लेकिन इसे राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होती है.

अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के राज्यों के अध्यादेशों को राष्ट्रपति ने किया निरस्त: बीएमएस
अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के राज्यों के अध्यादेशों को राष्ट्रपति ने किया निरस्त: बीएमएस

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात द्वारा प्रस्तावित अध्यादेशों को खारिज कर दिया है.

श्रम भारत के संविधान में एक समवर्ती विषय है और राज्य अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कानून को बदल सकते हैं या नया कानून बना सकते हैं, लेकिन इसे राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होती है.

कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देश भर में लागू लॉकडाउन के दौरान, इन तीन राज्यों ने श्रम कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव मंजूरी के लिये केंद्र सरकार के पास भेजा था.

बीएमएस के जोनल सचिव पवन कुमार ने पीटीआई-भाषा कहा, "उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश ने अपने राज्यों में अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के लिये अध्यादेश के रूप में प्रस्ताव लाया था. भारत के राष्ट्रपति ने उन प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है. हम केंद्र सरकार के इस फैसले की सराहना करते हैं."

ये भी पढ़ें: कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता, अतिरिक्त नोटों की छपाई की भी लागत है: राजन

श्रम मंत्रालय ने हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की. इस बीच, बीएमएस ने बृहस्पतिवार को अपना 66 वां स्थापना दिवस मनाया.

कुमार ने यह भी कहा कि बीएमएस 24 जुलाई से 30 जुलाई तक अपने सरकार जगाओ सप्ताह की योजना के साथ आगे बढ़ेगा.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात द्वारा प्रस्तावित अध्यादेशों को खारिज कर दिया है.

श्रम भारत के संविधान में एक समवर्ती विषय है और राज्य अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कानून को बदल सकते हैं या नया कानून बना सकते हैं, लेकिन इसे राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होती है.

कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये देश भर में लागू लॉकडाउन के दौरान, इन तीन राज्यों ने श्रम कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव मंजूरी के लिये केंद्र सरकार के पास भेजा था.

बीएमएस के जोनल सचिव पवन कुमार ने पीटीआई-भाषा कहा, "उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश ने अपने राज्यों में अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के लिये अध्यादेश के रूप में प्रस्ताव लाया था. भारत के राष्ट्रपति ने उन प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है. हम केंद्र सरकार के इस फैसले की सराहना करते हैं."

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श्रम मंत्रालय ने हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की. इस बीच, बीएमएस ने बृहस्पतिवार को अपना 66 वां स्थापना दिवस मनाया.

कुमार ने यह भी कहा कि बीएमएस 24 जुलाई से 30 जुलाई तक अपने सरकार जगाओ सप्ताह की योजना के साथ आगे बढ़ेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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