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निजी क्षेत्र की कंपनियों को सहायता के लिए प्रभु ने सरकारी स्तर पर करार की वकालत की

प्रभु ने कहा कि सार्वजनिक नीतियां कई बार कंपनियों के लिए चुनौतियां पैदा करती हैं. "लेकिन यदि हम सरकार से सरकार का करार करते हैं तो हम स्पष्ट रूप से निश्चिंत, स्थिर और आगे की दृष्टि वाली नीतियों को आगे बढ़ा सकते हैं."

निजी क्षेत्र की कंपनियों को सहायता के लिए प्रभु ने सरकारी स्तर पर करार की वकालत की
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Published : May 7, 2019, 8:13 PM IST

नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने भारत और अमेरिका के बीच सरकारी स्तर पर करार की वकालत की है. प्रभु ने कहा कि इससे दोनों देशों की निजी क्षेत्र की कंपनियों की सहायता हो सकेगी.

प्रभु ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा, "क्या हम सरकारी स्तर पर कोई समझौता कर सकते हैं जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों को समर्थन दिया जा सके." इस कार्यक्रम में अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस की अगुवाई में अमेरिकी व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ.

ये भी पढ़ें- नई सरकार बीएसएनएल, एमटीएनएल के पुनरुत्थान की योजना लाएगी: सूत्र

प्रभु ने कहा कि सार्वजनिक नीतियां कई बार कंपनियों के लिए चुनौतियां पैदा करती हैं. "लेकिन यदि हम सरकार से सरकार का करार करते हैं तो हम स्पष्ट रूप से निश्चिंत, स्थिर और आगे की दृष्टि वाली नीतियों को आगे बढ़ा सकते हैं."

उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका में कंपनियों के समक्ष जो मुद्दे आ रहे हैं उनका हल इस तरीके से हो सकेगा जिससे दोनों देशों को फायदा हो. प्रभु का यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि भारतीय कंपनियां अमेरिका में अंकुश वाली वीजा व्यवस्था का मुद्दा उठा रही हैं, जबकि अमेरिकी कंपनियां भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार और ई-कॉमर्स नियमों का मुद्दा उठा रही हैं.

प्रभु ने कहा कि अगले सात आठ साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 5,000 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगी जबकि 2035 तक यह 10,000 अरब डॉलर की होगी.

नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने भारत और अमेरिका के बीच सरकारी स्तर पर करार की वकालत की है. प्रभु ने कहा कि इससे दोनों देशों की निजी क्षेत्र की कंपनियों की सहायता हो सकेगी.

प्रभु ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा, "क्या हम सरकारी स्तर पर कोई समझौता कर सकते हैं जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों को समर्थन दिया जा सके." इस कार्यक्रम में अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस की अगुवाई में अमेरिकी व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ.

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प्रभु ने कहा कि सार्वजनिक नीतियां कई बार कंपनियों के लिए चुनौतियां पैदा करती हैं. "लेकिन यदि हम सरकार से सरकार का करार करते हैं तो हम स्पष्ट रूप से निश्चिंत, स्थिर और आगे की दृष्टि वाली नीतियों को आगे बढ़ा सकते हैं."

उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका में कंपनियों के समक्ष जो मुद्दे आ रहे हैं उनका हल इस तरीके से हो सकेगा जिससे दोनों देशों को फायदा हो. प्रभु का यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि भारतीय कंपनियां अमेरिका में अंकुश वाली वीजा व्यवस्था का मुद्दा उठा रही हैं, जबकि अमेरिकी कंपनियां भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार और ई-कॉमर्स नियमों का मुद्दा उठा रही हैं.

प्रभु ने कहा कि अगले सात आठ साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 5,000 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगी जबकि 2035 तक यह 10,000 अरब डॉलर की होगी.

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निजी क्षेत्र की कंपनियों को सहायता के लिए प्रभु ने सरकारी स्तर पर करार की वकालत की

नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने भारत और अमेरिका के बीच सरकारी स्तर पर करार की वकालत की है. प्रभु ने कहा कि इससे दोनों देशों की निजी क्षेत्र की कंपनियों की सहायता हो सकेगी. 

प्रभु ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा, "क्या हम सरकारी स्तर पर कोई समझौता कर सकते हैं जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों को समर्थन दिया जा सके." इस कार्यक्रम में अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस की अगुवाई में अमेरिकी व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ. 

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प्रभु ने कहा कि सार्वजनिक नीतियां कई बार कंपनियों के लिए चुनौतियां पैदा करती हैं. "लेकिन यदि हम सरकार से सरकार का करार करते हैं तो हम स्पष्ट रूप से निश्चिंत, स्थिर और आगे की दृष्टि वाली नीतियों को आगे बढ़ा सकते हैं." 

उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका में कंपनियों के समक्ष जो मुद्दे आ रहे हैं उनका हल इस तरीके से हो सकेगा जिससे दोनों देशों को फायदा हो. प्रभु का यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि भारतीय कंपनियां अमेरिका में अंकुश वाली वीजा व्यवस्था का मुद्दा उठा रही हैं, जबकि अमेरिकी कंपनियां भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार और ई-कॉमर्स नियमों का मुद्दा उठा रही हैं. प्रभु ने कहा कि अगले सात आठ साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 5,000 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगी जबकि 2035 तक यह 10,000 अरब डॉलर की होगी.


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