नई दिल्ली: भारत के कोविड-19 को नियंत्रित करने का भरसक प्रयासों के बीच भविष्य की आर्थिक गतिविधियों को लेकर अभी अनिश्चितता है. एक अध्ययन के मुताबिक भविष्य में यह गतिविधियां लॉकडाउन की अवधि, वैश्विक मंदी और उपभोक्ताओं के व्यवहार में आए बदलाव से ही तय होंगी.
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट (डीएंडबी) के ताजा आर्थिक अनुमान में कहा गया है कि उपभोक्ता के व्यवहार या रुख में बदलाव से यह तय होगा कि इस महामारी को काबू पाने के बाद कौन से क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ेंगे.
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा, "अभी देश वित्तीय और मौद्रिक प्रोत्साहन दे रहे हैं. अभी यह पता नहीं है कि आर्थिक गतिविधियों में नुकसान की कितनी भरपाई हो पाती है. आय असमानता को किस हद तक दूर किया जा सकता है. उत्पादन को किस स्तर तक फिर पाया जा सकता है. इन सभी बातों से यह तय होगा कि संकट के बाद कौन सी अर्थव्यवस्थाएं अधिक मजबूत होकर उभरेंगी."
कोरोना वायरस की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिन के राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा की थी. बाद में इसे बढ़ाकर तीन मई तक कर दिया गया. डन एंड ब्रैडस्ट्रीट ने कहा कि राष्ट्रव्यापी बंद की वजह से औद्योगिक क्षेत्र की सभी गैर-आवश्यक गतिविधियां ठप हैं. आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित हुई है.
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ट्रकों की आवाजाही सामान्य से 10 प्रतिशत से भी कम रह गई है. सिंह ने कहा कि बंद की वजह से विनिर्माण इकाइयां बंद हैं. लाखों प्रवासी और अस्थायी श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं. इसके अलावा कमजोर वैश्विक मांग से दुनिया भर में जिंस बाजार टूट गए हैं.
(पीटीआई-भाषा)