ETV Bharat / business

न्यूनतम आय गारंटी योजना अर्थव्यवस्था के लिये बड़ी राजकोषीय चुनौती उत्पन्न करेगी: पनगढ़िया

पनगढ़िया ने कहा कि इस कार्यक्रम को लेकर राजकोषीय चुनौती भी जुड़ी है. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि अगर 12,000 रुपये प्रति महीने सर्वाधिक 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को आय की गारंटी दी जाती है, तब 6,000 प्रति परिवार अपर्याप्त होगा.

author img

By

Published : Mar 28, 2019, 10:37 PM IST

न्यूनतम आय गारंटी योजना अर्थव्यवस्था के लिये बड़ी राजकोषीय चुनौती उत्पन्न करेगी: पनगढ़िया

वाशिंगटन: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की महत्वकांक्षी न्याय योजना के क्रियान्वयन से भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष न केवल राजकोषीय चुनौती उत्पन्न होगी बल्कि इससे गंभीर प्रोत्साहन समस्या भी खड़ी होगी.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को वादा किया है कि यदि उनकी पार्टी लोक सभा चुनावों के बाद सत्ता में आती है तो देश के सर्वाधिक 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को 72,000 रुपये तक सालाना या 6,000 रुपये मासिक दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें-विलय से पहले बैंक ऑफ बड़ौदा में 5,042 करोड़ रुपये डालेगी सरकार

पनगढ़िया ने कहा कि 'न्याय' का क्रियान्वयन और इसका लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा. प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा, "यह योजना तीन बड़े सवाल उठाती है. प्रोत्साहन का मुद्दा, निष्पक्षता का मामला तथा राजकोषीय चुनौती."

योजना पर टिप्पणी करते हुए पनगढ़िया ने कहा कि इस योजना के तहत पांच करोड़ परिवार को प्रति परिवार हर महीने 6,000 रुपये मासिक दिया जाएगा. साथ ही यह इन परिवारों को 12,000 रुपये हर महीने आय की गारंटी देती है. उन्होंने कहा, "क्या होगा कि अगर एक परिवार की आय केवल 4,000 रुपये मासिक है और दूसरे की 8,000 रुपये मासिक? क्या 4,000 वाली आय को 8,000 रुपये तथा दूसरे को 4,000 रुपये मासिक मिलेगा? अगर ऐसा है तो 12,000 रुपये से कम आय वाले कोई क्यों काम करेगा? आखिरकार उसकी आय चाहे जो भी 12,000 रुपये तो होगी ही."

पनगढ़िया ने कहा कि दरअसल योजना के साथ गंभीर प्रोत्साहन समस्या खड़ी होगी. उन्होंने कहा, "अगर योजना के तहत मासिक आधार पर चिन्हित परिवारों को 6,000 रुपये दिया जा जाता है, चाहे उसकी आय कुछ भी क्यों न हो, आप उस परिवार को मासिक आय 12,000 रुपये नहीं उपलब्ध करा सकते अगर उसकी 6,000 रुपये से कम है."

निष्पक्षता मामले का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जो कार्यक्रम की घोषणा की है, उसके तहत गरीब परिवारों को 12,000 रुपये प्रति माह आय की गारंटी की बात कही गयी है. इस आधार पर यह 1,44,000 रुपये सालाना बनती है. पनगढ़िया ने कहा कि अगर सब्सिडी युक्त खाद्यान, मनरेगा दिहाड़ी, मुफ्त मकान, शौचालय, मुफ्त शिक्षा तथा 5,00,000 रुपये स्वास्थ्य बीमा को जोड़ा जाए तो सह सकल राशि 2,00,000 रुपये सालाना बैठेगी.

उन्होंने कहा, "अब अगर कोई योजना के अंतर्गत नहीं है और 3,00,000 सालाना कमाता है तब उसे 2,500 रुपये कर भी देना होगा. सवाल उठता है कि आखिर यह कितना निष्पक्ष होगा."

पनगढ़िया ने कहा कि इस कार्यक्रम को लेकर राजकोषीय चुनौती भी जुड़ी है. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि अगर 12,000 रुपये प्रति महीने सर्वाधिक 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को आय की गारंटी दी जाती है, तब 6,000 प्रति परिवार अपर्याप्त होगा.

पनगढ़िया ने कहा, "थोड़ी देर के लिए अगर समस्या को छोड़ देते हैं. क्या हम 3.60 लाख करोड़ सालाना की राशि अलग रख सकते हैं." यह काफी मुश्किल लगता है. पनगढ़िया ने कहा, "यह 2019-20 के बजट में केंद्र सरकार के कुल व्यय का 13 प्रतिशत है." सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट के अनित मुखर्जी ने भी योजना के क्रियान्वयन को लेकर सवाल करते हुए कहा कि लक्षित परिवार की पहचान तथा राजकोषीय प्रभाव को झेलना दो बड़ी चुनौती होगी.

वाशिंगटन: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की महत्वकांक्षी न्याय योजना के क्रियान्वयन से भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष न केवल राजकोषीय चुनौती उत्पन्न होगी बल्कि इससे गंभीर प्रोत्साहन समस्या भी खड़ी होगी.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को वादा किया है कि यदि उनकी पार्टी लोक सभा चुनावों के बाद सत्ता में आती है तो देश के सर्वाधिक 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को 72,000 रुपये तक सालाना या 6,000 रुपये मासिक दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें-विलय से पहले बैंक ऑफ बड़ौदा में 5,042 करोड़ रुपये डालेगी सरकार

पनगढ़िया ने कहा कि 'न्याय' का क्रियान्वयन और इसका लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा. प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा, "यह योजना तीन बड़े सवाल उठाती है. प्रोत्साहन का मुद्दा, निष्पक्षता का मामला तथा राजकोषीय चुनौती."

योजना पर टिप्पणी करते हुए पनगढ़िया ने कहा कि इस योजना के तहत पांच करोड़ परिवार को प्रति परिवार हर महीने 6,000 रुपये मासिक दिया जाएगा. साथ ही यह इन परिवारों को 12,000 रुपये हर महीने आय की गारंटी देती है. उन्होंने कहा, "क्या होगा कि अगर एक परिवार की आय केवल 4,000 रुपये मासिक है और दूसरे की 8,000 रुपये मासिक? क्या 4,000 वाली आय को 8,000 रुपये तथा दूसरे को 4,000 रुपये मासिक मिलेगा? अगर ऐसा है तो 12,000 रुपये से कम आय वाले कोई क्यों काम करेगा? आखिरकार उसकी आय चाहे जो भी 12,000 रुपये तो होगी ही."

पनगढ़िया ने कहा कि दरअसल योजना के साथ गंभीर प्रोत्साहन समस्या खड़ी होगी. उन्होंने कहा, "अगर योजना के तहत मासिक आधार पर चिन्हित परिवारों को 6,000 रुपये दिया जा जाता है, चाहे उसकी आय कुछ भी क्यों न हो, आप उस परिवार को मासिक आय 12,000 रुपये नहीं उपलब्ध करा सकते अगर उसकी 6,000 रुपये से कम है."

निष्पक्षता मामले का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जो कार्यक्रम की घोषणा की है, उसके तहत गरीब परिवारों को 12,000 रुपये प्रति माह आय की गारंटी की बात कही गयी है. इस आधार पर यह 1,44,000 रुपये सालाना बनती है. पनगढ़िया ने कहा कि अगर सब्सिडी युक्त खाद्यान, मनरेगा दिहाड़ी, मुफ्त मकान, शौचालय, मुफ्त शिक्षा तथा 5,00,000 रुपये स्वास्थ्य बीमा को जोड़ा जाए तो सह सकल राशि 2,00,000 रुपये सालाना बैठेगी.

उन्होंने कहा, "अब अगर कोई योजना के अंतर्गत नहीं है और 3,00,000 सालाना कमाता है तब उसे 2,500 रुपये कर भी देना होगा. सवाल उठता है कि आखिर यह कितना निष्पक्ष होगा."

पनगढ़िया ने कहा कि इस कार्यक्रम को लेकर राजकोषीय चुनौती भी जुड़ी है. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि अगर 12,000 रुपये प्रति महीने सर्वाधिक 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को आय की गारंटी दी जाती है, तब 6,000 प्रति परिवार अपर्याप्त होगा.

पनगढ़िया ने कहा, "थोड़ी देर के लिए अगर समस्या को छोड़ देते हैं. क्या हम 3.60 लाख करोड़ सालाना की राशि अलग रख सकते हैं." यह काफी मुश्किल लगता है. पनगढ़िया ने कहा, "यह 2019-20 के बजट में केंद्र सरकार के कुल व्यय का 13 प्रतिशत है." सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट के अनित मुखर्जी ने भी योजना के क्रियान्वयन को लेकर सवाल करते हुए कहा कि लक्षित परिवार की पहचान तथा राजकोषीय प्रभाव को झेलना दो बड़ी चुनौती होगी.

Intro:Body:

न्यूनतम आय गारंटी योजना अर्थव्यवस्था के लिये बड़ी राजकोषीय चुनौती उत्पन्न करेगी: पनगढ़िया

वाशिंगटन: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की महत्वकांक्षी न्याय योजना के क्रियान्वयन से भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष न केवल राजकोषीय चुनौती उत्पन्न होगी बल्कि इससे गंभीर प्रोत्साहन समस्या भी खड़ी होगी. 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को वादा किया है कि यदि उनकी पार्टी लोक सभा चुनावों के बाद सत्ता में आती है तो देश के सर्वाधिक 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को 72,000 रुपये तक सालाना या 6,000 रुपये मासिक दिया जाएगा. 

ये भी पढ़ें- 

पनगढ़िया ने कहा कि 'न्याय' का क्रियान्वयन और इसका लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा. प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा, "यह योजना तीन बड़े सवाल उठाती है. प्रोत्साहन का मुद्दा, निष्पक्षता का मामला तथा राजकोषीय चुनौती." 

योजना पर टिप्पणी करते हुए पनगढ़िया ने कहा कि इस योजना के तहत पांच करोड़ परिवार को प्रति परिवार हर महीने 6,000 रुपये मासिक दिया जाएगा. साथ ही यह इन परिवारों को 12,000 रुपये हर महीने आय की गारंटी देती है. उन्होंने कहा, "क्या होगा कि अगर एक परिवार की आय केवल 4,000 रुपये मासिक है और दूसरे की 8,000 रुपये मासिक? क्या 4,000 वाली आय को 8,000 रुपये तथा दूसरे को 4,000 रुपये मासिक मिलेगा? अगर ऐसा है तो 12,000 रुपये से कम आय वाले कोई क्यों काम करेगा? आखिरकार उसकी आय चाहे जो भी 12,000 रुपये तो होगी ही." 

पनगढ़िया ने कहा कि दरअसल योजना के साथ गंभीर प्रोत्साहन समस्या खड़ी होगी. उन्होंने कहा, "अगर योजना के तहत मासिक आधार पर चिन्हित परिवारों को 6,000 रुपये दिया जा जाता है, चाहे उसकी आय कुछ भी क्यों न हो, आप उस परिवार को मासिक आय 12,000 रुपये नहीं उपलब्ध करा सकते अगर उसकी 6,000 रुपये से कम है." 

निष्पक्षता मामले का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जो कार्यक्रम की घोषणा की है, उसके तहत गरीब परिवारों को 12,000 रुपये प्रति माह आय की गारंटी की बात कही गयी है. इस आधार पर यह 1,44,000 रुपये सालाना बनती है. पनगढ़िया ने कहा कि अगर सब्सिडी युक्त खाद्यान, मनरेगा दिहाड़ी, मुफ्त मकान, शौचालय, मुफ्त शिक्षा तथा 5,00,000 रुपये स्वास्थ्य बीमा को जोड़ा जाए तो सह सकल राशि 2,00,000 रुपये सालाना बैठेगी. 

उन्होंने कहा, "अब अगर कोई योजना के अंतर्गत नहीं है और 3,00,000 सालाना कमाता है तब उसे 2,500 रुपये कर भी देना होगा. सवाल उठता है कि आखिर यह कितना निष्पक्ष होगा." 

पनगढ़िया ने कहा कि इस कार्यक्रम को लेकर राजकोषीय चुनौती भी जुड़ी है. उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि अगर 12,000 रुपये प्रति महीने सर्वाधिक 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को आय की गारंटी दी जाती है, तब 6,000 प्रति परिवार अपर्याप्त होगा. 

पनगढ़िया ने कहा, "थोड़ी देर के लिए अगर समस्या को छोड़ देते हैं. क्या हम 3.60 लाख करोड़ सालाना की राशि अलग रख सकते हैं." यह काफी मुश्किल लगता है. पनगढ़िया ने कहा, "यह 2019-20 के बजट में केंद्र सरकार के कुल व्यय का 13 प्रतिशत है." सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट के अनित मुखर्जी ने भी योजना के क्रियान्वयन को लेकर सवाल करते हुए कहा कि लक्षित परिवार की पहचान तथा राजकोषीय प्रभाव को झेलना दो बड़ी चुनौती होगी.


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.