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भारतीय सांख्यिकी प्रणाली में सुधार के पक्ष में नीति आयोग

मोदी सरकार के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के बारे में कुमार ने कहा कि किसानों की आय केवल उत्पादन बढ़ाने पर निर्भर नहीं है बल्कि कृषि उत्पादन लागत को भी कम करने की जरूरत है.

भारतीय सांख्यिकी प्रणाली में सुधार के पक्ष में नीति आयोग
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Published : May 27, 2019, 2:41 PM IST

नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारतीय सांख्यिकी प्रणाली में सुधार और उसे आधुनिक रूप देने की वकालत की है ताकि वास्तविक समय का आंकड़ा प्राप्त हो सके तथा उसका उपयोग नीति विश्लेषण में किया जा सके.

कुमार ने कहा कि आयोग देश की सांख्यिकी प्रणाली को आधुनिक रूप देने के लिये विश्वबैंक के साथ संपर्क में हैं.

उन्होंने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा, "एक चीज के बारे में मैं बिल्कुल साफ हूं कि हमारी सांख्यिकी प्रणाली में सुधार, उसे आधुनिक रूप देने तथा दुनिया की सांख्यिकी प्रणाली के समरूप करने की जरूरत है."

ये भी पढ़ें- बजट में बढ़ाया जा सकता है राजकोषीय घाटे का लक्ष्य

हाल में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम समेत कई विशेषज्ञों ने देश के संशोधित आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़े को लेकर संदेह जताया है.

राजन और सुब्रमणियम दोनों ने कहा था कि जीडीपी आंकड़े को लेकर जो मौजूदा संदेह है, उसे दूर करने की जरूरत है. इसके लिये एक तटस्थ निकाय गठित किया जाना चाहिए जो इस पर गौर करे.

कुमार ने कहा, "हाल ही में विश्वबैंक की टीम मुझसे मिली. वे इस बात के लिये उत्सुक थे कि हमारी सांख्यिकी प्रणाली को आधुनिक रूप देने के लिये क्या कदम उठाये जा रहे हैं ताकि हम वास्तविक समय के आंकड़ों पर आधारित सांख्यिकी प्रणाली तथा नीति विश्लेषण की ओर बढ़ सके."

उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) तथा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) में मिलाने का फैसला किया है.

मंत्रालय ने कहा कि सीएसओ तथा एनएसएसओ के एनएसओ में विलय से आधिकारिक सांख्यिकी प्रणाली दुरूस्त और मजबूत बनेगी तथा इससे बेहतर तालमेल हो सकेगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार चालू वित्त वर्ष में रुग्न सार्वजनिक उपक्रमों कर निजीकरण कर पाएगी, कुमार ने कहा, "हां. आप विनिवेश समेत गैर-कर राजस्व जुटाने को लेकर इस वित्त वर्ष में कुछ गंभीर कदम देख सकते हैं."

सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में विनिवेश से 90,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी के नीति आयोग पर गंभीर टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि वह इस बारे में चीजें और स्पष्ट करने के लिये केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर से बात करेंगे.

उन्होंने कहा कि नीति आयोग के कामकाज में सुधार को लेकर कई सुझाव आ रहे हैं और उन्हें लगता है कि उस पर विचार-विमर्श की जरूरत है.

रेड्डी ने हाल में कहा था कि नीति आयोग को व्यापक जिम्मेदारी मिली हुई है और उसका केंद्र-बिन्दु काफी फैला हुआ है तथा राजकोषीय संघवाद के संदर्भ में संगठन को नया रूप देने की जरूरत है.

मोदी सरकार के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के बारे में कुमार ने कहा कि किसानों की आय केवल उत्पादन बढ़ाने पर निर्भर नहीं है बल्कि कृषि उत्पादन लागत को भी कम करने की जरूरत है. साथ ही उन्हें उनकी उपज को कृषि प्रसंस्करण उद्योग के जरिये अधिक मूल्य देने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, "हमें यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसान मत्स्य पालन, फूलों की खेती, कुक्कुट पालन जैसे क्षेत्रों से जुड़े."

नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारतीय सांख्यिकी प्रणाली में सुधार और उसे आधुनिक रूप देने की वकालत की है ताकि वास्तविक समय का आंकड़ा प्राप्त हो सके तथा उसका उपयोग नीति विश्लेषण में किया जा सके.

कुमार ने कहा कि आयोग देश की सांख्यिकी प्रणाली को आधुनिक रूप देने के लिये विश्वबैंक के साथ संपर्क में हैं.

उन्होंने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा, "एक चीज के बारे में मैं बिल्कुल साफ हूं कि हमारी सांख्यिकी प्रणाली में सुधार, उसे आधुनिक रूप देने तथा दुनिया की सांख्यिकी प्रणाली के समरूप करने की जरूरत है."

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हाल में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम समेत कई विशेषज्ञों ने देश के संशोधित आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़े को लेकर संदेह जताया है.

राजन और सुब्रमणियम दोनों ने कहा था कि जीडीपी आंकड़े को लेकर जो मौजूदा संदेह है, उसे दूर करने की जरूरत है. इसके लिये एक तटस्थ निकाय गठित किया जाना चाहिए जो इस पर गौर करे.

कुमार ने कहा, "हाल ही में विश्वबैंक की टीम मुझसे मिली. वे इस बात के लिये उत्सुक थे कि हमारी सांख्यिकी प्रणाली को आधुनिक रूप देने के लिये क्या कदम उठाये जा रहे हैं ताकि हम वास्तविक समय के आंकड़ों पर आधारित सांख्यिकी प्रणाली तथा नीति विश्लेषण की ओर बढ़ सके."

उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) तथा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) में मिलाने का फैसला किया है.

मंत्रालय ने कहा कि सीएसओ तथा एनएसएसओ के एनएसओ में विलय से आधिकारिक सांख्यिकी प्रणाली दुरूस्त और मजबूत बनेगी तथा इससे बेहतर तालमेल हो सकेगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार चालू वित्त वर्ष में रुग्न सार्वजनिक उपक्रमों कर निजीकरण कर पाएगी, कुमार ने कहा, "हां. आप विनिवेश समेत गैर-कर राजस्व जुटाने को लेकर इस वित्त वर्ष में कुछ गंभीर कदम देख सकते हैं."

सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में विनिवेश से 90,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी के नीति आयोग पर गंभीर टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि वह इस बारे में चीजें और स्पष्ट करने के लिये केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर से बात करेंगे.

उन्होंने कहा कि नीति आयोग के कामकाज में सुधार को लेकर कई सुझाव आ रहे हैं और उन्हें लगता है कि उस पर विचार-विमर्श की जरूरत है.

रेड्डी ने हाल में कहा था कि नीति आयोग को व्यापक जिम्मेदारी मिली हुई है और उसका केंद्र-बिन्दु काफी फैला हुआ है तथा राजकोषीय संघवाद के संदर्भ में संगठन को नया रूप देने की जरूरत है.

मोदी सरकार के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के बारे में कुमार ने कहा कि किसानों की आय केवल उत्पादन बढ़ाने पर निर्भर नहीं है बल्कि कृषि उत्पादन लागत को भी कम करने की जरूरत है. साथ ही उन्हें उनकी उपज को कृषि प्रसंस्करण उद्योग के जरिये अधिक मूल्य देने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, "हमें यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसान मत्स्य पालन, फूलों की खेती, कुक्कुट पालन जैसे क्षेत्रों से जुड़े."

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भारतीय सांख्यिकी प्रणाली में सुधार के पक्ष में नीति आयोग

नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारतीय सांख्यिकी प्रणाली में सुधार और उसे आधुनिक रूप देने की वकालत की है ताकि वास्तविक समय का आंकड़ा प्राप्त हो सके तथा उसका उपयोग नीति विश्लेषण में किया जा सके.

कुमार ने कहा कि आयोग देश की सांख्यिकी प्रणाली को आधुनिक रूप देने के लिये विश्वबैंक के साथ संपर्क में हैं.

उन्होंने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा, "एक चीज के बारे में मैं बिल्कुल साफ हूं कि हमारी सांख्यिकी प्रणाली में सुधार, उसे आधुनिक रूप देने तथा दुनिया की सांख्यिकी प्रणाली के समरूप करने की जरूरत है." 

हाल में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम समेत कई विशेषज्ञों ने देश के संशोधित आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़े को लेकर संदेह जताया है.

राजन और सुब्रमणियम दोनों ने कहा था कि जीडीपी आंकड़े को लेकर जो मौजूदा संदेह है, उसे दूर करने की जरूरत है. इसके लिये एक तटस्थ निकाय गठित किया जाना चाहिए जो इस पर गौर करे.

कुमार ने कहा, "हाल ही में विश्वबैंक की टीम मुझसे मिली. वे इस बात के लिये उत्सुक थे कि हमारी सांख्यिकी प्रणाली को आधुनिक रूप देने के लिये क्या कदम उठाये जा रहे हैं ताकि हम वास्तविक समय के आंकड़ों पर आधारित सांख्यिकी प्रणाली तथा नीति विश्लेषण की ओर बढ़ सके."

उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) तथा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) में मिलाने का फैसला किया है.

मंत्रालय ने कहा कि सीएसओ तथा एनएसएसओ के एनएसओ में विलय से आधिकारिक सांख्यिकी प्रणाली दुरूस्त और मजबूत बनेगी तथा इससे बेहतर तालमेल हो सकेगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार चालू वित्त वर्ष में रुग्न सार्वजनिक उपक्रमों कर निजीकरण कर पाएगी, कुमार ने कहा, "हां. आप विनिवेश समेत गैर-कर राजस्व जुटाने को लेकर इस वित्त वर्ष में कुछ गंभीर कदम देख सकते हैं."

सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 में विनिवेश से 90,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी के नीति आयोग पर गंभीर टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि वह इस बारे में चीजें और स्पष्ट करने के लिये केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर से बात करेंगे.

उन्होंने कहा कि नीति आयोग के कामकाज में सुधार को लेकर कई सुझाव आ रहे हैं और उन्हें लगता है कि उस पर विचार-विमर्श की जरूरत है.

रेड्डी ने हाल में कहा था कि नीति आयोग को व्यापक जिम्मेदारी मिली हुई है और उसका केंद्र-बिन्दु काफी फैला हुआ है तथा राजकोषीय संघवाद के संदर्भ में संगठन को नया रूप देने की जरूरत है. 

मोदी सरकार के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के बारे में कुमार ने कहा कि किसानों की आय केवल उत्पादन बढ़ाने पर निर्भर नहीं है बल्कि कृषि उत्पादन लागत को भी कम करने की जरूरत है. साथ ही उन्हें उनकी उपज को कृषि प्रसंस्करण उद्योग के जरिये अधिक मूल्य देने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, "हमें यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसान मत्स्य पालन, फूलों की खेती, कुक्कुट पालन जैसे क्षेत्रों से जुड़े."

 


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