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एमएसएमई में बैंकों के लिये 70 अरब डालर के अतिरिक्त ऋण अवसर मौजूद

उद्योग मंडल एसोचैम और अश्विन पारेख एडवाइजरी सविर्सिज की एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया कि लघु और मध्यम इकाइयों में कुल मिलाकर बैंकों से 70 अरब डालर (5,040 अरब रुपये) का औपचारिक लोन लेने की संभावना मौजूद है.

एमएसएमई क्षेत्र
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Published : Feb 26, 2019, 11:38 PM IST

Updated : Feb 27, 2019, 10:05 PM IST

मुंबई: देश के सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) क्षेत्र में बैंकों के लिये 70 अरब डालर की अतिरिक्त ऋण देने के अवसर उपलब्ध हैं. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
नोटबंदी और माल एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने की वजह से एमएसएमई क्षेत्र काफी सुस्त बना रहा है. नोटबंदी के कुछ समय बाद ही जीएसटी लागू होने से कई लघु इकाइयां बंद होने पर मजबूर हो गई जिससे रोजगार का काफी नुकसान हुआ.

ये भी पढ़ें- आवास पर जीएसटी दरों में कटौती घर खरीददारों के लिए जरूरी : सीआईआई

इस स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक को पिछले माह एमएसएमई क्षेत्र के लिए विशेष व्यवस्था देने को मजबूर होना पड़ा. इसके तहत बैंकों को एमएसएमई के 25 करोड़ रुपये तक के कर्ज के पुनर्गठन की मंजूरी दी गई. यह पुनर्गठन एनसीएलटी के दायरे से बाहर किया जाना है.

उद्योग मंडल एसोचैम और अश्विन पारेख एडवाइजरी सविर्सिज की एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है, "लघु और मध्यम इकाइयों में कुल मिलाकर बैंकों से 70 अरब डालर (5,040 अरब रुपये) का औपचारिक लोन लेने की संभावना मौजूद है." देश की जीडीपी में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका है. निर्यात, औद्योगिक उत्पादन और रोजगार सृजन में इनका अहम योगदान है.

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(भाषा)

मुंबई: देश के सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) क्षेत्र में बैंकों के लिये 70 अरब डालर की अतिरिक्त ऋण देने के अवसर उपलब्ध हैं. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
नोटबंदी और माल एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने की वजह से एमएसएमई क्षेत्र काफी सुस्त बना रहा है. नोटबंदी के कुछ समय बाद ही जीएसटी लागू होने से कई लघु इकाइयां बंद होने पर मजबूर हो गई जिससे रोजगार का काफी नुकसान हुआ.

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इस स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक को पिछले माह एमएसएमई क्षेत्र के लिए विशेष व्यवस्था देने को मजबूर होना पड़ा. इसके तहत बैंकों को एमएसएमई के 25 करोड़ रुपये तक के कर्ज के पुनर्गठन की मंजूरी दी गई. यह पुनर्गठन एनसीएलटी के दायरे से बाहर किया जाना है.

उद्योग मंडल एसोचैम और अश्विन पारेख एडवाइजरी सविर्सिज की एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है, "लघु और मध्यम इकाइयों में कुल मिलाकर बैंकों से 70 अरब डालर (5,040 अरब रुपये) का औपचारिक लोन लेने की संभावना मौजूद है." देश की जीडीपी में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका है. निर्यात, औद्योगिक उत्पादन और रोजगार सृजन में इनका अहम योगदान है.

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(भाषा)

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Last Updated : Feb 27, 2019, 10:05 PM IST
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