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निजी क्षेत्र के दम पर आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाना चाहती है मोदी सरकार: नीति आयोग

भारतीय महावाणिज्य दूतावास में यहां बुधवार को 'भारत निवेश संगोष्ठी' को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि भारत अगले पांच साल के दौरान 'एक बड़े बदलाव के मुहाने' पर खड़ा है.

निजी क्षेत्र के दम पर आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाना चाहती है मोदी सरकार: नीति आयोग
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Published : Jul 18, 2019, 7:25 PM IST

न्यूयॉर्क: नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में निजी क्षेत्र और निजी उपक्रमों की अगुवाई में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने यह बात कही.

भारतीय महावाणिज्य दूतावास में यहां बुधवार को 'भारत निवेश संगोष्ठी' को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि भारत अगले पांच साल के दौरान 'एक बड़े बदलाव के मुहाने' पर खड़ा है.

उन्होंने कहा कि सरकार इस बात को जानती है कि 2011 से निजी निवेश काफी सुस्त हुआ है और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल ठीक से काम नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पीपीपी उद्यम अब गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में बदल चुके हैं. निजी क्षेत्र के लिए काफी जोखिम है. परियोजनाओं से संबंधित जोखिम है, भूमि अधिग्रहण काफी महंगा हो चुका है और निवेश से जीडीपी अनुपात कम हुआ है.

ये भी पढ़ें: एअर इंडिया बिक्री पर मंत्री समूह की अगुवाई करेंगे अमित शाह

कुमार ने कहा, "मोदी सरकार की मंशा और ध्यान पूरी तरह स्पष्ट है कि निजी क्षेत्र के उपक्रम को भी जगह मिलनी चाहिए. उसे प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए जिससे वह अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका निभा सके. सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि वह खुद देश में वृद्धि का प्रमुख 'इंजन' बने और यह संभव भी नहीं है."

उन्होंने कहा कि दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार तेज वृद्धि पर ध्यान दे रही है. सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि पर। भारत ने आठ प्रतिशत की वृद्धि भी हासिल की है. यह निजी क्षेत्र और निजी उपक्रमों की अगुवाई में हासिल हुई है.

कुमार ने कहा, "अगले पांच साल के दौरान भारत एक बड़े बदलाव की दिशा में होगा. यदि यह सफल होता है, जैसा कि यह सरकार चाहती है, तो आपको एक दशक से अधिक तक ऊंची वृद्धि देखने को मिलेगी. यह वृद्धि समावेशी और सतत होगी."

कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि कुछ सुधारों मसलन नोटबंदी आदि से अर्थव्यवस्था को अधिक व्यवस्थित किया जा सका है. यह पहले से अधिक व्यवस्थित है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को अधिक जगह देने की जरूरत है.

यही वजह है कि इसी महीने पेश बजट में विनिवेश, संपत्ति मौद्रिकरण के लिए ऊंचा लक्ष्य रखा गया है और रेलवे में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया गया है. कुमार ने कहा कि नीति आयोग का विचार है कि देश में अभी और साहसी सुधारों के लिए जगह है.

जल्द ही बीमा क्षेत्र को अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए खोल दिया जाएगा. नागर विमानन और मीडिया जैसे क्षेत्रो में भी अधिक विदेशी निवेश की अनुमति देने की चर्चा चल रही है.

न्यूयॉर्क: नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में निजी क्षेत्र और निजी उपक्रमों की अगुवाई में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने यह बात कही.

भारतीय महावाणिज्य दूतावास में यहां बुधवार को 'भारत निवेश संगोष्ठी' को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि भारत अगले पांच साल के दौरान 'एक बड़े बदलाव के मुहाने' पर खड़ा है.

उन्होंने कहा कि सरकार इस बात को जानती है कि 2011 से निजी निवेश काफी सुस्त हुआ है और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल ठीक से काम नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पीपीपी उद्यम अब गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में बदल चुके हैं. निजी क्षेत्र के लिए काफी जोखिम है. परियोजनाओं से संबंधित जोखिम है, भूमि अधिग्रहण काफी महंगा हो चुका है और निवेश से जीडीपी अनुपात कम हुआ है.

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कुमार ने कहा, "मोदी सरकार की मंशा और ध्यान पूरी तरह स्पष्ट है कि निजी क्षेत्र के उपक्रम को भी जगह मिलनी चाहिए. उसे प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए जिससे वह अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका निभा सके. सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि वह खुद देश में वृद्धि का प्रमुख 'इंजन' बने और यह संभव भी नहीं है."

उन्होंने कहा कि दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार तेज वृद्धि पर ध्यान दे रही है. सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि पर। भारत ने आठ प्रतिशत की वृद्धि भी हासिल की है. यह निजी क्षेत्र और निजी उपक्रमों की अगुवाई में हासिल हुई है.

कुमार ने कहा, "अगले पांच साल के दौरान भारत एक बड़े बदलाव की दिशा में होगा. यदि यह सफल होता है, जैसा कि यह सरकार चाहती है, तो आपको एक दशक से अधिक तक ऊंची वृद्धि देखने को मिलेगी. यह वृद्धि समावेशी और सतत होगी."

कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि कुछ सुधारों मसलन नोटबंदी आदि से अर्थव्यवस्था को अधिक व्यवस्थित किया जा सका है. यह पहले से अधिक व्यवस्थित है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को अधिक जगह देने की जरूरत है.

यही वजह है कि इसी महीने पेश बजट में विनिवेश, संपत्ति मौद्रिकरण के लिए ऊंचा लक्ष्य रखा गया है और रेलवे में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया गया है. कुमार ने कहा कि नीति आयोग का विचार है कि देश में अभी और साहसी सुधारों के लिए जगह है.

जल्द ही बीमा क्षेत्र को अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए खोल दिया जाएगा. नागर विमानन और मीडिया जैसे क्षेत्रो में भी अधिक विदेशी निवेश की अनुमति देने की चर्चा चल रही है.

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न्यूयॉर्क: नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में निजी क्षेत्र और निजी उपक्रमों की अगुवाई में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने यह बात कही.

भारतीय महावाणिज्य दूतावास में यहां बुधवार को 'भारत निवेश संगोष्ठी' को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि भारत अगले पांच साल के दौरान 'एक बड़े बदलाव के मुहाने' पर खड़ा है.

उन्होंने कहा कि सरकार इस बात को जानती है कि 2011 से निजी निवेश काफी सुस्त हुआ है और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल ठीक से काम नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पीपीपी उद्यम अब गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में बदल चुके हैं. निजी क्षेत्र के लिए काफी जोखिम है. परियोजनाओं से संबंधित जोखिम है, भूमि अधिग्रहण काफी महंगा हो चुका है और निवेश से जीडीपी अनुपात कम हुआ है.

कुमार ने कहा, "मोदी सरकार की मंशा और ध्यान पूरी तरह स्पष्ट है कि निजी क्षेत्र के उपक्रम को भी जगह मिलनी चाहिए. उसे प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए जिससे वह अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका निभा सके. सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि वह खुद देश में वृद्धि का प्रमुख 'इंजन' बने और यह संभव भी नहीं है."

उन्होंने कहा कि दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार तेज वृद्धि पर ध्यान दे रही है. सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि पर। भारत ने आठ प्रतिशत की वृद्धि भी हासिल की है. यह निजी क्षेत्र और निजी उपक्रमों की अगुवाई में हासिल हुई है.

कुमार ने कहा, "अगले पांच साल के दौरान भारत एक बड़े बदलाव की दिशा में होगा. यदि यह सफल होता है, जैसा कि यह सरकार चाहती है, तो आपको एक दशक से अधिक तक ऊंची वृद्धि देखने को मिलेगी. यह वृद्धि समावेशी और सतत होगी."

कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि कुछ सुधारों मसलन नोटबंदी आदि से अर्थव्यवस्था को अधिक व्यवस्थित किया जा सका है. यह पहले से अधिक व्यवस्थित है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को अधिक जगह देने की जरूरत है.

यही वजह है कि इसी महीने पेश बजट में विनिवेश, संपत्ति मौद्रिकरण के लिए ऊंचा लक्ष्य रखा गया है और रेलवे में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया गया है. कुमार ने कहा कि नीति आयोग का विचार है कि देश में अभी और साहसी सुधारों के लिए जगह है.

जल्द ही बीमा क्षेत्र को अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए खोल दिया जाएगा. नागर विमानन और मीडिया जैसे क्षेत्रो में भी अधिक विदेशी निवेश की अनुमति देने की चर्चा चल रही है.

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