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रोजगार को खत्म कर रही है रोजगार विहीन वृद्धि : मनमोहन सिंह

नई दिल्ली: कृषि संकट, रोजगार के अवसरों में गिरावट व विभाजनकारी ताकतों के बढ़ते प्रसार जैसी घरेलू चुनौतियों का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को भारतीय अर्थव्यवस्था की एक निराशाजनक तस्वीर पेश की और कहा कि रोजगार विहीन वृद्धि (यानी रोजगार पैदा नहीं करने वाली) अब तेजी से रोजगार खत्म करने वाली (जॉबलॉस ग्रोथ) वृद्धि में बदल रही है.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
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Published : Feb 18, 2019, 2:50 PM IST

दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने फलते-फूलते छोटे व असंगठित क्षेत्र को नुकसान पहुंचने के लिए वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के क्रियान्वयन में 'लापरवाही' को जिम्मेदार ठहराया.

ये भी पढ़ें- सरकार को दिए जाने वाले डिविडेंड पर बिमल जालान कमेटी लेगी फैसला: शक्तिकांत दास

उन्होंने कहा, "हमारी अर्थव्यवस्था की घरेलू चुनौतियां अपनी जटिलता की वजह से भयावह हैं और इसका समाज पर नुकसानदायक प्रभाव पड़ रहा है. गंभीर कृषि संकट, रोजगार के कम होते अवसर, पर्यावरण में व्यापक गिरावट और इन सबसे ऊपर विभाजनकारी ताकतें अपने काम में लगी हुईं हैं."

जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा कि किसानों की आत्महत्या और बार-बार होता आंदोलन हमारी अर्थव्यवस्था के 'संरचनात्मक असंतुलन' को दिखाता है. उन्होंने इन मुद्दों पर ध्यान देने के लिए गहन विश्लेषण व राजनीतिक इच्छा का आह्वान किया.

नरेंद्र मोदी सरकार का नाम लिए बगैर मनमोहन सिंह ने कहा कि देश की रोजगार विहीन वृद्धि तेजी से 'जॉब-लॉस ग्रोथ' की तरफ फिसल रही है और ग्रामीण कर्जदारी व शहरी अराजकता एक साथ मिलकर युवाओं को बेचैन कर रही है.

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(आईएएनएस)

दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने फलते-फूलते छोटे व असंगठित क्षेत्र को नुकसान पहुंचने के लिए वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के क्रियान्वयन में 'लापरवाही' को जिम्मेदार ठहराया.

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उन्होंने कहा, "हमारी अर्थव्यवस्था की घरेलू चुनौतियां अपनी जटिलता की वजह से भयावह हैं और इसका समाज पर नुकसानदायक प्रभाव पड़ रहा है. गंभीर कृषि संकट, रोजगार के कम होते अवसर, पर्यावरण में व्यापक गिरावट और इन सबसे ऊपर विभाजनकारी ताकतें अपने काम में लगी हुईं हैं."

जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा कि किसानों की आत्महत्या और बार-बार होता आंदोलन हमारी अर्थव्यवस्था के 'संरचनात्मक असंतुलन' को दिखाता है. उन्होंने इन मुद्दों पर ध्यान देने के लिए गहन विश्लेषण व राजनीतिक इच्छा का आह्वान किया.

नरेंद्र मोदी सरकार का नाम लिए बगैर मनमोहन सिंह ने कहा कि देश की रोजगार विहीन वृद्धि तेजी से 'जॉब-लॉस ग्रोथ' की तरफ फिसल रही है और ग्रामीण कर्जदारी व शहरी अराजकता एक साथ मिलकर युवाओं को बेचैन कर रही है.

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(आईएएनएस)

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रोजगार विहीन वृद्धि रोजगार को खत्म कर रही है : मनमोहन सिंह

नई दिल्ली: कृषि संकट, रोजगार के अवसरों में गिरावट व विभाजनकारी ताकतों के बढ़ते प्रसार जैसी घरेलू चुनौतियों का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को भारतीय अर्थव्यवस्था की एक निराशाजनक तस्वीर पेश की और कहा कि रोजगार विहीन वृद्धि (यानी रोजगार पैदा नहीं करने वाली) अब तेजी से रोजगार खत्म करने वाली (जॉबलॉस ग्रोथ) वृद्धि में बदल रही है.

दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने फलते-फूलते छोटे व असंगठित क्षेत्र को नुकसान पहुंचने के लिए वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के क्रियान्वयन में 'लापरवाही' को जिम्मेदार ठहराया.

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उन्होंने कहा, "हमारी अर्थव्यवस्था की घरेलू चुनौतियां अपनी जटिलता की वजह से भयावह हैं और इसका समाज पर नुकसानदायक प्रभाव पड़ रहा है. गंभीर कृषि संकट, रोजगार के कम होते अवसर, पर्यावरण में व्यापक गिरावट और इन सबसे ऊपर विभाजनकारी ताकतें अपने काम में लगी हुईं हैं."

जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा कि किसानों की आत्महत्या और बार-बार होता आंदोलन हमारी अर्थव्यवस्था के 'संरचनात्मक असंतुलन' को दिखाता है. उन्होंने इन मुद्दों पर ध्यान देने के लिए गहन विश्लेषण व राजनीतिक इच्छा का आह्वान किया.

नरेंद्र मोदी सरकार का नाम लिए बगैर मनमोहन सिंह ने कहा कि देश की रोजगार विहीन वृद्धि तेजी से 'जॉब-लॉस ग्रोथ' की तरफ फिसल रही है और ग्रामीण कर्जदारी व शहरी अराजकता एक साथ मिलकर युवाओं को बेचैन कर रही है.



(आईएएनएस)


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