नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए आरक्षित पूंजी का उपयुक्त स्तर तय करने को लेकर गठित विमल जालान समिति ने अपना प्रतिवेदन तैयार कर लिया है और इसे एक दो दिन में पेश किया जा सकता है. सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी.
सूत्रों ने कहा कि रिजर्व बैंक की वर्तमान आरक्षित पूंजी से अतिरिक्त धन का सरकार को हस्तांतरण किस्तों में धीरे धीरे हो सकता है.
ये भी पढ़ें- थोक मुद्रास्फीति जुलाई में कई साल के निचले स्तर 1.08 प्रतिशत पर आयी
समिति में वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग को बिजली मंत्रालय भेज दिये जाने के बाद समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था. गर्ग के स्थानांतरण के समय रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा था. गर्ग के बाद समिति में बैंकिंग मामलों के सचिव (अब वित्त-सचिव भी) राजीव कुमार को नियुक्त किया गया.
सूत्रों के अनुसार, समिति ने अपने सुझाव तैयार कर लिये हैं और अब आगे इसकी कोई अन्य बैठक नहीं होने वाली है.
उन्होंने कहा, "हमने चर्चा पूरी कर ली है. अब यह अंतिम रिपोर्ट है. यह बताना, या इसका हिसाब देना मुश्किल होगा कि (आरबीआई से) सरकार को कितना धन हस्तांतरित किया जा सकता है. हस्तांतरण परंपरा के तहत चरणबद्ध तरीके से होगा."
उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक को सौंप दी जाएगी.
रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी रूपरेखा की समीक्षा करने के लिये 26 दिसंबर 2018 को इस छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान को इसका अध्यक्ष बनाया गया था.
विभिन्न पूर्वानुमानों के आधार पर रिजर्व बैंक के पास नौ लाख करोड़ रुपये की अधिशेष पूंजी है.
वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच अधिशेष राशि के उचित स्तर तथा इसमें बेशी राशि के हस्तांतरण को लेकर विवाद होने के बाद समिति का गठन किया गया था.
इससे पहले भी 1997 में वी.सुब्रमण्यम समिति, 2004 में उषा थोरट समिति और 2013 में वाई.एच.मालेगम समिति रिजर्व बैंक के भंडार की समीक्षा कर चुकी हैं. सुब्रमण्यम समिति ने इसे केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (सम्पत्ति) के 12 प्रतिशत भंडार का सुझाव दिया था, जबकि थोरट समिति ने भंडार को 18 प्रतिशत के स्तर पर बनाये रखने का सुझाव दिया था. 30 जून 2018 को समाप्त वित्त वर्ष में आरबीआई की बैलेंसशीट 36.18 लाख करोड़ रुपये थी.
जालान पैनल का सुझाव, किश्तों में फंड ट्रांसफर किया जाए: सूत्र - Reserve Bank
समिति में वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग को बिजली मंत्रालय भेज दिये जाने के बाद समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था. गर्ग के स्थानांतरण के समय रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा था.
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए आरक्षित पूंजी का उपयुक्त स्तर तय करने को लेकर गठित विमल जालान समिति ने अपना प्रतिवेदन तैयार कर लिया है और इसे एक दो दिन में पेश किया जा सकता है. सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी.
सूत्रों ने कहा कि रिजर्व बैंक की वर्तमान आरक्षित पूंजी से अतिरिक्त धन का सरकार को हस्तांतरण किस्तों में धीरे धीरे हो सकता है.
ये भी पढ़ें- थोक मुद्रास्फीति जुलाई में कई साल के निचले स्तर 1.08 प्रतिशत पर आयी
समिति में वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग को बिजली मंत्रालय भेज दिये जाने के बाद समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था. गर्ग के स्थानांतरण के समय रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा था. गर्ग के बाद समिति में बैंकिंग मामलों के सचिव (अब वित्त-सचिव भी) राजीव कुमार को नियुक्त किया गया.
सूत्रों के अनुसार, समिति ने अपने सुझाव तैयार कर लिये हैं और अब आगे इसकी कोई अन्य बैठक नहीं होने वाली है.
उन्होंने कहा, "हमने चर्चा पूरी कर ली है. अब यह अंतिम रिपोर्ट है. यह बताना, या इसका हिसाब देना मुश्किल होगा कि (आरबीआई से) सरकार को कितना धन हस्तांतरित किया जा सकता है. हस्तांतरण परंपरा के तहत चरणबद्ध तरीके से होगा."
उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक को सौंप दी जाएगी.
रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी रूपरेखा की समीक्षा करने के लिये 26 दिसंबर 2018 को इस छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान को इसका अध्यक्ष बनाया गया था.
विभिन्न पूर्वानुमानों के आधार पर रिजर्व बैंक के पास नौ लाख करोड़ रुपये की अधिशेष पूंजी है.
वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच अधिशेष राशि के उचित स्तर तथा इसमें बेशी राशि के हस्तांतरण को लेकर विवाद होने के बाद समिति का गठन किया गया था.
इससे पहले भी 1997 में वी.सुब्रमण्यम समिति, 2004 में उषा थोरट समिति और 2013 में वाई.एच.मालेगम समिति रिजर्व बैंक के भंडार की समीक्षा कर चुकी हैं. सुब्रमण्यम समिति ने इसे केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (सम्पत्ति) के 12 प्रतिशत भंडार का सुझाव दिया था, जबकि थोरट समिति ने भंडार को 18 प्रतिशत के स्तर पर बनाये रखने का सुझाव दिया था. 30 जून 2018 को समाप्त वित्त वर्ष में आरबीआई की बैलेंसशीट 36.18 लाख करोड़ रुपये थी.
जालान पैनल का सुझाव, किश्तों में फंड ट्रांसफर किया जाए: सूत्र
आरबीआई की पूंजी पर जालान समिति की सिफारिशें तय, बेशी धन सरकार को धीरे धीरे मिल सकता है
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए आरक्षित पूंजी का उपयुक्त स्तर तय करने को लेकर गठित विमल जालान समिति ने अपना प्रतिवेदन तैयार कर लिया है और इसे एक दो दिन में पेश किया जा सकता है. सूत्रों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी.
सूत्रों ने कहा कि रिजर्व बैंक की वर्तमान आरक्षित पूंजी से अतिरिक्त धन का सरकार को हस्तांतरण किस्तों में धीरे धीरे हो सकता है.
ये भी पढ़ें-
समिति में वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग को बिजली मंत्रालय भेज दिये जाने के बाद समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था. गर्ग के स्थानांतरण के समय रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा था. गर्ग के बाद समिति में बैंकिंग मामलों के सचिव (अब वित्त-सचिव भी) राजीव कुमार को नियुक्त किया गया.
सूत्रों के अनुसार, समिति ने अपने सुझाव तैयार कर लिये हैं और अब आगे इसकी कोई अन्य बैठक नहीं होने वाली है.
उन्होंने कहा, "हमने चर्चा पूरी कर ली है. अब यह अंतिम रिपोर्ट है. यह बताना, या इसका हिसाब देना मुश्किल होगा कि (आरबीआई से) सरकार को कितना धन हस्तांतरित किया जा सकता है. हस्तांतरण परंपरा के तहत चरणबद्ध तरीके से होगा."
उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक को सौंप दी जाएगी.
रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी रूपरेखा की समीक्षा करने के लिये 26 दिसंबर 2018 को इस छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान को इसका अध्यक्ष बनाया गया था.
विभिन्न पूर्वानुमानों के आधार पर रिजर्व बैंक के पास नौ लाख करोड़ रुपये की अधिशेष पूंजी है.
वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच अधिशेष राशि के उचित स्तर तथा इसमें बेशी राशि के हस्तांतरण को लेकर विवाद होने के बाद समिति का गठन किया गया था.
इससे पहले भी 1997 में वी.सुब्रमण्यम समिति, 2004 में उषा थोरट समिति और 2013 में वाई.एच.मालेगम समिति रिजर्व बैंक के भंडार की समीक्षा कर चुकी हैं. सुब्रमण्यम समिति ने इसे केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (सम्पत्ति) के 12 प्रतिशत भंडार का सुझाव दिया था, जबकि थोरट समिति ने भंडार को 18 प्रतिशत के स्तर पर बनाये रखने का सुझाव दिया था.
30 जून 2018 को समाप्त वित्त वर्ष में आरबीआई की बैलेंसशीट 36.18 लाख करोड़ रुपये थी.
Conclusion: