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जीएसटी बकाए पर ब्याज की गणना शुद्ध देनदारी के आधार पर की जाएगी: सीबीआईसी

सीबीआईसी ने अपने क्षेत्रीय अधिकारियों को हाल में निर्देश दिया है कि वे विलम्ब से भुगतान किए गए माल एवं सेवाकर के भुगतानों पर बकाया ब्याज की वसूली शुरू करें. अनुमान है कि ब्याज का बकाया 46,000 करोड़ रुपये तक हो गया है. इस निर्देश से उद्योग जगत में चिंता बतायी जा रही है.

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Published : Feb 15, 2020, 8:04 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 11:23 AM IST

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जीएसटी बकाए पर ब्याज की गणना शुद्ध देनदारी के आधार पर की जाएगी: सीबीआईसी

नई दिल्ली: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने शनिवार को स्पष्ट किया अब जीएसटी भुगतान में देरी पर ब्याज की गणना शुद्ध देनदारियों के आधार पर की जाएगी. इसके लिए जीएसटी कानूनों में संशोधन किए गए हैं.

सीबीआईसी ने अपने क्षेत्रीय अधिकारियों को हाल में निर्देश दिया है कि वे विलम्ब से भुगतान किए गए माल एवं सेवाकर के भुगतानों पर बकाया ब्याज की वसूली शुरू करें. अनुमान है कि ब्याज का बकाया 46,000 करोड़ रुपये तक हो गया है. इस निर्देश से उद्योग जगत में चिंता बतायी जा रही है.

उद्योग जगत की चिंताओं के बीच सीबीआईसी ने एक के बाद एक कई ट्वीट जारी करके स्पष्ट किया है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने जीएसटी संबंधी अधिनियमों में पिछली तिथि से प्रभावी संशोधन कर दिए हैं. इसके बाद अब ब्याज की गणना कर के शुद्ध बकाए के आधार पर की जाएगी.

ये भी पढ़ें: कोई दूरसंचार कंपनी दिवालिया होती है तो बैंकों को चुकानी होगी कीमत: एसबीआई चेयरमैन

एक ट्वीट में बोर्ड ने कहा है, "अभी जीएसटी के अधिनियमों में विलम्ब से किए जाने वाले जीएसटी भुगतान पर ब्याज की गणना सकल देनदारी के आधार पर करने की छूट है."

"इस कानूनी स्थिति और तेलंगाना उच्च न्यायालय के ओदश के बावजूद केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों ने जीएसटी परिषद की सिफारिशों के आधार पर अपने-अपने सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियमों में संशोधन कर लिए हैं ताकि विलम्ब से किए जाने वाले जीएसटी भुगतान पर शुद्ध देनदारी के आधार पर ब्याज लगाया जा सके."

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने शनिवार को स्पष्ट किया अब जीएसटी भुगतान में देरी पर ब्याज की गणना शुद्ध देनदारियों के आधार पर की जाएगी. इसके लिए जीएसटी कानूनों में संशोधन किए गए हैं.

सीबीआईसी ने अपने क्षेत्रीय अधिकारियों को हाल में निर्देश दिया है कि वे विलम्ब से भुगतान किए गए माल एवं सेवाकर के भुगतानों पर बकाया ब्याज की वसूली शुरू करें. अनुमान है कि ब्याज का बकाया 46,000 करोड़ रुपये तक हो गया है. इस निर्देश से उद्योग जगत में चिंता बतायी जा रही है.

उद्योग जगत की चिंताओं के बीच सीबीआईसी ने एक के बाद एक कई ट्वीट जारी करके स्पष्ट किया है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने जीएसटी संबंधी अधिनियमों में पिछली तिथि से प्रभावी संशोधन कर दिए हैं. इसके बाद अब ब्याज की गणना कर के शुद्ध बकाए के आधार पर की जाएगी.

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एक ट्वीट में बोर्ड ने कहा है, "अभी जीएसटी के अधिनियमों में विलम्ब से किए जाने वाले जीएसटी भुगतान पर ब्याज की गणना सकल देनदारी के आधार पर करने की छूट है."

"इस कानूनी स्थिति और तेलंगाना उच्च न्यायालय के ओदश के बावजूद केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों ने जीएसटी परिषद की सिफारिशों के आधार पर अपने-अपने सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियमों में संशोधन कर लिए हैं ताकि विलम्ब से किए जाने वाले जीएसटी भुगतान पर शुद्ध देनदारी के आधार पर ब्याज लगाया जा सके."

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 1, 2020, 11:23 AM IST
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