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वृद्धि दर में गिरावट से उद्योग जगत चिंतित पर तीन तिमाही में अर्थव्यवस्था पटरी पर आने को लेकर आशावान - कोविड 19

पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों पर प्रतिकिया व्यक्त करते हुए उद्योग एवं वाणिज्य संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डॉ डी.के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में सरकार ने कई सुधार किये हैं.

वृद्धि दर में गिरावट से उद्योग जगत चिंतित पर तीन तिमाही में अर्थव्यवस्था पटरी पर आने को लेकर आशावान
वृद्धि दर में गिरावट से उद्योग जगत चिंतित पर तीन तिमाही में अर्थव्यवस्था पटरी पर आने को लेकर आशावान
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Published : May 30, 2020, 12:07 AM IST

नई दिल्ली: उद्योग जगत ने वित्त वर्ष 2019-20 की मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर ग्यारह साल के निचले स्तर पर आ जाने पर चिंता व्यक्त की है हालांकि वे इस बात को लेकर आशावान हैं कि छह से नौ महीने में अर्थव्यवस्था वृद्धि की राह पर लौट जायेगी.

पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों पर प्रतिकिया व्यक्त करते हुए उद्योग एवं वाणिज्य संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डॉ डी.के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में सरकार ने कई सुधार किये हैं.

उन्होंने कहा, "हम इस बात को लेकर आशावान हैं कि पिछले कुछ समय में सरकार के द्वारा किये गये सुधारों के दम पर वित्त वर्ष 2020-21 के उत्तरार्द्ध में आर्थिक वृद्धि दर में सुधार होने लगेगा. सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10 प्रतिशत के बराबर का पैकेज घोषित किया है. यह पैकेज हमें वापस वृद्धि की राह पर ले आयेगा."

सीआईआई दिल्ली के चेयरमैन आदित्य बेरलिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक मुश्किलें इस साल की दूसरी छमाही में हल होने लगेंगी.

उन्होंने कहा, "यह भारत के लिये अभूतपूर्व संकट है और दशकों में ऐसी परिस्थितियां सामने नहीं आयी हैं. इसके कारण उद्योग की कुछ श्रेणियों में पांच से 15 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है. सरकार ने मध्यम अवधि में सुधार करने वाले कदम उठाये हैं. हमारा मानना है कि इस साल की दूसरी छमाही में चीजें सुधरने लगेंगी. हालांकि हमें सरकार से कुछ ऐसे उपायों की उम्मीद है, जो उद्योग जगत को छह महीने में नहीं बल्कि अगले सप्ताह से मदद करने लगें."

निर्यातकों के संगठन ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन रवि सहगल ने कहा कि निर्यात क्षेत्र भारत की जीडीपी में 19 प्रतिशत से अधिक योगदान देता है.

ये भी पढ़ें: बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 3.1 प्रतिशत पर

उन्होंने कहा, "2019-20 में निर्यात में 3.6 प्रतिशत की गिरावट आयी है. कोरोना वायरस महामारी के कारण सेवाओं का निर्यात अधिक प्रभावित हुआ है. चूंकि अप्रैल और मई के दौरान लॉकडाउन के कारण निर्यातकों पर काफी असर पड़ा है, नये वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निर्यात पर असर अधिक रहने वाला है."

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा कि चौथी तिमाही की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर हमारे 1.2 प्रतिशत के पूर्वानुमान की तुलना में काफी बेहतर 3.1 प्रतिशत रही है. यह पिछली तिमाही की 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से कुछ ही कम है, लेकिन यह 11 साल का निचला स्तर भी है. कृषि क्षेत्र में उम्मीद से बेहतर वृद्धि तथा राजकोषीय खर्च अधिक होने से कुल वृद्धि दर अच्छी रही है.

हालांकि हमें नये वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी में 21 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है. एमकेय वेल्थ मैनेजमेंट के शोध प्रमुख जोसेफ थॉमस ने कहा कि मार्च तिमाही में वृद्धि दर कम होकर 3.1 प्रतिशत पर आ जाने से पिछले दो साल से कायम आर्थिक सुस्ती का पता चलता है.

अप्रैल में मुख्य क्षेत्रों में 38 प्रतिशत की गिरावट आयी है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था पर किस तरह असर डाला है. हमारा अनुमान है कि 2020-21 की पहली तिमाही में वृद्धि दर नकारात्मक रह सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उद्योग जगत ने वित्त वर्ष 2019-20 की मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर ग्यारह साल के निचले स्तर पर आ जाने पर चिंता व्यक्त की है हालांकि वे इस बात को लेकर आशावान हैं कि छह से नौ महीने में अर्थव्यवस्था वृद्धि की राह पर लौट जायेगी.

पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों पर प्रतिकिया व्यक्त करते हुए उद्योग एवं वाणिज्य संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डॉ डी.के. अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में सरकार ने कई सुधार किये हैं.

उन्होंने कहा, "हम इस बात को लेकर आशावान हैं कि पिछले कुछ समय में सरकार के द्वारा किये गये सुधारों के दम पर वित्त वर्ष 2020-21 के उत्तरार्द्ध में आर्थिक वृद्धि दर में सुधार होने लगेगा. सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10 प्रतिशत के बराबर का पैकेज घोषित किया है. यह पैकेज हमें वापस वृद्धि की राह पर ले आयेगा."

सीआईआई दिल्ली के चेयरमैन आदित्य बेरलिया ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक मुश्किलें इस साल की दूसरी छमाही में हल होने लगेंगी.

उन्होंने कहा, "यह भारत के लिये अभूतपूर्व संकट है और दशकों में ऐसी परिस्थितियां सामने नहीं आयी हैं. इसके कारण उद्योग की कुछ श्रेणियों में पांच से 15 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है. सरकार ने मध्यम अवधि में सुधार करने वाले कदम उठाये हैं. हमारा मानना है कि इस साल की दूसरी छमाही में चीजें सुधरने लगेंगी. हालांकि हमें सरकार से कुछ ऐसे उपायों की उम्मीद है, जो उद्योग जगत को छह महीने में नहीं बल्कि अगले सप्ताह से मदद करने लगें."

निर्यातकों के संगठन ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन रवि सहगल ने कहा कि निर्यात क्षेत्र भारत की जीडीपी में 19 प्रतिशत से अधिक योगदान देता है.

ये भी पढ़ें: बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 3.1 प्रतिशत पर

उन्होंने कहा, "2019-20 में निर्यात में 3.6 प्रतिशत की गिरावट आयी है. कोरोना वायरस महामारी के कारण सेवाओं का निर्यात अधिक प्रभावित हुआ है. चूंकि अप्रैल और मई के दौरान लॉकडाउन के कारण निर्यातकों पर काफी असर पड़ा है, नये वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निर्यात पर असर अधिक रहने वाला है."

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा कि चौथी तिमाही की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर हमारे 1.2 प्रतिशत के पूर्वानुमान की तुलना में काफी बेहतर 3.1 प्रतिशत रही है. यह पिछली तिमाही की 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से कुछ ही कम है, लेकिन यह 11 साल का निचला स्तर भी है. कृषि क्षेत्र में उम्मीद से बेहतर वृद्धि तथा राजकोषीय खर्च अधिक होने से कुल वृद्धि दर अच्छी रही है.

हालांकि हमें नये वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी में 21 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है. एमकेय वेल्थ मैनेजमेंट के शोध प्रमुख जोसेफ थॉमस ने कहा कि मार्च तिमाही में वृद्धि दर कम होकर 3.1 प्रतिशत पर आ जाने से पिछले दो साल से कायम आर्थिक सुस्ती का पता चलता है.

अप्रैल में मुख्य क्षेत्रों में 38 प्रतिशत की गिरावट आयी है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था पर किस तरह असर डाला है. हमारा अनुमान है कि 2020-21 की पहली तिमाही में वृद्धि दर नकारात्मक रह सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

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