नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वास्तविक वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रहेगी. इकनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) ने यह अनुमान लगाया है.
ईआईयू ने कहा कि कारोबारी भरोसा डगमगाने, कमजोर मांग और वित्तीय क्षेत्र को लेकर चिंता से निवेश प्रभावित हो रहा है. ऐसे में जीडीपी की वृद्धि दर कहीं निचले स्तर पर रहेगी.
ईआईयू ने कहा कि दूसरी तिमाही में जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर गिरकर पांच प्रतिशत रहेगी जो इसका छह साल का निचला स्तर है. तीसरी तिमाही के आंकड़ों में भी सुधार का मामूली संकेत ही है.
ये भी पढ़ें- ई-सिगरेट के निर्यात पर रोक, पांच वर्ष तक के कारावास का प्रावधान
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय संख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत के छह साल के निचले स्तर पर आ गई है. वैश्विक स्तर पर खराब होते माहौल के बीच उपभोक्ता मांग में गिरावट और निजी निवेश में कमी की वजह से पहली तिमाही की वृद्धि दर का आंकड़ा कमजोर रहा है.
ईआईयू ने एक रिपोर्ट में कहा, "उपभोक्ता और कारोबारी भरोसा निचले स्तर पर है. सालाना आधार पर जुलाई में कारों की बिक्री 30 प्रतिशत घटी है. वित्तीय क्षेत्र में समस्याओं के बीच ऋण की वृद्धि प्रभावित हुई है."
सरकार ने हाल के समय में वृद्धि और निवेश को प्रोत्साहन के लिए कई कदम उठाए हैं. कॉरपोरेट कर की दर में बड़ी कटौती की गई है.
ईआईयू ने कहा, "हम सरकार के मुश्किल कारोबारी परिस्थितियों में सुधार के प्रयासों को लेकर आशान्वित हैं."
वृद्धि दर के छह साल के निचले स्तर पर आने और बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्चस्तर पर पहुंचने के बीच सरकार ने 20 सितंबर को कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को लगभग दस प्रतिशत घटाकर 25.17 प्रतिशत कर दिया है.
चालू वित्त वर्ष में भारत की वास्तविक वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रहेगी: ईआईयू - चालू वित्त वर्ष में भारत की वास्तविक वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रहेगी
ईआईयू ने कहा कि कारोबारी भरोसा डगमगाने, कमजोर मांग और वित्तीय क्षेत्र को लेकर चिंता से निवेश प्रभावित हो रहा है. ऐसे में जीडीपी की वृद्धि दर कहीं निचले स्तर पर रहेगी.
नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वास्तविक वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रहेगी. इकनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) ने यह अनुमान लगाया है.
ईआईयू ने कहा कि कारोबारी भरोसा डगमगाने, कमजोर मांग और वित्तीय क्षेत्र को लेकर चिंता से निवेश प्रभावित हो रहा है. ऐसे में जीडीपी की वृद्धि दर कहीं निचले स्तर पर रहेगी.
ईआईयू ने कहा कि दूसरी तिमाही में जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर गिरकर पांच प्रतिशत रहेगी जो इसका छह साल का निचला स्तर है. तीसरी तिमाही के आंकड़ों में भी सुधार का मामूली संकेत ही है.
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उल्लेखनीय है कि केंद्रीय संख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत के छह साल के निचले स्तर पर आ गई है. वैश्विक स्तर पर खराब होते माहौल के बीच उपभोक्ता मांग में गिरावट और निजी निवेश में कमी की वजह से पहली तिमाही की वृद्धि दर का आंकड़ा कमजोर रहा है.
ईआईयू ने एक रिपोर्ट में कहा, "उपभोक्ता और कारोबारी भरोसा निचले स्तर पर है. सालाना आधार पर जुलाई में कारों की बिक्री 30 प्रतिशत घटी है. वित्तीय क्षेत्र में समस्याओं के बीच ऋण की वृद्धि प्रभावित हुई है."
सरकार ने हाल के समय में वृद्धि और निवेश को प्रोत्साहन के लिए कई कदम उठाए हैं. कॉरपोरेट कर की दर में बड़ी कटौती की गई है.
ईआईयू ने कहा, "हम सरकार के मुश्किल कारोबारी परिस्थितियों में सुधार के प्रयासों को लेकर आशान्वित हैं."
वृद्धि दर के छह साल के निचले स्तर पर आने और बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्चस्तर पर पहुंचने के बीच सरकार ने 20 सितंबर को कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को लगभग दस प्रतिशत घटाकर 25.17 प्रतिशत कर दिया है.
नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वास्तविक वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रहेगी. इकनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) ने यह अनुमान लगाया है.
ईआईयू ने कहा कि कारोबारी भरोसा डगमगाने, कमजोर मांग और वित्तीय क्षेत्र को लेकर चिंता से निवेश प्रभावित हो रहा है. ऐसे में जीडीपी की वृद्धि दर कहीं निचले स्तर पर रहेगी.
ईआईयू ने कहा कि दूसरी तिमाही में जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर गिरकर पांच प्रतिशत रहेगी जो इसका छह साल का निचला स्तर है. तीसरी तिमाही के आंकड़ों में भी सुधार का मामूली संकेत ही है.
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उल्लेखनीय है कि केंद्रीय संख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत के छह साल के निचले स्तर पर आ गई है. वैश्विक स्तर पर खराब होते माहौल के बीच उपभोक्ता मांग में गिरावट और निजी निवेश में कमी की वजह से पहली तिमाही की वृद्धि दर का आंकड़ा कमजोर रहा है.
ईआईयू ने एक रिपोर्ट में कहा, "उपभोक्ता और कारोबारी भरोसा निचले स्तर पर है. सालाना आधार पर जुलाई में कारों की बिक्री 30 प्रतिशत घटी है. वित्तीय क्षेत्र में समस्याओं के बीच ऋण की वृद्धि प्रभावित हुई है."
सरकार ने हाल के समय में वृद्धि और निवेश को प्रोत्साहन के लिए कई कदम उठाए हैं. कॉरपोरेट कर की दर में बड़ी कटौती की गई है.
ईआईयू ने कहा, "हम सरकार के मुश्किल कारोबारी परिस्थितियों में सुधार के प्रयासों को लेकर आशान्वित हैं."
वृद्धि दर के छह साल के निचले स्तर पर आने और बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्चस्तर पर पहुंचने के बीच सरकार ने 20 सितंबर को कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को लगभग दस प्रतिशत घटाकर 25.17 प्रतिशत कर दिया है.
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