नई दिल्ली: काम के नये ऑर्डरों तथा उत्पादन मजबूत होने से जुलाई महीने में देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार देखने को मिला. इससे रोजगार के मोर्चे पर भी सुधार हुआ. एक मासिक समीक्षा में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गयी.
आईएचएस मार्किट का इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जून के 52.10 की तुलना में सुधरकर जुलाई में 52.5 पर पहुंच गया. यह फैक्ट्री ऑर्डरों में त्वरित सुधार के कारण कंपनियों के उत्पादन बढ़ाने से हुआ है.
यह लगातार 24वां महीना है जब विनिर्माण का पीएमआई 50 से अधिक रहा है. सूचकांक का 50 से अधिक रहना विस्तार दर्शाता है जबकि 50 से नीचे का सूचकांक संकुचन का संकेत देता है.
ये भी पढ़ें- मंदी का असर: नहीं बिक रहे मारुति की कार और बजाज के बाइक, बिक्री में आयी गिरावट
आईएचएस मार्किट के प्रधान अर्थशास्त्री पॉलिएना डी लीमा ने कहा, "वित्त वर्ष2019-20 की पहली तिमाही में वृद्धि में नरमी आने के बाद जुलाई महीने में कुछ रफ्तार देखने को मिली. फैक्ट्री ऑर्डरों, उत्पादन तथा रोजगार में सुधार देखने को मिला. हालांकि वृद्धि ट्रेंड की तुलना में कमतर ही रही."
समीक्षा के अनुसार, उत्पादन बढ़ने का मुख्य कारण नये काम में तेजी आना है.
लीमा ने कहा कि बिक्री में वृद्धि में घरेलू बाजार का मुख्य योगदान रहा. वैश्विक व्यापार प्रवाह के सुस्त पड़ने के कारण वैश्विक बिक्री अप्रैल से ही नरम है.
समीक्षा के अनुसार, मुद्रास्फीति तीन महीने के निचले स्तर पर है और दीर्घकालिक औसत से काफी नीचे है.
लीमा ने कहा, "जुलाई के पीएमआई में इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क में लगभग नगण्य वृद्धि देखने को मिली है. इससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते रहने के लिये रिजर्व बैंक ब्याज दर में एक और बार कटौती कर सकता है."
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पांच अगस्त से शुरू होने वाली है. रिजर्व बैंक ने जून की समीक्षा बैठक में ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी जो इस साल की तीसरी कटौती थी.
नये ऑर्डरों और अधिक उत्पादन से 52.5 पहुंची घरेलू विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि: पीएमआई
आईएचएस मार्किट का इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जून के 52.10 की तुलना में सुधरकर जुलाई में 52.5 पर पहुंच गया. यह फैक्ट्री ऑर्डरों में त्वरित सुधार के कारण कंपनियों के उत्पादन बढ़ाने से हुआ है.
नई दिल्ली: काम के नये ऑर्डरों तथा उत्पादन मजबूत होने से जुलाई महीने में देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार देखने को मिला. इससे रोजगार के मोर्चे पर भी सुधार हुआ. एक मासिक समीक्षा में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गयी.
आईएचएस मार्किट का इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जून के 52.10 की तुलना में सुधरकर जुलाई में 52.5 पर पहुंच गया. यह फैक्ट्री ऑर्डरों में त्वरित सुधार के कारण कंपनियों के उत्पादन बढ़ाने से हुआ है.
यह लगातार 24वां महीना है जब विनिर्माण का पीएमआई 50 से अधिक रहा है. सूचकांक का 50 से अधिक रहना विस्तार दर्शाता है जबकि 50 से नीचे का सूचकांक संकुचन का संकेत देता है.
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आईएचएस मार्किट के प्रधान अर्थशास्त्री पॉलिएना डी लीमा ने कहा, "वित्त वर्ष2019-20 की पहली तिमाही में वृद्धि में नरमी आने के बाद जुलाई महीने में कुछ रफ्तार देखने को मिली. फैक्ट्री ऑर्डरों, उत्पादन तथा रोजगार में सुधार देखने को मिला. हालांकि वृद्धि ट्रेंड की तुलना में कमतर ही रही."
समीक्षा के अनुसार, उत्पादन बढ़ने का मुख्य कारण नये काम में तेजी आना है.
लीमा ने कहा कि बिक्री में वृद्धि में घरेलू बाजार का मुख्य योगदान रहा. वैश्विक व्यापार प्रवाह के सुस्त पड़ने के कारण वैश्विक बिक्री अप्रैल से ही नरम है.
समीक्षा के अनुसार, मुद्रास्फीति तीन महीने के निचले स्तर पर है और दीर्घकालिक औसत से काफी नीचे है.
लीमा ने कहा, "जुलाई के पीएमआई में इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क में लगभग नगण्य वृद्धि देखने को मिली है. इससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते रहने के लिये रिजर्व बैंक ब्याज दर में एक और बार कटौती कर सकता है."
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पांच अगस्त से शुरू होने वाली है. रिजर्व बैंक ने जून की समीक्षा बैठक में ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी जो इस साल की तीसरी कटौती थी.
नये ऑर्डरों और अधिक उत्पादन से 52.5 पहुंची घरेलू विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि: पीएमआई
नई दिल्ली: काम के नये ऑर्डरों तथा उत्पादन मजबूत होने से जुलाई महीने में देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार देखने को मिला. इससे रोजगार के मोर्चे पर भी सुधार हुआ. एक मासिक समीक्षा में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गयी.
आईएचएस मार्किट का इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जून के 52.10 की तुलना में सुधरकर जुलाई में 52.5 पर पहुंच गया. यह फैक्ट्री ऑर्डरों में त्वरित सुधार के कारण कंपनियों के उत्पादन बढ़ाने से हुआ है.
यह लगातार 24वां महीना है जब विनिर्माण का पीएमआई 50 से अधिक रहा है. सूचकांक का 50 से अधिक रहना विस्तार दर्शाता है जबकि 50 से नीचे का सूचकांक संकुचन का संकेत देता है.
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आईएचएस मार्किट के प्रधान अर्थशास्त्री पॉलिएना डी लीमा ने कहा, "वित्त वर्ष2019-20 की पहली तिमाही में वृद्धि में नरमी आने के बाद जुलाई महीने में कुछ रफ्तार देखने को मिली. फैक्ट्री ऑर्डरों, उत्पादन तथा रोजगार में सुधार देखने को मिला. हालांकि वृद्धि ट्रेंड की तुलना में कमतर ही रही."
समीक्षा के अनुसार, उत्पादन बढ़ने का मुख्य कारण नये काम में तेजी आना है.
लीमा ने कहा कि बिक्री में वृद्धि में घरेलू बाजार का मुख्य योगदान रहा. वैश्विक व्यापार प्रवाह के सुस्त पड़ने के कारण वैश्विक बिक्री अप्रैल से ही नरम है.
समीक्षा के अनुसार, मुद्रास्फीति तीन महीने के निचले स्तर पर है और दीर्घकालिक औसत से काफी नीचे है.
लीमा ने कहा, "जुलाई के पीएमआई में इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क में लगभग नगण्य वृद्धि देखने को मिली है. इससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते रहने के लिये रिजर्व बैंक ब्याज दर में एक और बार कटौती कर सकता है."
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक पांच अगस्त से शुरू होने वाली है. रिजर्व बैंक ने जून की समीक्षा बैठक में ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी जो इस साल की तीसरी कटौती थी.
Conclusion: