नई दिल्ली/ज्यूरिख: स्विस बैंकों और उसकी भारतीय शाखाओं में भारत के लोगों और कंपनियों का जमा धन 2019 में 6 प्रतिशत घटकर 89.9 करोड़ स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपये) रह गया. स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक एसएनबी के बृहस्पतिवार को जारी सालाना आंकड़ों से यह पता चला है. यह लगातार दूसरा साल है जब स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा धन कम हुए हैं.
स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी)ने 1987 से आंकड़ों का संग्रह शुरू किया, तब से यह तीन दशक से भी अधिक समय में तीसरे सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया.
एसएनबी के अनुसार 2019 के अंत में स्विस बैंकों के ऊपर भारतीयों की कुल 89.946 करोड़ स्विस फ्रैंक की देनदरी थी. इसमें 55 करोड़ स्विस फ्रैंक (सीएचएफ) (4,000 करोड़ रुपये से अधिक) ग्राहकों के जमा, 8.8 करोड़ स्विस फ्रैंक (650 करोड़ रुपये) दूसरे बैंकों के जरिये जमा तथा 25.4 करोड़ स्विस फ्रैंक (1,900 करोड़ रुपये) अन्य राशि प्रतिभूतियों और अन्य वित्तीय उत्पादों के रूप में हैं.
इसके अलावा 74 लाख स्विस फ्रैंक (50 करोड़ रुपये) ट्रस्ट के जरिये जमा हैं. इन सभी चारों श्रेणी में जमा में गिरावट दर्ज की गयी. ये आधिकारिक आंकड़े हैं जो बैंकों ने एसएनबी को दिये हैं. यह स्विट्जरलैंड में जमा भारतीयों के कालाधन का संकेत नहीं देते जिसको लेकर चर्चा होती रही है.
इन आंकड़ों में उन भारतीयों, प्रवासी भारतीयों या अन्य के धन शामिल नहीं है जो स्विस बैंकों में तीसरे देशों की इकाइयों के नाम पर रखे गये हों.
एसएनबी के अनुसार स्विस बैंकों की भारतीय ग्राहकों को लेकर देनदारी में सभी प्रकार के खातों को लिया गया है. इसमें व्यक्तिगत रूप से बैंकों और कंपनियों की जमा राशि शामिल हैं. इसमें स्विस बैंकों में भारत में स्थित शाखाओं के आंकड़े भी शामिल हैं.
इससे पहले, भारतीय और स्विस प्राधिकरणों ने कहा था कि भारतीयों के जमा के बारे में आकलन का अधिक भरोसेमंद तरीका बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के 'लोकेशनल बैंकिंग स्टैटिसटिक्स' ने दिया है. इसके अनुसार 2019 में यह मामूली 0.07 प्रतिशत बढ़कर 9.06 करोड़ डॉलर (करीब 646 करोड़ रुपये) रहा.
स्विस प्राधिकरण हमेशा कहते रहा है कि भारतीयों के स्विट्जरलैंड में जमा धन को 'काला धन' नहीं कहा जा सकता है और वे कर चोरी और धोखाधड़ी के खिलाफ अभियान में भारत का पूरा समर्थन करते हैं.
भारत और स्विट्जरलैंड के पास कर मामलों के सूचना के स्वत: आदन-प्रदान की व्यवस्था 2018 से है. इस व्यवस्था के तहत सभी भारतीय निवासियों के जिनके खाते स्विस वित्तीय संस्थानों में 2018 से है, उसके बारे में विस्तृत वित्तीय सूचना भारतीय कर प्राधिकरणों को पहली बार सितंबर 2019 में दी गयी है और इसका अनुपालन हर साल किया जाएगा.
ये भी पढ़ें: चीनी सामान का बहिष्कार शायद भारतीय उद्योगों के लिहाज से अधिक व्यवहारिक नहीं: फियो
इसके अलावा स्विट्जरलैंड उन भारतीयों के खातों के बारे में भी ब्योरा साझा करता है जिन पर वित्तीय गड़बड़ियों में शामिल होने का आरोप है. इसके लिये प्रथम दृष्ट्या साक्ष्य देना होता है.
एसएनबी के पास 1987 से उपलब्ध आंकड़े के अनुसार स्विस बैंकों में भारतीयों के सबसे कम राशि 1995 में देखी गयी जो 72.3 करोड़ स्विस फ्रैंक थी. उसके बाद 2016 में यह 67.6 करोड़ स्विस फ्रैंक रही.
वहीं 2006 में यह सर्वाधिक 6.5 अरब स्विस फ्रैंक पर पहुंच गई. उसके बाद इसमें लगातार पांच साल गिरावट आयी. रिकार्ड स्तर के बाद यह केवल 2011 (12 प्रतिशत), 2013 (43 प्रतिशत) और उसके बाद 2017 में बढ़ी.
आंकड़ों के अनुसार पिछले साल स्विटजरलैंड के बैंकों में पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों और कंपनियों की जमा राशि भी घटी है. वहीं अमेरिका और ब्रिटेन के लोगों की स्विस बैंकों में जमा राशि बढ़ी है.
स्विस बैंक में पाकिस्तानियों का धन करीब 45 प्रतिशत घटकर 41 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 3,000 करोड़ रुपये) रह गया.
वहीं बांग्लादेश का पैसा 2 प्रतिशत घटकर 60.5 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 4,500 करोड़ रुपये) रहा. एसएनबी के अनुसार स्विट्जरलैंड में 2019 के अंत में कुल 246 बैंक थे.
(पीटीआई-भाषा)