नई दिल्ली: येस बैंक के संकट के बीच बैंकिंग क्षेत्र की सेहत को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने रविवार को कहा कि भारतीय बैंकों का पूंजी का आधार अच्छा है और उनको लेकर डरने की कोई वजह नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि बाजार पूंजीकरण (शेयर के बाजार मूल्य के हिसाब से बैंक की हैसियत) और जमाओं के अनुपात के आधार पर किसी बैंक की सेहत का आकलन करने का तरीका सही नहीं है.
सुब्रमण्यन ने यहां अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे, "मैं कहना चाहता हूं कि बैंकों के सुरक्षित होने का आकलन करने के लिए एम-कैप (बाजार पूंजीकरण) अनुपात पूरी तरह एक गलत मानक है. बैंकिंग क्षेत्र का कोई भी विशेषज्ञ या बैंकिंग नियामक इस मूल्यांकन का इस्तेमाल नहीं करता है."
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येस बैंक में वित्तीय संकट के बाद उसमें जमा धन की निकासी पर नियंत्रण लगा दिया गया है. उसके बाद से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास और मुख्य आर्थिक सलाहकार सहित शीर्ष सरकारी अधिकारी चिंतित जमाकर्ताओं और निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए बयान दे चुके हैं.
उन्होंने कहा, "बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ और नियामक बैंक की पूंजी और उनकी भारांकित जोखिम वाली परि सम्पत्तियों (रिणों) (सीआरएआर) के फार्मूले का प्रयोग करते हैं. इस बात को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि आठ प्रतिशत का सीआरएआर अनुपात अंतरराष्ट्रीय मानकों अनुसार सुरक्षित पूंजी आधार है. भारतीय बैंकों के पास भारांकित जोखिम वाले रिणों के 14.3 प्रतिशत के बराबर पूंजी है."
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय बैंकिंग के लिए नौ प्रतिशत सीआरएआर को अनिवार्य किया है. उन्होंने कहा कि अगर इससे तुलना की जाए तो भी हमारे बैंकों का पूंजी आधार पूंजी पर्याप्तता के लिए सुरक्षित मानी गयी पूंजी से 60 प्रतिशत अधिक है जो बहुत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सरकार ने जमाओं के लिए बीमा राशि को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है, जिसमें अधिकांश जमाकर्ताओं की राशि कवर होती है. उन्होंने कहा कि इसलिए किसी के लिए भी परेशान होने की कोई वजह नहीं है.
(पीटीआई-भाषा)