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अमेरिकी कंपनियों के लिए बाधाओं को कम करे भारत: अमेरिकी वाणिज्य मंत्री

रॉस ने ट्रेड विंड फोरम और ट्रेड मिश्न को संबोधित करते हुए यह बात कही. वह 100 अमेरिकी कारोबारियों के प्रतिनिधियों के साथ यहां आये हुए हैं.

अमेरिकी कंपनियों के लिए बाधाओं को कम करे भारत: अमेरिकी वाणिज्य मंत्री
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Published : May 7, 2019, 6:29 PM IST

नई दिल्ली: अमेरिका चाहता है कि यहां काम कर रही उसकी कंपनियों के लिये भारत व्यापार करने और आंकड़ों के स्थानीय रूप से रखे जाने के संदर्भ में बाधाओं को कम करे ताकि कारोबार करने की लागत कम हो. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने मंगलवार को यह बात कही.

उन्होंने यहां कहा, "हम चाहते हैं कि यहां काम कर रही अमेरिकी कंपनियों के लिये बाधाओं को दूर किया जाए. इसमें आंकड़ों के स्थानीय रूप से रखे जाने की पाबंदी शामिल हैं. इससे वास्तव में आंकड़ों की सुरक्षा कमजोर होती है तथा कारोबार की लागत बढ़ती है."

रॉस ने ट्रेड विंड फोरम और ट्रेड मिश्न को संबोधित करते हुए यह बात कही. वह 100 अमेरिकी कारोबारियों के प्रतिनिधियों के साथ यहां आये हुए हैं.

ये भी पढ़ें- नोकिया 4.2 भारत में लांच, कीमत 10,990 रुपये

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत वाहन, मोटरसाइकिल और कृषि उत्पाद जैसे सामानों पर उच्च दर से आयात शुल्क लगाता है.

रॉस ने कहा, "अमेरिकी कंपनियों को फिलहाल बाजार पहुंच संबंधी कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. इसमें शुल्क और गैर-शुल्क बाधाएं शामिल हैं. साथ ही कई ऐसी गतिविधियां और नियमन हैं जो विदेशी कंपनियों के लिये नुकसानदायक है."

उन्होंने कहा, "भारत में औसत शुल्क की दर 13.8 प्रतिशत है और यह दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक है. उदाहरण के लिये वाहनों पर 60 प्रतिशत शुल्क जबकि अमेरिका में 2.5 प्रतिशत है. मोटरसाइकिल पर 50 प्रतिशत तथा अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों पर 150 प्रतिशत है."

अमेरिकी मंत्री ने कहा कि भारत कृषि उत्पादों पर औसतन 113.5 प्रतिशत की दर से तथा कुछ उत्पादों पर 300 प्रतिशत शुल्क लगा रहा है जो काफी ऊंचा है.

हालांकि भारत के व्यापार विशेषज्ञ अमेरिकी की इस बात को काटते हैं कि भारत शुल्क लगाने में सबसे आगे है और उसके पास कृषि जैसे विशेष क्षेत्रों के हितों की रक्षा के लिये सभी अधिकार है.

रॉस ने कहा कि हम भारत सरकार के साथ काम कर रहे हैं तथा हमारे निजी क्षेत्र के भागीदार बाजार में प्रवेश के मसले को अमेरिका-भारत वाणिज्यिक वार्ता तथा अमेरिका-भारत सीईओ मंच के जरिये समाधान करेंगे.

अमेरिकी कंपनियों के समक्ष बड़ी बाधाओं में चिकित्सा उपकरणों पर कीमत नियंत्रण तथा प्रतिबंधात्मक शुल्क तथा इलेक्ट्रानिकक्स एवं दूरसंचार उत्पादों की जांच शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि राउटर, स्विच तथा सेल्यूलर फोन के कल-पुर्जो पर आयात शुल्क 20 प्रतिशत है. रॉस ने कहा कि दूसरी तरफ अमेरिका द्वारा भारत से आयातित इन उत्पादों पर शुल्क शून्य है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि नई सरकार इन मामलों पर गौर करेगी.

नई दिल्ली: अमेरिका चाहता है कि यहां काम कर रही उसकी कंपनियों के लिये भारत व्यापार करने और आंकड़ों के स्थानीय रूप से रखे जाने के संदर्भ में बाधाओं को कम करे ताकि कारोबार करने की लागत कम हो. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने मंगलवार को यह बात कही.

उन्होंने यहां कहा, "हम चाहते हैं कि यहां काम कर रही अमेरिकी कंपनियों के लिये बाधाओं को दूर किया जाए. इसमें आंकड़ों के स्थानीय रूप से रखे जाने की पाबंदी शामिल हैं. इससे वास्तव में आंकड़ों की सुरक्षा कमजोर होती है तथा कारोबार की लागत बढ़ती है."

रॉस ने ट्रेड विंड फोरम और ट्रेड मिश्न को संबोधित करते हुए यह बात कही. वह 100 अमेरिकी कारोबारियों के प्रतिनिधियों के साथ यहां आये हुए हैं.

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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत वाहन, मोटरसाइकिल और कृषि उत्पाद जैसे सामानों पर उच्च दर से आयात शुल्क लगाता है.

रॉस ने कहा, "अमेरिकी कंपनियों को फिलहाल बाजार पहुंच संबंधी कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. इसमें शुल्क और गैर-शुल्क बाधाएं शामिल हैं. साथ ही कई ऐसी गतिविधियां और नियमन हैं जो विदेशी कंपनियों के लिये नुकसानदायक है."

उन्होंने कहा, "भारत में औसत शुल्क की दर 13.8 प्रतिशत है और यह दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक है. उदाहरण के लिये वाहनों पर 60 प्रतिशत शुल्क जबकि अमेरिका में 2.5 प्रतिशत है. मोटरसाइकिल पर 50 प्रतिशत तथा अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों पर 150 प्रतिशत है."

अमेरिकी मंत्री ने कहा कि भारत कृषि उत्पादों पर औसतन 113.5 प्रतिशत की दर से तथा कुछ उत्पादों पर 300 प्रतिशत शुल्क लगा रहा है जो काफी ऊंचा है.

हालांकि भारत के व्यापार विशेषज्ञ अमेरिकी की इस बात को काटते हैं कि भारत शुल्क लगाने में सबसे आगे है और उसके पास कृषि जैसे विशेष क्षेत्रों के हितों की रक्षा के लिये सभी अधिकार है.

रॉस ने कहा कि हम भारत सरकार के साथ काम कर रहे हैं तथा हमारे निजी क्षेत्र के भागीदार बाजार में प्रवेश के मसले को अमेरिका-भारत वाणिज्यिक वार्ता तथा अमेरिका-भारत सीईओ मंच के जरिये समाधान करेंगे.

अमेरिकी कंपनियों के समक्ष बड़ी बाधाओं में चिकित्सा उपकरणों पर कीमत नियंत्रण तथा प्रतिबंधात्मक शुल्क तथा इलेक्ट्रानिकक्स एवं दूरसंचार उत्पादों की जांच शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि राउटर, स्विच तथा सेल्यूलर फोन के कल-पुर्जो पर आयात शुल्क 20 प्रतिशत है. रॉस ने कहा कि दूसरी तरफ अमेरिका द्वारा भारत से आयातित इन उत्पादों पर शुल्क शून्य है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि नई सरकार इन मामलों पर गौर करेगी.

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अमेरिकी कंपनियों के लिए बाधाओं को कम करे भारत: अमेरिकी वाणिज्य मंत्री

नई दिल्ली: अमेरिका चाहता है कि यहां काम कर रही उसकी कंपनियों के लिये भारत व्यापार करने और आंकड़ों के स्थानीय रूप से रखे जाने के संदर्भ में बाधाओं को कम करे ताकि कारोबार करने की लागत कम हो. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने मंगलवार को यह बात कही. 

उन्होंने यहां कहा, "हम चाहते हैं कि यहां काम कर रही अमेरिकी कंपनियों के लिये बाधाओं को दूर किया जाए. इसमें आंकड़ों के स्थानीय रूप से रखे जाने की पाबंदी शामिल हैं. इससे वास्तव में आंकड़ों की सुरक्षा कमजोर होती है तथा कारोबार की लागत बढ़ती है."

रॉस ने ट्रेड विंड फोरम और ट्रेड मिश्न को संबोधित करते हुए यह बात कही. वह 100 अमेरिकी कारोबारियों के प्रतिनिधियों के साथ यहां आये हुए हैं.

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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत वाहन, मोटरसाइकिल और कृषि उत्पाद जैसे सामानों पर उच्च दर से आयात शुल्क लगाता है. 

रॉस ने कहा, "अमेरिकी कंपनियों को फिलहाल बाजार पहुंच संबंधी कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. इसमें शुल्क और गैर-शुल्क बाधाएं शामिल हैं. साथ ही कई ऐसी गतिविधियां और नियमन हैं जो विदेशी कंपनियों के लिये नुकसानदायक है."

उन्होंने कहा, "भारत में औसत शुल्क की दर 13.8 प्रतिशत है और यह दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक है. उदाहरण के लिये वाहनों पर 60 प्रतिशत शुल्क जबकि अमेरिका में 2.5 प्रतिशत है. मोटरसाइकिल पर 50 प्रतिशत तथा अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों पर 150 प्रतिशत है."

अमेरिकी मंत्री ने कहा कि भारत कृषि उत्पादों पर औसतन 113.5 प्रतिशत की दर से तथा कुछ उत्पादों पर 300 प्रतिशत शुल्क लगा रहा है जो काफी ऊंचा है.

हालांकि भारत के व्यापार विशेषज्ञ अमेरिकी की इस बात को काटते हैं कि भारत शुल्क लगाने में सबसे आगे है और उसके पास कृषि जैसे विशेष क्षेत्रों के हितों की रक्षा के लिये सभी अधिकार है.

रॉस ने कहा कि हम भारत सरकार के साथ काम कर रहे हैं तथा हमारे निजी क्षेत्र के भागीदार बाजार में प्रवेश के मसले को अमेरिका-भारत वाणिज्यिक वार्ता तथा अमेरिका-भारत सीईओ मंच के जरिये समाधान करेंगे. 

अमेरिकी कंपनियों के समक्ष बड़ी बाधाओं में चिकित्सा उपकरणों पर कीमत नियंत्रण तथा प्रतिबंधात्मक शुल्क तथा इलेक्ट्रानिकक्स एवं दूरसंचार उत्पादों की जांच शामिल हैं. 

उन्होंने कहा कि राउटर, स्विच तथा सेल्यूलर फोन के कल-पुर्जो पर आयात शुल्क 20 प्रतिशत है. रॉस ने कहा कि दूसरी तरफ अमेरिका द्वारा भारत से आयातित इन उत्पादों पर शुल्क शून्य है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि नई सरकार इन मामलों पर गौर करेगी.


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