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कोविड-19 से निपटने के लिए सोच-समझ कर प्रोत्साहन पैकेज दे भारत: पनगढ़िया

पनगढ़िया ने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए भारत को सोच-समझ कर प्रोत्साहन पैकेज देना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन पैकेज कोविड-19 संकट में सभी की प्रमुख जरूरतों को पूरा करने वाला होना चाहिए.

कोविड-19 से निपटने के लिए सोच-समझ कर प्रोत्साहन पैकेज दे भारत: पनगढ़िया
कोविड-19 से निपटने के लिए सोच-समझ कर प्रोत्साहन पैकेज दे भारत: पनगढ़िया
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Published : Apr 19, 2020, 2:13 PM IST

न्यूयार्क: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि कोविड-19 संकट से निपटने के लिए भारत को बड़ा राहत और प्रोत्साहन पैकेज देने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में बड़े प्रोत्साहन पैकेज की मांग उठ रही है, लेकिन उसे इससे बचना चाहिए.

उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर कुछ ऐसी कंपनियों को भी आसान कर्ज मिल जाएगा, जिनका कारोबार आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं है.

पनगढ़िया ने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए भारत को सोच-समझ कर प्रोत्साहन पैकेज देना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन पैकेज कोविड-19 संकट में सभी की प्रमुख जरूरतों को पूरा करने वाला होना चाहिए.

ये भी पढ़ें-गैर-आवश्यक वस्तुओं की बिक्री नहीं कर सकेंगी ई-कॉमर्स कंपनियां: गृह मंत्रालय

पनगढ़िया ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत के पास भी कोविड-19 संकट के निपटने के लिए कठिन विकल्प हैं.

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने पीटीआई-भाषा से कहा, "अपने संसाधनों और प्रबंधन क्षमताओं को देखते हुए अभी तक भारत सही रास्ते पर है."

भारत के लिए आगे के रास्ते का उल्लेख करते हुए पनगढ़िया ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य और आर्थिक चिंताओं की वजह से देश में कई हलकों से एक बड़े राहत एवं प्रोत्साहन पैकेज की मांग उठ रही है.

उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ तो इतने बड़े पैकेज की मांग हो रही है, जो कुछ वर्गों के लिए कोरोना वायरस से पहले के जीवनस्तर से अधिक है.

कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा कि इन पैकेज में ऐसी कंपनियों को भी आसान ऋण उपलब्ध कराने की मांग हो रही है, जिनका कारोबार आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं है. ऐसे में कोरोना के बाद की दुनिया में उनको एक लंबी जीवनरेखा मिल जाएगी.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को बड़े पैकेज की मांग के दबाव में नहीं आना चाहिए. उसे सिर्फ लोगों की बुनियादी जरूरतों मसलन भोजन, आश्रय आदि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. सभी बकाया ऋणों पर भुगतान को टालना चाहिए. और कुछ अतिरिक्त कार्यशील पूंजी का प्रावधान करना चाहिए.

पनगढ़िया ने कहा कि भविष्य के करदाताओं को सरकार द्वारा आज किए जाने खर्च की भरपाई करनी होगी. सरकार यह खर्च कर्ज लेकर या नए नोट छापकर पूरा करेगी.

उन्होंने कहा, "नई मुद्रा की छपाई से तत्काल मुदास्फीति नहीं बढ़ेगी. इसकी वजह यह है कि खर्चीला सामान उपलब्ध ही नहीं होगा."

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को विश्व बैंक की विकास समिति की 101वीं पूर्ण बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत जल्द कोविड-19 से प्रभावित उद्योगों और गरीबों को राहत के लिए प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करेगा.

(पीटीआई-भाषा)

न्यूयार्क: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि कोविड-19 संकट से निपटने के लिए भारत को बड़ा राहत और प्रोत्साहन पैकेज देने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में बड़े प्रोत्साहन पैकेज की मांग उठ रही है, लेकिन उसे इससे बचना चाहिए.

उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर कुछ ऐसी कंपनियों को भी आसान कर्ज मिल जाएगा, जिनका कारोबार आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं है.

पनगढ़िया ने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए भारत को सोच-समझ कर प्रोत्साहन पैकेज देना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन पैकेज कोविड-19 संकट में सभी की प्रमुख जरूरतों को पूरा करने वाला होना चाहिए.

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पनगढ़िया ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत के पास भी कोविड-19 संकट के निपटने के लिए कठिन विकल्प हैं.

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने पीटीआई-भाषा से कहा, "अपने संसाधनों और प्रबंधन क्षमताओं को देखते हुए अभी तक भारत सही रास्ते पर है."

भारत के लिए आगे के रास्ते का उल्लेख करते हुए पनगढ़िया ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य और आर्थिक चिंताओं की वजह से देश में कई हलकों से एक बड़े राहत एवं प्रोत्साहन पैकेज की मांग उठ रही है.

उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ तो इतने बड़े पैकेज की मांग हो रही है, जो कुछ वर्गों के लिए कोरोना वायरस से पहले के जीवनस्तर से अधिक है.

कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा कि इन पैकेज में ऐसी कंपनियों को भी आसान ऋण उपलब्ध कराने की मांग हो रही है, जिनका कारोबार आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं है. ऐसे में कोरोना के बाद की दुनिया में उनको एक लंबी जीवनरेखा मिल जाएगी.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को बड़े पैकेज की मांग के दबाव में नहीं आना चाहिए. उसे सिर्फ लोगों की बुनियादी जरूरतों मसलन भोजन, आश्रय आदि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. सभी बकाया ऋणों पर भुगतान को टालना चाहिए. और कुछ अतिरिक्त कार्यशील पूंजी का प्रावधान करना चाहिए.

पनगढ़िया ने कहा कि भविष्य के करदाताओं को सरकार द्वारा आज किए जाने खर्च की भरपाई करनी होगी. सरकार यह खर्च कर्ज लेकर या नए नोट छापकर पूरा करेगी.

उन्होंने कहा, "नई मुद्रा की छपाई से तत्काल मुदास्फीति नहीं बढ़ेगी. इसकी वजह यह है कि खर्चीला सामान उपलब्ध ही नहीं होगा."

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को विश्व बैंक की विकास समिति की 101वीं पूर्ण बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत जल्द कोविड-19 से प्रभावित उद्योगों और गरीबों को राहत के लिए प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा करेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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