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2020 में कैसा रहा भारतीय खुदरा क्षेत्र

भारतीय खुदरा क्षेत्र ने वर्ष 2020 में एक विशाल परिवर्तन का सामना किया. बड़े व्यापारिक सौदे, बदलते व्यापारिक मॉडल, ऑनलाइन बिक्री और अंसगठित क्षेत्रों की मजबूती समेत समाम तमाम समीकरण तेजी से बदलें. आइए एक नजर डालते हैं कि खुदरा क्षेत्र के लिए कैसा रहा साल 2020.

2020 में कैसा रहा भारतीय खुदरा क्षेत्र
2020 में कैसा रहा भारतीय खुदरा क्षेत्र
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Published : Dec 31, 2020, 4:06 PM IST

बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत : भारतीय खुदरा क्षेत्र ने वर्ष 2020 में एक विशाल परिवर्तन का सामना किया. चाहें बड़े शॉपिंग मॉल या सुपरमार्केट जैसे संगठित खुदरा क्षेत्र हो, या देश के अंसगठित स्थानीय बाजार, सभी को इस वर्ष बाजार में बने रहने के लिए अपने व्यापार मॉडल में आवश्यक बदलाव करना पड़ा.

इस दौरान कुछ संभल गए और कुछ को अफना व्यापार बड़े खिलाड़ियों का देना पड़ा. आइए साल 2020 में आए भारतीय खुदरा क्षेत्र के कुछ प्रमुख रुझानों पर एक नजर डालते हैं.

बड़े सौदों का वर्ष

साल 2020 ने हाल के वर्षों में हुए कुछ सबसे बड़े खुदरा क्षेत्र के सौदों को देखा. स्पष्ट रूप से इनमें शीर्ष पर मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल द्वारा भारत के दूसरे सबसे बड़े खुदरा विक्रेता किशोर बियानी की फ्यूचर रिटेल का अधिग्रहण होगा. यह सौदा 24,713 करोड़ रुपये में हो रहा है.

दिलचस्प बात यह कि इस सौदे से भारत के तेजी से बढ़ते खुदरा बाजार, जिसके 2025 तक 1.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने के आसार हैं, के दिग्गज आमने-सामने आ गए.

ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन ने इस सौदे को 2019 में फ्यूचर ग्रुप के साथ हुए अपने समझौते का उल्लंघन बताते हुए दृढ़ता के साथ विरोध किया.

इस मामले पर वर्तमान में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अदालतों में सुनवाई चल रही है और मामले का परिणाम यह निर्धारित करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा कि भारतीय खुदरा बाजार में किसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी.

2020 में इसके अलावा वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले ऑनलाइन रिटेलर फ्लिपकार्ट ने भी आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड में 7.8% हिस्सेदारी खरीदी थी.

किराने की दुकानों का उदय

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगा लॉकडाउन देश भर के खुदरा क्षेत्र के लिए एक बुरा स्वप्न बन कर सामने आया, क्योंकि मॉल और बाजार महीनों तक के लिए बंद रहे और प्रतिबंध के चलते लोग घरों में ही रहे.

ऐसे समय में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए लोकल किराने की दुकानें आगे आएं.

इसिलिए इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं है कि भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जियो मार्ट के रूप में सबसे बड़े ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन (ओटूओ) ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने के लिए इन दुकानों को भागीदार के रूप में चुना. यह एक ऐसा ओटूओ व्यापार प्लेटफॉर्म है, जहां ग्राहक ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं, लेकिन उत्पादों को ऑफलाइन (निकटतम स्थानीय खुदरा स्टोर से) खरीदते हैं.

कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल स्टोरों द्वारा किराना स्टोरों को गोद लेने की गति तेज हो गई. स्थानीय किराना दुकानदार भी अब ऑनलाइन डिलीवरी और आपूर्ति प्लेटफार्मों के साथ साझेदारी करने के इच्छुक हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह इन विपरीत समय में उन्हें व्यापार बढ़ाने में मदद करेगा.

ऑनलाइन शॉपिंग ने रफ्तार पकड़ी

लॉकडाउन के दौरान लगे प्रतिबंधों और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों ने ऑनलाइन सेक्टर में उफान ला दिया. खुदरा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा.

टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी लोगों ने जमकर ऑनलाइन खरीदारी की. आवश्यक से लेकर गैर आवश्यक सभी तरह के ऑनलाइन वेबसाइट ने 2020 में मांग में भारी वृद्धि दर्ज की.

ग्राहकों ने परिधान, आभूषण, जूते से लेकर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्यूरेबल्स, आईटी और यहां तक ​​कि कार और प्रॉपर्टी तक की लगभग सभी चीजें ऑनलाइन खरीदी.

अब, जब देश आने वाले महीनों में लगभग 300 मिलियन लोगों का टीकाकरण करने की तैयारी कर रहा है, तो उद्योग को उम्मीद है कि ऑफलाइन रिटेल चैनल वापस सक्रिय होंगे. हालांकि, स्थिति में पूरा सुधार अगले साल के अंत तक संभव हो सकता है.

ये भी पढ़ें : महामारी के बाद नए साल में निर्यात बढ़ने की उम्मीद

बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत : भारतीय खुदरा क्षेत्र ने वर्ष 2020 में एक विशाल परिवर्तन का सामना किया. चाहें बड़े शॉपिंग मॉल या सुपरमार्केट जैसे संगठित खुदरा क्षेत्र हो, या देश के अंसगठित स्थानीय बाजार, सभी को इस वर्ष बाजार में बने रहने के लिए अपने व्यापार मॉडल में आवश्यक बदलाव करना पड़ा.

इस दौरान कुछ संभल गए और कुछ को अफना व्यापार बड़े खिलाड़ियों का देना पड़ा. आइए साल 2020 में आए भारतीय खुदरा क्षेत्र के कुछ प्रमुख रुझानों पर एक नजर डालते हैं.

बड़े सौदों का वर्ष

साल 2020 ने हाल के वर्षों में हुए कुछ सबसे बड़े खुदरा क्षेत्र के सौदों को देखा. स्पष्ट रूप से इनमें शीर्ष पर मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल द्वारा भारत के दूसरे सबसे बड़े खुदरा विक्रेता किशोर बियानी की फ्यूचर रिटेल का अधिग्रहण होगा. यह सौदा 24,713 करोड़ रुपये में हो रहा है.

दिलचस्प बात यह कि इस सौदे से भारत के तेजी से बढ़ते खुदरा बाजार, जिसके 2025 तक 1.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने के आसार हैं, के दिग्गज आमने-सामने आ गए.

ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन ने इस सौदे को 2019 में फ्यूचर ग्रुप के साथ हुए अपने समझौते का उल्लंघन बताते हुए दृढ़ता के साथ विरोध किया.

इस मामले पर वर्तमान में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अदालतों में सुनवाई चल रही है और मामले का परिणाम यह निर्धारित करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा कि भारतीय खुदरा बाजार में किसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी.

2020 में इसके अलावा वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले ऑनलाइन रिटेलर फ्लिपकार्ट ने भी आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड में 7.8% हिस्सेदारी खरीदी थी.

किराने की दुकानों का उदय

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगा लॉकडाउन देश भर के खुदरा क्षेत्र के लिए एक बुरा स्वप्न बन कर सामने आया, क्योंकि मॉल और बाजार महीनों तक के लिए बंद रहे और प्रतिबंध के चलते लोग घरों में ही रहे.

ऐसे समय में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए लोकल किराने की दुकानें आगे आएं.

इसिलिए इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं है कि भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जियो मार्ट के रूप में सबसे बड़े ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन (ओटूओ) ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने के लिए इन दुकानों को भागीदार के रूप में चुना. यह एक ऐसा ओटूओ व्यापार प्लेटफॉर्म है, जहां ग्राहक ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं, लेकिन उत्पादों को ऑफलाइन (निकटतम स्थानीय खुदरा स्टोर से) खरीदते हैं.

कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल स्टोरों द्वारा किराना स्टोरों को गोद लेने की गति तेज हो गई. स्थानीय किराना दुकानदार भी अब ऑनलाइन डिलीवरी और आपूर्ति प्लेटफार्मों के साथ साझेदारी करने के इच्छुक हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह इन विपरीत समय में उन्हें व्यापार बढ़ाने में मदद करेगा.

ऑनलाइन शॉपिंग ने रफ्तार पकड़ी

लॉकडाउन के दौरान लगे प्रतिबंधों और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों ने ऑनलाइन सेक्टर में उफान ला दिया. खुदरा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा.

टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी लोगों ने जमकर ऑनलाइन खरीदारी की. आवश्यक से लेकर गैर आवश्यक सभी तरह के ऑनलाइन वेबसाइट ने 2020 में मांग में भारी वृद्धि दर्ज की.

ग्राहकों ने परिधान, आभूषण, जूते से लेकर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्यूरेबल्स, आईटी और यहां तक ​​कि कार और प्रॉपर्टी तक की लगभग सभी चीजें ऑनलाइन खरीदी.

अब, जब देश आने वाले महीनों में लगभग 300 मिलियन लोगों का टीकाकरण करने की तैयारी कर रहा है, तो उद्योग को उम्मीद है कि ऑफलाइन रिटेल चैनल वापस सक्रिय होंगे. हालांकि, स्थिति में पूरा सुधार अगले साल के अंत तक संभव हो सकता है.

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