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राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के प्रबंध पर जीएसटी परिषद की बैठक में नहीं बन पाई सहमति - जीएसटी परिषद

एक सप्ताह के भीतर सोमवार को इसकी दूसरी बैठक हुई. केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी राजस्व की भरपाई को लेकर राज्यों के समक्ष रखे गये प्रस्ताव पर सभी राज्य एकमत नहीं हो पाये हैं. राजस्व भरपाई के मुद्दे पर यह लगातार तीसरी बैठक हैं जिसमें कोई निर्णय नहीं हो पाया.

राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के प्रबंध पर जीएसटी परिषद की बैठक में नहीं बन पाई सहमति
राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के प्रबंध पर जीएसटी परिषद की बैठक में नहीं बन पाई सहमति
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Published : Oct 12, 2020, 11:31 PM IST

नई दिल्ली: राज्यों के माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह में आने वाली कमी की भरपाई के तौर तरीकों को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने पर सोमवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में भी कोई सर्वसम्मति नहीं बन पाई. जीएसटी पर निर्णय लेने वाला जीएसटी परिषद सर्वोच्च निकाय है.

एक सप्ताह के भीतर सोमवार को इसकी दूसरी बैठक हुई. केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी राजस्व की भरपाई को लेकर राज्यों के समक्ष रखे गये प्रस्ताव पर सभी राज्य एकमत नहीं हो पाये हैं. राजस्व भरपाई के मुद्दे पर यह लगातार तीसरी बैठक हैं जिसमें कोई निर्णय नहीं हो पाया.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने परिषद की सोमवार की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि केन्द्र सरकार बाजार से कर्ज जुटाकर राज्यों के राजस्व की भरपाई नहीं कर सकती है. इससे बॉंड प्रतिफल में तेजी आ जायेगी और परिणामस्वरूप बाजार में कर्ज महंगा हो जायेगा. सरकार और निजी क्षेत्र सभी के लिये कर्ज की लागत बढ़ जायेगी.

सीतारमण ने कहा लेकिन यदि राज्य खुद भविष्य में होने वाली जीएसटी प्राप्ति के एवज में बाजार से कर्ज उठाते हैं तो उस स्थिति में ऐसा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि 21 राज्य पहले ही केन्द्र के इस संबंध में रखे गये विकल्प पर अपनी सहमति जता चुके हैं. लेकिन कुछ राज्य इस मुद्दे पर आम सहमति से निर्णय लेने को लेकर जोर दे रहे हैं.

सीतारमण ने कहा, "हम आम सहमति नहीं बना पाये हैं."

पिछले सप्ताह पांच अक्टूबर को हुई बैठक में जीएसटी परिषद ने कार, तंबाकू और ऐसे ही कुछ अन्य विलासिता, अहितकर उत्पादों पर लगाये जाने वाले उपकर की अवधि जून 2022 के बाद भी जारी रखने पर सहमति जताई है. लेकिन राज्यों की क्षतिपूर्ति कैसे हो इसको लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है.

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कोविड- 19 महामारी के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते माल एवं सेवाकर (जीएसटी) राजस्व में बड़ी कमी आने का अनुमान है.

चालू वित्त वर्ष के दौरान यह कमी 2.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है. राजस्व की भरपाई के लिये केन्द्र सरकार ने अगस्त में राज्यों के समक्ष दो विकल्प रखे हैं. या तो राज्य रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले विशेष खिड़की से 97,000 करोड़ रुपये कर्ज लेकर भरपाई करें या फिर पूरी 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि को बाजार से उठायें.

ये भी पढ़ें: उद्योग जगत ने मांग को बढ़ावा देने के लिये सरकार के प्रोत्साहन उपायों की सराहना की

केन्द्र ने राज्यों के कर्ज का भुगतान विलासिता और गैर- प्राथमिकता वाली अहितकर वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी उपकर को 2022 के बाद भी जारी रखने का प्रस्ताव किया है ताकि राज्य इससे प्राप्त राजस्व से अपने कर्ज का भुगतान कर सकें. कुछ राज्यों की मांग पर 97,000 करोड़ रुपये की राशि को बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.

भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों के शासन वाले 21 राज्यों ने इस विकल्प पर सहमति जताई है और जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये 1.10 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने को तैयार हैं.

केन्द्र सरकार चालू वित्त वर्ष में अब तक राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये 20,000 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है. जीएसटी के तहत विभिन्न वस्तुओं पर 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूला जाता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: राज्यों के माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह में आने वाली कमी की भरपाई के तौर तरीकों को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने पर सोमवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में भी कोई सर्वसम्मति नहीं बन पाई. जीएसटी पर निर्णय लेने वाला जीएसटी परिषद सर्वोच्च निकाय है.

एक सप्ताह के भीतर सोमवार को इसकी दूसरी बैठक हुई. केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी राजस्व की भरपाई को लेकर राज्यों के समक्ष रखे गये प्रस्ताव पर सभी राज्य एकमत नहीं हो पाये हैं. राजस्व भरपाई के मुद्दे पर यह लगातार तीसरी बैठक हैं जिसमें कोई निर्णय नहीं हो पाया.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने परिषद की सोमवार की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि केन्द्र सरकार बाजार से कर्ज जुटाकर राज्यों के राजस्व की भरपाई नहीं कर सकती है. इससे बॉंड प्रतिफल में तेजी आ जायेगी और परिणामस्वरूप बाजार में कर्ज महंगा हो जायेगा. सरकार और निजी क्षेत्र सभी के लिये कर्ज की लागत बढ़ जायेगी.

सीतारमण ने कहा लेकिन यदि राज्य खुद भविष्य में होने वाली जीएसटी प्राप्ति के एवज में बाजार से कर्ज उठाते हैं तो उस स्थिति में ऐसा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि 21 राज्य पहले ही केन्द्र के इस संबंध में रखे गये विकल्प पर अपनी सहमति जता चुके हैं. लेकिन कुछ राज्य इस मुद्दे पर आम सहमति से निर्णय लेने को लेकर जोर दे रहे हैं.

सीतारमण ने कहा, "हम आम सहमति नहीं बना पाये हैं."

पिछले सप्ताह पांच अक्टूबर को हुई बैठक में जीएसटी परिषद ने कार, तंबाकू और ऐसे ही कुछ अन्य विलासिता, अहितकर उत्पादों पर लगाये जाने वाले उपकर की अवधि जून 2022 के बाद भी जारी रखने पर सहमति जताई है. लेकिन राज्यों की क्षतिपूर्ति कैसे हो इसको लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है.

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कोविड- 19 महामारी के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते माल एवं सेवाकर (जीएसटी) राजस्व में बड़ी कमी आने का अनुमान है.

चालू वित्त वर्ष के दौरान यह कमी 2.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है. राजस्व की भरपाई के लिये केन्द्र सरकार ने अगस्त में राज्यों के समक्ष दो विकल्प रखे हैं. या तो राज्य रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले विशेष खिड़की से 97,000 करोड़ रुपये कर्ज लेकर भरपाई करें या फिर पूरी 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि को बाजार से उठायें.

ये भी पढ़ें: उद्योग जगत ने मांग को बढ़ावा देने के लिये सरकार के प्रोत्साहन उपायों की सराहना की

केन्द्र ने राज्यों के कर्ज का भुगतान विलासिता और गैर- प्राथमिकता वाली अहितकर वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी उपकर को 2022 के बाद भी जारी रखने का प्रस्ताव किया है ताकि राज्य इससे प्राप्त राजस्व से अपने कर्ज का भुगतान कर सकें. कुछ राज्यों की मांग पर 97,000 करोड़ रुपये की राशि को बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.

भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों के शासन वाले 21 राज्यों ने इस विकल्प पर सहमति जताई है और जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये 1.10 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने को तैयार हैं.

केन्द्र सरकार चालू वित्त वर्ष में अब तक राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये 20,000 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है. जीएसटी के तहत विभिन्न वस्तुओं पर 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूला जाता है.

(पीटीआई-भाषा)

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