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कड़े लॉकडाउन से प्रभावित हुई वृद्धि, कुछ क्षेत्रों में तेजी से सुधार दृष्टिगत: मुख्य आर्थिक सलाहकार

मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी. सुब्रमण्यन ने कहा कि कड़े लॉकडाउन के बाद यह जीडीपी आंकड़े उम्मीद के अनुरूप हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि अनलॉक (लॉकडाउन खोलने की प्रक्रिया) की घोषणा के बाद से देश की अर्थव्यवस्था में वी आकार का सुधार देखा जा रहा है.

कड़े लॉकडाउन से प्रभावित हुई वृद्धि, कुछ क्षेत्रों में तेजी से सुधार दृष्टिगत: मुख्य आर्थिक सलाहकार
कड़े लॉकडाउन से प्रभावित हुई वृद्धि, कुछ क्षेत्रों में तेजी से सुधार दृष्टिगत: मुख्य आर्थिक सलाहकार
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Published : Sep 1, 2020, 11:18 AM IST

नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी. सुब्रमण्यन का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट का मुख्य कारण कोविड-19 संक्रमण रोकने के लिए लगाया गया कड़ा लॉकडाउन है.

उल्लेखनीय है कि सोमवार को सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तीसरी तिमाही वृद्धि दर के आंकड़े जारी किए हैं जिसमें कृषि को छोड़ कर बाकी सभी क्षेत्रों में भारी गिरावट दर्ज की गयी है.

उन्होंने कहा कि आने वाली तिमाहियों में देश बेहतर प्रदर्शन करेगा. कई क्षेत्रों में वी आकार (ग्राफ चार्ट पर अंग्रेजी के वी अक्षर भांति) का तेज सुधार देखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें-जीडीपी डेटा: कृषि में राहत; निर्माण, व्यापार, यात्रा और होटल बुरी तरह प्रभावित

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 संकट से प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत गिरी है. यह अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट है. जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत थी.

सुब्रमण्यन ने कहा कि बिजली उपभोग और रेल मालवहन जैसे संकेत दिखा रहे हैं कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है.

उन्होंने कहा, "कड़े लॉकडाउन के बाद यह जीडीपी आंकड़े उम्मीद के अनुरूप हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि अनलॉक (लॉकडाउन खोलने की प्रक्रिया) की घोषणा के बाद से देश की अर्थव्यवस्था में वी आकार का सुधार देखा जा रहा है."

कुछ उदाहरण देते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों के प्रमुख संकेतकों में से एक रेल मालवहन जुलाई में पिछले साल के करीब 95 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है. वहीं अगस्त के शुरुआती 26 दिन में यह सालाना आधार पर छह प्रतिशत अधिक रहा.

बिजली उपभोग पिछले साल के मुकाबले मात्र 1.9 प्रतिशत कम है.

उन्होंने कहा, "इसी तरह अंतरराज्यीय व्यापार के लिए इस्तेमाल होने वाले ई-वे बिल अगस्त में 99.8 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गए हैं जसे स्थानीय लॉकडाउन के चलते प्रभावित हुए थे."

वहीं आठ बुनियादी क्षेत्रों के बारे में सुब्रमण्यन ने कहा कि इन क्षेत्रों के उत्पादन में अप्रैल में 38 प्रतिशत की गिरावट आयी थी, लेकिन संकुचन की यह दर मई में घटकर 22 प्रतिशत, जून में 13 प्रतिशत और जुलाई में 9.6 प्रतिशत पर आ गयी.

उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था में तेज सुधार दिख रहा है. सबसे अहम बात यह है कि कृषि क्षेत्र इकलौता ऐसा क्षेत्र है जिसने लॉकडाउन के बावजूद पहली तिमाही में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है. यह सरकार के आवश्यक वस्तु अधिनियम और कृषि उत्पाद मंडी समिति से जुड़े सुधारों को दिखाता है."

यह शहरी मुद्रास्फीति की तुलना में ग्रामीण मुद्रास्फीति के ऊंचे रहने को भी दृष्टिगत करता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी. सुब्रमण्यन का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट का मुख्य कारण कोविड-19 संक्रमण रोकने के लिए लगाया गया कड़ा लॉकडाउन है.

उल्लेखनीय है कि सोमवार को सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तीसरी तिमाही वृद्धि दर के आंकड़े जारी किए हैं जिसमें कृषि को छोड़ कर बाकी सभी क्षेत्रों में भारी गिरावट दर्ज की गयी है.

उन्होंने कहा कि आने वाली तिमाहियों में देश बेहतर प्रदर्शन करेगा. कई क्षेत्रों में वी आकार (ग्राफ चार्ट पर अंग्रेजी के वी अक्षर भांति) का तेज सुधार देखा जा रहा है.

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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 संकट से प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत गिरी है. यह अब तक की सबसे बड़ी तिमाही गिरावट है. जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत थी.

सुब्रमण्यन ने कहा कि बिजली उपभोग और रेल मालवहन जैसे संकेत दिखा रहे हैं कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है.

उन्होंने कहा, "कड़े लॉकडाउन के बाद यह जीडीपी आंकड़े उम्मीद के अनुरूप हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि अनलॉक (लॉकडाउन खोलने की प्रक्रिया) की घोषणा के बाद से देश की अर्थव्यवस्था में वी आकार का सुधार देखा जा रहा है."

कुछ उदाहरण देते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों के प्रमुख संकेतकों में से एक रेल मालवहन जुलाई में पिछले साल के करीब 95 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है. वहीं अगस्त के शुरुआती 26 दिन में यह सालाना आधार पर छह प्रतिशत अधिक रहा.

बिजली उपभोग पिछले साल के मुकाबले मात्र 1.9 प्रतिशत कम है.

उन्होंने कहा, "इसी तरह अंतरराज्यीय व्यापार के लिए इस्तेमाल होने वाले ई-वे बिल अगस्त में 99.8 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गए हैं जसे स्थानीय लॉकडाउन के चलते प्रभावित हुए थे."

वहीं आठ बुनियादी क्षेत्रों के बारे में सुब्रमण्यन ने कहा कि इन क्षेत्रों के उत्पादन में अप्रैल में 38 प्रतिशत की गिरावट आयी थी, लेकिन संकुचन की यह दर मई में घटकर 22 प्रतिशत, जून में 13 प्रतिशत और जुलाई में 9.6 प्रतिशत पर आ गयी.

उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था में तेज सुधार दिख रहा है. सबसे अहम बात यह है कि कृषि क्षेत्र इकलौता ऐसा क्षेत्र है जिसने लॉकडाउन के बावजूद पहली तिमाही में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है. यह सरकार के आवश्यक वस्तु अधिनियम और कृषि उत्पाद मंडी समिति से जुड़े सुधारों को दिखाता है."

यह शहरी मुद्रास्फीति की तुलना में ग्रामीण मुद्रास्फीति के ऊंचे रहने को भी दृष्टिगत करता है.

(पीटीआई-भाषा)

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