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सरकार ने खतरनाक और अन्य अपशिष्ट नियमों में संशोधन किया

पर्यावरण मंत्रालय ने देश में खतरनाक अपशिष्ट के सही तरह से प्रबंधन के क्रियान्वयन को मजबूत करने के लिए एक आदेश के जरिए संशोधन किया है. जिसमें ठोस प्लास्टिक के आयात पर प्रतिबंध भी शामिल है.

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Published : Mar 7, 2019, 11:30 AM IST

नई दिल्ली : केंद्र ने खतरनाक और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में संशोधन किया है. विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) और निर्यात उन्मुखी इकाईयों (ईओयू) द्वारा ठोस प्लास्टिक अपशिष्ट के आयात पर प्रतिबंध को इसमें शामिल किया गया है. पर्यावरण मंत्रालय ने देश में खतरनाक अपशिष्ट के सही तरह से प्रबंधन के क्रियान्वयन को मजबूत करने के लिए एक आदेश के जरिए संशोधन किया है.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नियमों के तहत प्रक्रिया को सामान्य बनाते हुए कारोबार में सुगमता और मेक इन इंडिया पहल को बढावा देने पर विचार करते हुए यह संशोधन किया गया है. इसके साथ ही सतत विकास के सिद्धांतों को बरकरार रखा गया है और यह भी ध्यान रखा गया है कि पर्यावरण पर न्यूनतम असर हो.

एसईजेड और ईओयू सेक्टरों सहित खतरनाक प्लास्टिक कचरे को आयात करने से रोकने के अलावा, खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और बाउन्ड्री आंदोलन) संशोधन नियम, 2019 ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनुमति लेने से रेशम कचरे के निर्यातकों को छूट दी है.

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"विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक असेंबली और भारत में निर्मित और निर्यात किए गया घटक, यदि दोषपूर्ण पाया जाता है तो अब मंत्रालय से अनुमति प्राप्त किए बिना, निर्यात के एक वर्ष के भीतर देश में वापस आयात किया जा सकता है.
(भाषा)
पढ़ें : वन नेशन वन कार्ड से कर सकेंगे पूरे देश में सफर, जानिए कैसे

नई दिल्ली : केंद्र ने खतरनाक और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में संशोधन किया है. विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) और निर्यात उन्मुखी इकाईयों (ईओयू) द्वारा ठोस प्लास्टिक अपशिष्ट के आयात पर प्रतिबंध को इसमें शामिल किया गया है. पर्यावरण मंत्रालय ने देश में खतरनाक अपशिष्ट के सही तरह से प्रबंधन के क्रियान्वयन को मजबूत करने के लिए एक आदेश के जरिए संशोधन किया है.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नियमों के तहत प्रक्रिया को सामान्य बनाते हुए कारोबार में सुगमता और मेक इन इंडिया पहल को बढावा देने पर विचार करते हुए यह संशोधन किया गया है. इसके साथ ही सतत विकास के सिद्धांतों को बरकरार रखा गया है और यह भी ध्यान रखा गया है कि पर्यावरण पर न्यूनतम असर हो.

एसईजेड और ईओयू सेक्टरों सहित खतरनाक प्लास्टिक कचरे को आयात करने से रोकने के अलावा, खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और बाउन्ड्री आंदोलन) संशोधन नियम, 2019 ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनुमति लेने से रेशम कचरे के निर्यातकों को छूट दी है.

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"विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक असेंबली और भारत में निर्मित और निर्यात किए गया घटक, यदि दोषपूर्ण पाया जाता है तो अब मंत्रालय से अनुमति प्राप्त किए बिना, निर्यात के एक वर्ष के भीतर देश में वापस आयात किया जा सकता है.
(भाषा)
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नई दिल्ली : केंद्र ने खतरनाक और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में संशोधन किया है. विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) और निर्यात उन्मुखी इकाईयों (ईओयू) द्वारा ठोस प्लास्टिक अपशिष्ट के आयात पर प्रतिबंध को इसमें शामिल किया गया है. पर्यावरण मंत्रालय ने देश में खतरनाक अपशिष्ट के सही तरह से प्रबंधन के क्रियान्वयन को मजबूत करने के लिए एक आदेश के जरिए संशोधन किया है.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नियमों के तहत प्रक्रिया को सामान्य बनाते हुए कारोबार में सुगमता और मेक इन इंडिया पहल को बढावा देने पर विचार करते हुए यह संशोधन किया गया है. इसके साथ ही सतत विकास के सिद्धांतों को बरकरार रखा गया है और यह भी ध्यान रखा गया है कि पर्यावरण पर न्यूनतम असर हो.

एसईजेड और ईओयू सेक्टरों सहित खतरनाक प्लास्टिक कचरे को आयात करने से रोकने के अलावा, खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और बाउन्ड्री आंदोलन) संशोधन नियम, 2019 ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनुमति लेने से रेशम कचरे के निर्यातकों को छूट दी है.

"विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक असेंबली और भारत में निर्मित और निर्यात किए गया घटक, यदि दोषपूर्ण पाया जाता है तो अब मंत्रालय से अनुमति प्राप्त किए बिना, निर्यात के एक वर्ष के भीतर देश में वापस आयात किया जा सकता है.

(भाषा)

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