नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 के लिए 14 दिसंबर से लेकर 23 दिसंबर, 2020 के बीच आभासी रूप से आयोजित बजट - पूर्व परामर्श बैठकों की अध्यक्षता की.
इस अवधि के दौरान निर्धारित 15 बैठकों में 9 हितधारक समूहों के 170 से अधिक आमंत्रित प्रतिनिधियों ने भाग लिया. हितधारक समूहों में वित्तीय एवं पूंजी बाजार; स्वास्थ्य, शिक्षा एवं ग्रामीण विकास; पानी एवं स्वच्छता संबंधी व्यवस्था; ट्रेड यूनियन एवं श्रम संगठन; उद्योग, सेवाएं एवं व्यापार; बुनियादी ढांचा, ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र; कृषि एवं कृषि प्रसंस्करण उद्योग; उद्योगपति; और अर्थशास्त्री शामिल हैं.
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, वित्त सचिव डॉ. ए.बी. पांडे; डीआईपीएएम के सचिव तुहिन कांता पांडे; व्यय सचिव टी वी सोमनाथन; डीईए के सचिव तरुण बजाज; मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन और वित्त मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में भाग लिया.
इन हितधारक समूहों ने विभिन्न विषयों पर कई सुझाव दिए जिनमें कराधान समेत राजकोषीय नीति; बॉन्ड बाजार; बीमा; अवसंरचना संबंधी व्यय; स्वास्थ्य एवं शिक्षा बजट; सामाजिक सुरक्षा; कौशल विकास; जल संचयन एवं संरक्षण; स्वच्छता; एमजीएनआरईजीए; सार्वजनिक वितरण प्रणाली; व्यापार करने में आसानी; उत्पादन से जुड़ी निवेश योजना, निर्यात; 'मेड इन इंडिया' उत्पादों की ब्रांडिंग, सार्वजनिक क्षेत्र के कामकाज का तंत्र; नवाचार, हरित विकास; ऊर्जा एवं वाहनों के गैर-प्रदूषणकारी स्रोत शामिल थे.
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प्रतिभागियों ने कोविड-19 के प्रसार के वक्र को क्षैतिज करने और 2020-21 की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास की दिशा में एक मजबूत वापसी के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने आगे कहा कि भारत उन चंद देशों में से है, जहां महामारी की वजह से होने वाली मृत्यु दर में गिरावट के साथ आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने सभी प्रतिभागियों का अपने बहुमूल्य सुझावों को साझा करने के लिए धन्यवाद किया. उन्होंने आश्वस्त किया कि बजट 2021-22 को तैयार करते समय सभी सुझावों पर ध्यान से विचार किया जाएगा.