नई दिल्ली: इस साल जनवरी अंत तक देश का राजकोषीय घाटा पूरे वित्त वर्ष 2018-19 के लिए रखे गए लक्ष्य के मुकाबले 121.5 प्रतिशत पर पहुंच गया. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जनवरी अवधि में राजकोषीय घाटा 7.70 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया जबिक पूरे वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों में इसे 6.34 लाख करोड़ रुपये रखा गया है.
मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. राजकोषीय घाटा बढ़ने की अहम वजह राजस्व संग्रह कम होने और सरकार के व्यय के बीच बढ़ता अंतर है. एक साल पहले जनवरी अंत में यह बजट के संशोधित अनुमान का 113.7 प्रतिशत पर रहा था. सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को एक साल पहले के 3.53 प्रतिशत से घटाकर 3.3 प्रतिशत यानी 6.24 लाख करोड़ रुपये पर लाने का बजट लक्ष्य रखा था.
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बहरहाल, वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में सरकार को चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य कुछ बढ़ाकर 3.4 प्रतिशत यानी 6.34 लाख करोड़ रुपये का संशोधित अनुमान रखा गया. सरकार को छोटे किसानों को आय समर्थन देने के वास्ते बजट में 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च रखना पड़ा है.
भारत सरकार के महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी तक सरकार का राजस्व संग्रह 11.81 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2018-19 के संशोधित बजट अनुमानों का 68.3 प्रतिशत है. वहीं, इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 72.8 प्रतिशत रहा था.
संशोधित अनुमानों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सरकार को 17.29 लाख करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह होने की उम्मीद है. जबकि बजट में यह अनुमान 17.25 लाख करोड़ रुपये रखा गया था. महालेखा नियंत्रक के अनुसार इस साल जनवरी अंत तक सरकार का कुल व्यय 20.01 लाख करोड़ रुपये रहा जो संशोधित अनुमान का 81.5 प्रतिशत रहा. वहीं चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों में सरकार का कुल व्यय बढ़ाकर 24.57 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया जो शुरुआती बजट अनुमान में 24.42 लाख करोड़ रुपये रखा गया था.
(भाषा)