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वित्त मंत्रालय को उम्मीद, कम-से-कम 80 प्रतिशत करदाता अपना सकते हैं नई कर व्यवस्था - निर्मला सीतारमण

सरकार ने बजट से पहले 5.78 करोड़ करदाताओं का विश्लेषण किया था और पाया कि 69 प्रतिशत लोगों को नई व्यवस्था अपनाने पर बचत होगी जबकि 11 प्रतिशत ऐसे हैं जो पुरानी व्यवस्था को पसंद करते हैं. शेष 20 प्रतिशत करदाताओं में से कुछ लोग ऐसे होंगे जो कागजी काम से बचना चाहते होंगे और नई व्यवस्था अपनाने की इच्छा रखते हों.

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वित्त मंत्रालय को उम्मीद, कम-से-कम 80 प्रतिशत करदाता अपना सकते हैं नई कर व्यवस्था
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Published : Feb 7, 2020, 5:11 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 1:06 PM IST

मुंबई: राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि वित्त मंत्रालय को कम-से-कम 80 प्रतिशत करदाताओं के नई आयकर व्यवस्था अपनाने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में नई कर श्रेणी का प्रस्ताव किया गया. लेकिन इसे अपनाने पर करदाताओं को आवास ऋण ब्याज, अन्य कर बचत योजनाओं समेत मौजूदा छूट और कटौतियों का लाभ छोड़ना होगा.

यहां संवाददाताओं से बातचीत में पांडेय ने कहा, "हमारा मानना है कि कम-से-कम 80 प्रतिशत लोग नई योजनाए अपनाएंगे."

पांडेय ने कहा कि सरकार ने बजट से पहले 5.78 करोड़ करदाताओं का विश्लेषण किया था और पाया कि 69 प्रतिशत लोगों को नई व्यवस्था अपनाने पर बचत होगी जबकि 11 प्रतिशत ऐसे हैं जो पुरानी व्यवस्था को पसंद करते हैं. शेष 20 प्रतिशत करदाताओं में से कुछ लोग ऐसे होंगे जो कागजी काम से बचना चाहते होंगे और नई व्यवस्था अपनाने की इच्छा रखते हों.

पांडेय ने कहा कि कंपनी कर में जब सितंबर में कटौती हुई तो उन्हें भी इसी प्रकार का विकल्प दिया गया और 90 प्रतिशत कंपनियों ने कम कर दर को लेकर छूट मुक्त व्यवस्था को अपनाया.

उन्होंने कहा, "ज्यादातर लोग नई कर व्यवस्था को फायदेमंद पाएंगे."

ये भी पढ़ें: कोरोना प्रभाव: चीन को कपास निर्यात बंद, संकट में भारतीय किसान

सरकार ने बजट में नई कर व्यवस्था का प्रस्ताव किया है. इस व्यक्तिगत आयकर की नई व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत की दर से, 5 से 7.5 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 7.50 से 10 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 12.5 से 15 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत तथा 15 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है.

नई कर व्यवस्था वैकल्पिक है और करदाता पुरानी या नई व्यवस्था में से किसी एक का चयन कर सकते हैं. मौजूदा आयकर व्यवस्था में 50,000 रुपये की मानक कटौती और आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत एलआईसी प्रीमियम, भविष्य निधि समेत विभिन्न बचत योजनाओं में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर छूट जैसे प्रावधान लागू हैं.

इसमें विभिन्न आय स्तरों पर 5 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है. पुरानी और नई व्यवस्था में जिनकी आय 5 लाख रुपये तक है, उन्हें कोई कर नहीं देना होगा.
(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि वित्त मंत्रालय को कम-से-कम 80 प्रतिशत करदाताओं के नई आयकर व्यवस्था अपनाने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में नई कर श्रेणी का प्रस्ताव किया गया. लेकिन इसे अपनाने पर करदाताओं को आवास ऋण ब्याज, अन्य कर बचत योजनाओं समेत मौजूदा छूट और कटौतियों का लाभ छोड़ना होगा.

यहां संवाददाताओं से बातचीत में पांडेय ने कहा, "हमारा मानना है कि कम-से-कम 80 प्रतिशत लोग नई योजनाए अपनाएंगे."

पांडेय ने कहा कि सरकार ने बजट से पहले 5.78 करोड़ करदाताओं का विश्लेषण किया था और पाया कि 69 प्रतिशत लोगों को नई व्यवस्था अपनाने पर बचत होगी जबकि 11 प्रतिशत ऐसे हैं जो पुरानी व्यवस्था को पसंद करते हैं. शेष 20 प्रतिशत करदाताओं में से कुछ लोग ऐसे होंगे जो कागजी काम से बचना चाहते होंगे और नई व्यवस्था अपनाने की इच्छा रखते हों.

पांडेय ने कहा कि कंपनी कर में जब सितंबर में कटौती हुई तो उन्हें भी इसी प्रकार का विकल्प दिया गया और 90 प्रतिशत कंपनियों ने कम कर दर को लेकर छूट मुक्त व्यवस्था को अपनाया.

उन्होंने कहा, "ज्यादातर लोग नई कर व्यवस्था को फायदेमंद पाएंगे."

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सरकार ने बजट में नई कर व्यवस्था का प्रस्ताव किया है. इस व्यक्तिगत आयकर की नई व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत की दर से, 5 से 7.5 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 7.50 से 10 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 12.5 से 15 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत तथा 15 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है.

नई कर व्यवस्था वैकल्पिक है और करदाता पुरानी या नई व्यवस्था में से किसी एक का चयन कर सकते हैं. मौजूदा आयकर व्यवस्था में 50,000 रुपये की मानक कटौती और आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत एलआईसी प्रीमियम, भविष्य निधि समेत विभिन्न बचत योजनाओं में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर छूट जैसे प्रावधान लागू हैं.

इसमें विभिन्न आय स्तरों पर 5 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है. पुरानी और नई व्यवस्था में जिनकी आय 5 लाख रुपये तक है, उन्हें कोई कर नहीं देना होगा.
(पीटीआई-भाषा)

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मुंबई: राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि वित्त मंत्रालय को कम-से-कम 80 प्रतिशत करदाताओं के नई आयकर व्यवस्था अपनाने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में नई कर श्रेणी का प्रस्ताव किया गया. लेकिन इसे अपनाने पर करदाताओं को आवास ऋण ब्याज, अन्य कर बचत योजनाओं समेत मौजूदा छूट और कटौतियों का लाभ छोड़ना होगा.

यहां संवाददाताओं से बातचीत में पांडेय ने कहा, "हमारा मानना है कि कम-से-कम 80 प्रतिशत लोग नई योजनाए अपनाएंगे."

पांडेय ने कहा कि सरकार ने बजट से पहले 5.78 करोड़ करदाताओं का विश्लेषण किया था और पाया कि 69 प्रतिशत लोगों को नई व्यवस्था अपनाने पर बचत होगी जबकि 11 प्रतिशत ऐसे हैं जो पुरानी व्यवस्था को पसंद करते हैं. शेष 20 प्रतिशत करदाताओं में से कुछ लोग ऐसे होंगे जो कागजी काम से बचना चाहते होंगे और नई व्यवस्था अपनाने की इच्छा रखते हों.

पांडेय ने कहा कि कंपनी कर में जब सितंबर में कटौती हुई तो उन्हें भी इसी प्रकार का विकल्प दिया गया और 90 प्रतिशत कंपनियों ने कम कर दर को लेकर छूट मुक्त व्यवस्था को अपनाया.

उन्होंने कहा, "ज्यादातर लोग नई कर व्यवस्था को फायदेमंद पाएंगे."

सरकार ने बजट में नई कर व्यवस्था का प्रस्ताव किया है. इस व्यक्तिगत आयकर की नई व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत की दर से, 5 से 7.5 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 7.50 से 10 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 12.5 से 15 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत तथा 15 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है.

नई कर व्यवस्था वैकल्पिक है और करदाता पुरानी या नई व्यवस्था में से किसी एक का चयन कर सकते हैं. मौजूदा आयकर व्यवस्था में 50,000 रुपये की मानक कटौती और आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत एलआईसी प्रीमियम, भविष्य निधि समेत विभिन्न बचत योजनाओं में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर छूट जैसे प्रावधान लागू हैं.

इसमें विभिन्न आय स्तरों पर 5 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है. पुरानी और नई व्यवस्था में जिनकी आय 5 लाख रुपये तक है, उन्हें कोई कर नहीं देना होगा.

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Last Updated : Feb 29, 2020, 1:06 PM IST
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