नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों से अपने पूंजीगत व्यय को तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ाने को कहा है. मंत्रालय का मानना है कि इससे बाजार में लेनदेन गतिविधियां बढ़ेगी और परिणामस्वरूप आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी.
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और महारत्न और नवरत्न केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) के प्रमुखों के बीच हुई बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया. इस बैठक की सह-अध्यक्षता आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती और व्यय सचिव जी सी मुर्मू ने की.
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बैठक में बुनियादी ढांचा उद्योग से जुड़े वित्तीय सलाहकार भी शामिल हुए. एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार बैठक के दौरान विभिन्न सीपीएसई और मंत्रालयों के पूंजी व्यय की समीक्षा की गयी.
बयान में कहा गया है, "उनसे व्यय योजना पर कायम रहने और निवेश गतिविधियों में तेजी लाने को कहा गया." बैठक पूंजी व्यय बढ़ाने और बाजार में तरलता बढ़ाने के उपायों पर चर्चा के लिये बुलायी गयी थी.
उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5 प्रतिशत रही जो छह साल का न्यूनतम स्तर है. विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि खरीद और अन्य अनुबंधों के लिये भुगतान निगरानी पर भी जोर दिया गयाताकि समयबद्ध तरीके से नकदी सुनिश्चित करने में देरी नहीं हो.
बैठक में विवाद के कारण संभवत: अटके बकाये भुगतान के समाधान पर भी विचार किया गया.बयान के अनुसार, "वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों के साथ-साथ सीपीएसई की बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निरंतर समीक्षा करेगा."
बैठक के बाद ओएनजीसी के कार्यकारी निदेशक एन सी पांडे ने संवाददाताओं से कहा कि 87,000 करोड़ रुपये मूल्य की 27 परियोजनाओं पर काम चल रहा हैं ये परियोजनाएं अगले तीन-चार साल में पूरी होंगीं.
वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों से निवेश कार्यों में तेजी लाने को कहा - वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों से निवेश कार्यों में तेजी लाने को कहा
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और महारत्न और नवरत्न केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) के प्रमुखों के बीच हुई बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया. इस बैठक की सह-अध्यक्षता आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती और व्यय सचिव जी सी मुर्मू ने की.
![वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों से निवेश कार्यों में तेजी लाने को कहा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-4360723-thumbnail-3x2-pic.jpg?imwidth=3840)
नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों से अपने पूंजीगत व्यय को तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ाने को कहा है. मंत्रालय का मानना है कि इससे बाजार में लेनदेन गतिविधियां बढ़ेगी और परिणामस्वरूप आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी.
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और महारत्न और नवरत्न केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) के प्रमुखों के बीच हुई बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया. इस बैठक की सह-अध्यक्षता आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती और व्यय सचिव जी सी मुर्मू ने की.
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बैठक में बुनियादी ढांचा उद्योग से जुड़े वित्तीय सलाहकार भी शामिल हुए. एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार बैठक के दौरान विभिन्न सीपीएसई और मंत्रालयों के पूंजी व्यय की समीक्षा की गयी.
बयान में कहा गया है, "उनसे व्यय योजना पर कायम रहने और निवेश गतिविधियों में तेजी लाने को कहा गया." बैठक पूंजी व्यय बढ़ाने और बाजार में तरलता बढ़ाने के उपायों पर चर्चा के लिये बुलायी गयी थी.
उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5 प्रतिशत रही जो छह साल का न्यूनतम स्तर है. विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि खरीद और अन्य अनुबंधों के लिये भुगतान निगरानी पर भी जोर दिया गयाताकि समयबद्ध तरीके से नकदी सुनिश्चित करने में देरी नहीं हो.
बैठक में विवाद के कारण संभवत: अटके बकाये भुगतान के समाधान पर भी विचार किया गया.बयान के अनुसार, "वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों के साथ-साथ सीपीएसई की बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निरंतर समीक्षा करेगा."
बैठक के बाद ओएनजीसी के कार्यकारी निदेशक एन सी पांडे ने संवाददाताओं से कहा कि 87,000 करोड़ रुपये मूल्य की 27 परियोजनाओं पर काम चल रहा हैं ये परियोजनाएं अगले तीन-चार साल में पूरी होंगीं.
वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों से निवेश कार्यों में तेजी लाने को कहा
नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों से अपने पूंजीगत व्यय को तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ाने को कहा है. मंत्रालय का मानना है कि इससे बाजार में लेनदेन गतिविधियां बढ़ेगी और परिणामस्वरूप आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी.
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और महारत्न और नवरत्न केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) के प्रमुखों के बीच हुई बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया. इस बैठक की सह-अध्यक्षता आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती और व्यय सचिव जी सी मुर्मू ने की.
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बैठक में बुनियादी ढांचा उद्योग से जुड़े वित्तीय सलाहकार भी शामिल हुए. एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार बैठक के दौरान विभिन्न सीपीएसई और मंत्रालयों के पूंजी व्यय की समीक्षा की गयी.
बयान में कहा गया है, "उनसे व्यय योजना पर कायम रहने और निवेश गतिविधियों में तेजी लाने को कहा गया." बैठक पूंजी व्यय बढ़ाने और बाजार में तरलता बढ़ाने के उपायों पर चर्चा के लिये बुलायी गयी थी.
उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5 प्रतिशत रही जो छह साल का न्यूनतम स्तर है. विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि खरीद और अन्य अनुबंधों के लिये भुगतान निगरानी पर भी जोर दिया गयाताकि समयबद्ध तरीके से नकदी सुनिश्चित करने में देरी नहीं हो.
बैठक में विवाद के कारण संभवत: अटके बकाये भुगतान के समाधान पर भी विचार किया गया.बयान के अनुसार, "वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों के साथ-साथ सीपीएसई की बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निरंतर समीक्षा करेगा."
बैठक के बाद ओएनजीसी के कार्यकारी निदेशक एन सी पांडे ने संवाददाताओं से कहा कि 87,000 करोड़ रुपये मूल्य की 27 परियोजनाओं पर काम चल रहा हैं ये परियोजनाएं अगले तीन-चार साल में पूरी होंगीं.
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