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कर्मचारियों को नई कर प्रणाली अपनाने की अपनी मंशा से नियोक्ता को अवगत कराना होगा: सीबीडीटी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020- 21 के बजट में व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिये एक नई वैकल्पिक प्रणाली की घोषणा की है. इसमें कर दाता के लिये कर की दरें कम रखीं गई हैं लेकिन आवास किराया भत्ता, आवास ऋण के ब्याज, जीवन बीमा पॉलिसी में निवेश सहित धारा 80सी, 80डी और 80सीसीडी के तहत मिलने वाली कर छूट का लाभ इसमें नहीं दिया जायेगा.

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Published : Apr 13, 2020, 10:12 PM IST

कर्मचारियों को नई कर प्रणाली अपनाने की अपनी मंशा से नियोक्ता को अवगत कराना होगा: सीबीडीटी
कर्मचारियों को नई कर प्रणाली अपनाने की अपनी मंशा से नियोक्ता को अवगत कराना होगा: सीबीडीटी

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने सोमवार को कहा है कि कर्मचारियों को चालू वित्त वर्ष के दोरान नई आयकर प्रणाली को अपनाने की अपनी मंशा के बारे में नियोक्ता को अवगत कराना होगा ताकि वह वेतन का भुगतान करते समय उसी के अनुरूप स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) कर सके.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020- 21 के बजट में व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिये एक नई वैकल्पिक प्रणाली की घोषणा की है. इसमें कर दाता के लिये कर की दरें कम रखीं गई हैं लेकिन आवास किराया भत्ता, आवास रिण के ब्याज, जीवन बीमा पॉलिसी में निवेश सहित धारा 80सी, 80डी और 80सीसीडी के तहत मिलने वाली कर छूट का लाभ इसमें नहीं दिया जायेगा. कम कर दर वाली इस आयकर प्रणाली को वैकल्पिक रखा गया है. करदाता को यह विकल्प उपलब्ध होगा कि वह पुरानी व्यवस्था के तहत ही आयकर का भुगतान कर सकता है या फिर नई प्रणाली को अपना सकता है.

नई कर प्रणाली के मुताबिक ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय कर मुक्त रखी गई है. यह सुविधा पुरानी प्रणाली में भी उपलब्ध है. नई प्रणाली में ढाई लाख से पांच लाख रुपये तक की सालाना आय पर पांच प्रतिशत की दर से आयकर लिया जायेगा. वहीं पांच लाख से 7.5 नाख पर दस प्रतिशत, 7.5 से लेकर 10 लाख रुपये की आय पर 15 प्रतिशत की दर से और 10 लाख से लेकर 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत, 12.5 से 15 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये सालाना से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर का प्रावधान किया गया है. इस प्रणाली को अपनाने पर कई तरह की छूट उपलब्ध नहीं होगी.

वहीं पुरानी व्यवस्था में ढाई लाख से पांच लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत, पांच लाख से 10 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाने का प्रावधान है. हालांकि, इस प्रणाली में कई तरह की कर छूट के प्रावधान भी उपलब्ध हैं. सीबीडीटी ने एक प्रपत्र जारी कर कहा है कि जो भी कर्मचारी आयकर की नई प्रणाली को अपनाना चाहते हैं उन्हें इस बारे में अपने नियोक्ता को सूचित करना होगा.

ये भी पढ़ें: मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर हुई 5.91 फीसदी

इसमें कहा गया है, "यदि कर्मचारी इस तरह की सूचना नहीं देता है तो नियोक्ता आयकर कानून की धारा 115बीएसी के प्रावधानों को विचार में लिये बिना ही टीडीएस की गणना करेगा. अन्यथा दूसरी स्थिति में कटौती करने वाला नियोक्ता कम्रचारी की कुल आय की गणना और उसपर आयकर कानून की धारा 115बीएसी के प्रावधानों के तहत टीडीएस तेयार करेगा."

नांगिया एंडरसन कंसल्टिंग के निदेशक शैलेश कुमार ने कहा इस मामले में नियोक्ता के पास कोई स्पष्टता नहीं थी कि वह पुरानी प्रणाली में टीडीएस कटौती करें अथवा नये विकल्प के तहत आगे बढ़ें. अब इस प्रपत्र से नियोकताओं के बीच जो भ्रम था वह दूर होगा.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने सोमवार को कहा है कि कर्मचारियों को चालू वित्त वर्ष के दोरान नई आयकर प्रणाली को अपनाने की अपनी मंशा के बारे में नियोक्ता को अवगत कराना होगा ताकि वह वेतन का भुगतान करते समय उसी के अनुरूप स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) कर सके.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020- 21 के बजट में व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिये एक नई वैकल्पिक प्रणाली की घोषणा की है. इसमें कर दाता के लिये कर की दरें कम रखीं गई हैं लेकिन आवास किराया भत्ता, आवास रिण के ब्याज, जीवन बीमा पॉलिसी में निवेश सहित धारा 80सी, 80डी और 80सीसीडी के तहत मिलने वाली कर छूट का लाभ इसमें नहीं दिया जायेगा. कम कर दर वाली इस आयकर प्रणाली को वैकल्पिक रखा गया है. करदाता को यह विकल्प उपलब्ध होगा कि वह पुरानी व्यवस्था के तहत ही आयकर का भुगतान कर सकता है या फिर नई प्रणाली को अपना सकता है.

नई कर प्रणाली के मुताबिक ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय कर मुक्त रखी गई है. यह सुविधा पुरानी प्रणाली में भी उपलब्ध है. नई प्रणाली में ढाई लाख से पांच लाख रुपये तक की सालाना आय पर पांच प्रतिशत की दर से आयकर लिया जायेगा. वहीं पांच लाख से 7.5 नाख पर दस प्रतिशत, 7.5 से लेकर 10 लाख रुपये की आय पर 15 प्रतिशत की दर से और 10 लाख से लेकर 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत, 12.5 से 15 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये सालाना से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर का प्रावधान किया गया है. इस प्रणाली को अपनाने पर कई तरह की छूट उपलब्ध नहीं होगी.

वहीं पुरानी व्यवस्था में ढाई लाख से पांच लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत, पांच लाख से 10 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाने का प्रावधान है. हालांकि, इस प्रणाली में कई तरह की कर छूट के प्रावधान भी उपलब्ध हैं. सीबीडीटी ने एक प्रपत्र जारी कर कहा है कि जो भी कर्मचारी आयकर की नई प्रणाली को अपनाना चाहते हैं उन्हें इस बारे में अपने नियोक्ता को सूचित करना होगा.

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इसमें कहा गया है, "यदि कर्मचारी इस तरह की सूचना नहीं देता है तो नियोक्ता आयकर कानून की धारा 115बीएसी के प्रावधानों को विचार में लिये बिना ही टीडीएस की गणना करेगा. अन्यथा दूसरी स्थिति में कटौती करने वाला नियोक्ता कम्रचारी की कुल आय की गणना और उसपर आयकर कानून की धारा 115बीएसी के प्रावधानों के तहत टीडीएस तेयार करेगा."

नांगिया एंडरसन कंसल्टिंग के निदेशक शैलेश कुमार ने कहा इस मामले में नियोक्ता के पास कोई स्पष्टता नहीं थी कि वह पुरानी प्रणाली में टीडीएस कटौती करें अथवा नये विकल्प के तहत आगे बढ़ें. अब इस प्रपत्र से नियोकताओं के बीच जो भ्रम था वह दूर होगा.

(पीटीआई-भाषा)

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