नई दिल्ली : अमेरिका के सामान्य तरजीही व्यवस्था (जीएसपी) के तहत भारत को दिये गये शुल्क लाभ वापस लेने के निर्णय से खाद्य प्रसंस्करण, चमड़ा, प्लास्टिक तथा इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे कुछ ही क्षेत्रों पर मामूली प्रभाव पड़ेगा. निर्यातक संगठनों के शीर्ष निकाय फियो ने मंगलवार को यह कहा.
भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) के अघ्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि चूंकि इन क्षेत्रों को जीएसपी का ज्यादा लाभ मिल रहा था, अत: सरकार को इन क्षेत्रों को राजकोषीय समर्थन उपलब्ध कराने पर गौर करना चाहिए.
उन्होंने एक बयान में कहा, "सरकार को ऐसे क्षेत्रों को राजकोषीय समर्थन उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिए .... ताकि ऐसे उत्पादों के दाम कमोबेश वही रहे जो जीएसपी व्यवस्था में थे." गुप्ता ने कहा कि जिन अन्य क्षेत्रों को शुल्क लाभ मिलता है, उसमें निर्माण सामग्री, हाथ से उपयोग होने वाले उपकरण (रिंच, ड्रिल करने वाले उपकरण आदि), टर्बाइन तथा पाइप, जनरेटर के कल-पुर्जे जैसे इंजीनियरिंग वस्तुएं तथा तकिये का कवर, महिलाओं के बुने कपड़े आदि शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका में 18,770 उत्पादों में से 5,111 उत्पादों पर शुल्क तरजीह का लाभ मिलता है. हालांकि, इनमें से केवल 2,165 उत्पादों पर ही शुल्क लाभ 4 प्रतिशत या उससे अधिक है. गुप्ता ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि निर्यातक 2-3 प्रतिशत तक शुल्क नुकसान को सहन करने में सक्षम होंगे, हमें उन उत्पादों पर राजकोषीय समर्थन उपलब्ध कराने की जरूरत है, जहां जीएसपी शुल्क लाभ ऊंचा था. खासकर श्रम गहन क्षेत्रों पर."
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ने जो लाभ वापस लिया है, उससे भारत के अमेरिका को किये जाने वाले निर्यात पर मामूली प्रभाव ही पड़ेगा. इस बारे में उद्योग मंडल फिक्की ने कहा कि इससे भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धा क्षमता प्रभावित होगी. फिक्की अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा, "मुझे भरोसा है कि सरकार उपयुक्त कदम उठाएगी और दोनों देशों की इस बारे में बातचीत होगी ताकि यह सुनिश्चित हो कि भारत को मिलने वाला लाभ बना रहे."
(भाषा)
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