नई दिल्ली : विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी के लिए तेजी से तकनीकी विकास को जिम्मेदार ठहराते हुए भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार प्रोफेसर कौशिक बसु ने कहा है कि अर्थव्यवस्थाओं का संरक्षणवाद मदद नहीं करेगा क्योंकि प्रौद्योगिकी ने दुनिया में अपना व्यवसाय संचालित करने का तरीका बदल दिया है.
आईआईटी दिल्ली में एक व्याख्यान देते हुए, प्रोफेसर ने कहा कि दुनिया एक मुश्किल दौर से गुजर रही है और विश्व भर के राजनीतिक नेताओं को दुनिया के बेहतर आर्थिक विकास के लिए शांति सुनिश्चित करनी चाहिए.
आईआईटी दिल्ली के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित डॉ. पीसी बंसिल मेमोरियल में व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि आज चुनौती यह है कि विश्व अर्थव्यवस्था एक के बाद एक संकट से परेशान है.
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प्रोफेसर बसु ने वैश्वीकरण की आलोचना करने वाले लोगों पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि यह किसी व्यक्ति या देश द्वारा की गई या शुरू की गई चीज नहीं है, बल्कि यह विकास की प्रक्रिया के दौरान स्वयं उत्पन्न हुई है.
उन्होंने कहा कि इस पर विचार करने का कोई फायदा नहीं है. यह तकनीकी विकास ऐतिहासिक है और मानव जाति को इससे बचना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कई सभ्यताओं को इसलिए नष्ट कर दिया गया, क्योंकि वे तकनीकी प्रगति के साथ खड़े नहीं हो सके. साथ ही समझाया कि भविष्य में प्रौद्योगिकी के साथ कैसे काम किया जाए.
प्रोफेसर ने आगे कहा कि पहले भारत जैसे देश अपनी अर्थव्यवस्था को बाहरी प्रभावों से बचाते थें, लेकिन अब अमेरिका जैसे देश भी उसी तर्ज पर चलने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ने हमारे काम करने और कमाने का तरीका बदल दिया है, और आप इसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते.
दुनिया में कहीं भी होने वाली छोटी से छोटी चीज जो पृथ्वी को प्रभावित करेगी- वह तकनीक है.
दुनिया बहुत एकीकृत है, उन्होंने कहा कि डिजिटल तकनीक के उदय के साथ दुनिया उन समस्याओं का सामना कर रही है जो पहले नहीं देखी गई थीं.
प्रौद्योगिकी के विकास पर उनकी ही बात पर लोग कह सकते हैं कि तकनीकी विकास के बावजूद मानव इसके साथ ही जीवित है पर उन्होंने कहा कि चूंकि हम पहले जीवित रहे इसका यह मतलब नहीं कि हम इससे भी बच सकेंगे.
प्रोफेसर ने कहा कि भारत आर्थिक रूप से उसी तरह आगे बढ़ता रहेगा, जैसा कि हाल के वर्षों में बढ़ रहा है, लेकिन विकसित देशों की समस्याएं बढ़ सकती हैं, जहां 10-15 वर्षों के बाद विकास स्थिर हो गया है.
उन्होंने कहा, "भारत को अच्छी आर्थिक वृद्धि बनाए रखने के लिए अपने स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए," उन्होंने कहा, भारत दुनिया के लिए एक शैक्षिक केंद्र बन सकता है.