ETV Bharat / business

साल 2020 में बाधित रही भारतीय विमानन क्षेत्र के विकास की उड़ान

कोरोना प्रेरित लॉकडाउन के चलते एयरलाइंस कंपनियों का कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया और कमाई बंद हो गयी और उन्हें बहुत से कर्मचारियों को काम से निकालना पड़ा, कुछ को बिना वेतन की छुट्टियों पर भेजना पड़ा तो कई लोगों का वेतन भी कम हुआ.

साल 2020 में बाधित रही भारतीय विमानन क्षेत्र के विकास की उड़ान
साल 2020 में बाधित रही भारतीय विमानन क्षेत्र के विकास की उड़ान
author img

By

Published : Dec 26, 2020, 5:36 PM IST

नई दिल्ली : विमानन क्षेत्र को समाप्त हो रहे वर्ष 2020 में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. कोविड-19 महामारी के चलते लगे वैश्विक लॉकडाउन से लोगों के आने-जाने पर लगी पाबंदी इसकी बड़ी वजह रही. घरेलू विमानन कंपनिया, हवाईअड्डा कंपनियां भी इससे अछूती ना रहीं.

लॉकडाउन में एयरलाइंस कंपनियों का कारोबार करीब करीब ठप हो गया और कमाई बंद हो गयी और उन्हें बहुत से कर्मचारियों को काम से निकालना पड़ा, कुछ को बिना वेतन की छुट्टियों पर भेजना पड़ा तो कई लोगों का वेतन भी कम हुआ.

वर्ष के दौरान सरकारी कंपनी एअर इंडिया को बेचने के लिए जारी निविदा में बोलियां जमा कराने की आखिरी तारीख कोविड19 से पैदा हालात के बीच पांच बार बढ़ानी पड़ी. महामारी और लॉकडाउन के चलते देश में सभी नियमित उड़ाने 23 मार्च से 25 मई तक बंद रहीं. बाद में सीमित क्षमता के साथ 25 मई से उड़ानों को धीरे-धीरे शुरू किया गया. नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ाने अभी भी निलंबित हैं.

लॉकडाउन के दौरान विदेशों में फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए सरकार ने 'वंदे भारत मिशन' के तहत सीमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन किया. वहीं कुछ देशों के साथ विशेष द्विपक्षीय समझौते (एयर बबल पैक्ट) के तहत ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के परिचालन की अनुमति दी गयी है.

जुलाई से अब तक करीब 24 देशों के साथ यह समझौता किया गया है. हाल में ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया प्रकार सामने आने पर सबसे पहले वहां से आने वाली उड़ानों को ही अस्थायी तौर पर निलंबित किया गया है.

महामारी के चलते देश की दो सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो और स्पाइसजेट को वित्त वर्ष 2020-21 की पहली और दूसरी तिमाही में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. अप्रैल-जून तिमाही में इंडिगो को 2,884 करोड़ रुपये और स्पाइसजेट को 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

ये भी पढ़ें : भारतीय कृषि को नए सिरे से परिभाषित करेगा साल 2020

जुलाई-सितंबर तिमाही में यह नुकसान क्रमश: 1,194 करोड़ रुपये और 112 करोड़ रुपये रहा. विमानन क्षेत्र की परामर्श कंपनी सीएपीए ने अक्टूबर में घरेलू हवाई यात्राओं के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के फिर से शुरू होने में धीमी प्रगति का अनुमान जताया था. इससे विशेष तौर पर एअर इंडिया को नुकसान होने की बात कही गयी थी जिसकी कुल आय का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से आता है.

सीएपीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2020-21 में पांच से छह करोड़ यात्री ही हवाई सफर करेंगे. जबकि अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रियों की संख्या एक करोड़ से भी कम रहने का अनुमान है. वर्ष 2019-20 में देश में लगभग 20.5 करोड़ यात्रियों ने हवाई यात्रा की थी.

इसमें 14 करोड़ घरेलू यात्री और 6.5 करोड़ अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्री थे. वर्ष 2018 में एअर इंडिया की बिक्री की असफल कोशिश के बाद सरकार ने इस साल जनवरी में फिर से इसे बेचने की प्रक्रिया शुरू की.

महामारी के चलते इसके लिए बोलियां जमा कराने की आखिरी तारीख सरकार को पांच बार बढ़ानी पड़ी. अंतत: 14 दिसंबर को इसके लिए आखिरी बोलियां स्वीकार की गयीं. अब पात्र बोलीदाताओं के नाम की घोषणा पांच जनवरी को होनी है.

नई दिल्ली : विमानन क्षेत्र को समाप्त हो रहे वर्ष 2020 में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. कोविड-19 महामारी के चलते लगे वैश्विक लॉकडाउन से लोगों के आने-जाने पर लगी पाबंदी इसकी बड़ी वजह रही. घरेलू विमानन कंपनिया, हवाईअड्डा कंपनियां भी इससे अछूती ना रहीं.

लॉकडाउन में एयरलाइंस कंपनियों का कारोबार करीब करीब ठप हो गया और कमाई बंद हो गयी और उन्हें बहुत से कर्मचारियों को काम से निकालना पड़ा, कुछ को बिना वेतन की छुट्टियों पर भेजना पड़ा तो कई लोगों का वेतन भी कम हुआ.

वर्ष के दौरान सरकारी कंपनी एअर इंडिया को बेचने के लिए जारी निविदा में बोलियां जमा कराने की आखिरी तारीख कोविड19 से पैदा हालात के बीच पांच बार बढ़ानी पड़ी. महामारी और लॉकडाउन के चलते देश में सभी नियमित उड़ाने 23 मार्च से 25 मई तक बंद रहीं. बाद में सीमित क्षमता के साथ 25 मई से उड़ानों को धीरे-धीरे शुरू किया गया. नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ाने अभी भी निलंबित हैं.

लॉकडाउन के दौरान विदेशों में फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए सरकार ने 'वंदे भारत मिशन' के तहत सीमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन किया. वहीं कुछ देशों के साथ विशेष द्विपक्षीय समझौते (एयर बबल पैक्ट) के तहत ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के परिचालन की अनुमति दी गयी है.

जुलाई से अब तक करीब 24 देशों के साथ यह समझौता किया गया है. हाल में ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया प्रकार सामने आने पर सबसे पहले वहां से आने वाली उड़ानों को ही अस्थायी तौर पर निलंबित किया गया है.

महामारी के चलते देश की दो सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो और स्पाइसजेट को वित्त वर्ष 2020-21 की पहली और दूसरी तिमाही में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. अप्रैल-जून तिमाही में इंडिगो को 2,884 करोड़ रुपये और स्पाइसजेट को 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

ये भी पढ़ें : भारतीय कृषि को नए सिरे से परिभाषित करेगा साल 2020

जुलाई-सितंबर तिमाही में यह नुकसान क्रमश: 1,194 करोड़ रुपये और 112 करोड़ रुपये रहा. विमानन क्षेत्र की परामर्श कंपनी सीएपीए ने अक्टूबर में घरेलू हवाई यात्राओं के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के फिर से शुरू होने में धीमी प्रगति का अनुमान जताया था. इससे विशेष तौर पर एअर इंडिया को नुकसान होने की बात कही गयी थी जिसकी कुल आय का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से आता है.

सीएपीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2020-21 में पांच से छह करोड़ यात्री ही हवाई सफर करेंगे. जबकि अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रियों की संख्या एक करोड़ से भी कम रहने का अनुमान है. वर्ष 2019-20 में देश में लगभग 20.5 करोड़ यात्रियों ने हवाई यात्रा की थी.

इसमें 14 करोड़ घरेलू यात्री और 6.5 करोड़ अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्री थे. वर्ष 2018 में एअर इंडिया की बिक्री की असफल कोशिश के बाद सरकार ने इस साल जनवरी में फिर से इसे बेचने की प्रक्रिया शुरू की.

महामारी के चलते इसके लिए बोलियां जमा कराने की आखिरी तारीख सरकार को पांच बार बढ़ानी पड़ी. अंतत: 14 दिसंबर को इसके लिए आखिरी बोलियां स्वीकार की गयीं. अब पात्र बोलीदाताओं के नाम की घोषणा पांच जनवरी को होनी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.