नई दिल्ली : रेलवे के लिये इंजन, डिब्बे और दूसरे उपकरण बनाने वाली कंपनियों ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था को तर्कसंगत बनाते हुये, उन्हें इस तरह की आपूर्ति पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा दिये जाने की मांग की है.
वित्त मंत्रालय को भेजे एक ज्ञापन में इन उपकरण विनिर्माताओं ने कहा है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की अनुपस्थिति में उनके विक्रेताओं और रेलवे दोनों को ही अनावश्यक कर बोझ झेलना पड़ रहा है.
ज्ञापन में कहा गया है कि रेलवे के लिये रोलिंग स्टॉक का विनिर्माण करने वाली कंपनियों को भुगतान किये गये कर पर क्रेडिट देने की प्रक्रिया से अलग रखना वित्तीय निरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है जो कि जीएसटी के मुख्य उद्देश्यों में से एक है.
उद्योगों का कहना है कि लोकोमोटिव और रेलवे के रोलिंग स्टॉक पर एकीकृत जीएसटी की दर को बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिये. यह जीएसटी लागू होने से पहले की दर है इससे आईटीसी के तहत पूरी राशि का लाभ मिल सकेगा. इसमें सुझाव दिया गया है कि राजस्व विभाग को रेलवे लोकोमोटिव और रोलिंग स्टाक के मामले में एकत्रित हुये बिना इस्तेमाल वाले आईटीसी के रिफंड पर जारी प्रतिबंध को हटा देना चाहिये.
उद्योग के अनुमान के मुताबिक आईटीसी सुविधा का लाभ नहीं मिलने से रेलवे को हर महीने 400 से 500 करोड़ रुपये का और रेलवे के विक्रेताओं को भी इतनी ही राशि का नुकसान हो रहा है. इस प्रकार रेलवे से जुड़े समूचे कारोबारियों को हर महीने 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है.
रेलवे को लोकोमोटिव और रालिंग स्टॉक की आपूर्ति करने वाले विक्रेताओं का यह भी कहना है कि इस तरह की विसंगति और भेदभाव करना सरकार की कर के गहन प्रभाव को समाप्त करने की नीति के खिलाफ और मेक इन इंडिया पहल को नुकसान पहुंचाने वाला है.
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