ETV Bharat / business

केंद्र राज्यों को जीएसटी मुआवजा भुगतान का सम्मान करेगा: वित्त मंत्री

सीतारमण राज्यसभा में अतिरिक्त अनुदान मांगों पर संसद की मंजूरी के लिए हुई चर्चा का जवाब दे रही थीं. चर्चा के दौरान कांग्रेस, लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने जीएसटी मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. ये दल जानना चाहते थे कि उन्हें कब यह मुआवजा दिया जाएगा.

business news, gst, finance minister, nirmala sitharaman, GST compensation payment to states, कारोबार न्यूज, जीएसटी, निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री, जीएसटी मुआवजा भुगतान
केंद्र राज्यों को जीएसटी मुआवजा भुगतान का सम्मान करेगा: वित्त मंत्री
author img

By

Published : Dec 12, 2019, 11:17 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राज्यों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई की अपनी प्रतिबद्धता को निभाएगी. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि केंद्र कब तक यह भरपाई कर देगा. राज्यों की शिकायत है कि उन्हें जीएसटी राजस्व में होने वाले कमी की अगस्त से भरपाई नहीं की जा रही है.

देश में जीएसटी व्यवस्था लागू होते समय केंद्र ने राज्यों से वादा किया था कि उनके राजस्व में होने वाले नुकसान की वह भरपाई करेगा. केंद्र ने पांच साल तक राज्यों को यह मदद देने का वादा किया है. देश में जीएसटी व्यवस्था 1 जुलाई 2017 से अमल में आई है. राज्यों को यह भरपाई दो महीने के भीतर की जानी चाहिए लेकिन राज्यों का कहना है कि उन्हें अगस्त 2019 से यह राशि नहीं मिल रही है.

सीतारमण राज्यसभा में अतिरिक्त अनुदान मांगों पर संसद की मंजूरी के लिए हुई चर्चा का जवाब दे रही थीं. चर्चा के दौरान कांग्रेस, लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने जीएसटी मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. ये दल जानना चाहते थे कि उन्हें कब यह मुआवजा दिया जाएगा.

वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र अपने दायित्वों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि इसमें किसी को भी शंका नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यों को जीएसटी के तहत मुआवजा 5 उत्पादों पर लगाए जा रहे सेस से दिया जाता है. यह मुआवजा विभिन्न राज्यों के वर्ष 2015- 16 के राजस्व को आधार मानकर उसमें हर साल 14 प्रतिशत की वृद्धि की गणना के अनुसार दिया जाता है.

ये भी पढ़ें: दूरंसचार उद्योग के लिए मिनिमन टैरिफ तय कर सकता है ट्राई

जीएसटी लागू होने के पहले साल 2017-18 में जीएसटी सेस के तहत टैक्स कलेक्शन 62,596 करोड़ रुपये रहा जिसमें से 41,146 करोड़ रुपये राज्यों को जारी किए गए. शेष 15,000 करोड़ रुपये को अगले साल की राशि में शामिल कर लिया गया. इसके बाद के वर्षों में राज्यों को 95,081 करोड़ रुपये और 69,275 करोड़ रुपये जारी किए गए. सीतारमण ने बताया कि इस मद में इस साल 31 अक्टूबर 2019 तक 55,467 करोड़ रुपये प्राप्त हुए जबकि राज्यों को 65,250 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. चालू वित्त वर्ष में राज्यों को 9,783 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान हो चुका है.

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है. वित्त मंत्री ने हालांकि मार्क्सवादी कॉम्युनिस्ट पार्टी के केके रागेश के सीधे सवाल का काई जवाब नहीं दिया. रागेश ने पूछा कि बकाए का भुगतान कब तक कर दिया जाएगा. इस पर वित्त मंत्री ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.

सीतारमण ने कहा कि केवल गैर-बीजेपी शासित राज्य ही नहीं बल्कि सभी राज्यों को अगस्त के बाद से जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान नहीं किया गया है. एकीकृत जीएसटी के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि 2017-18 में किसी राज्य ने एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) का दावा नहीं किया था लेकिन इसके बाद के वर्षों में इसका भुगतान किया गया. आईजीएसटी एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान भेजने पर लगाया जाता है.

वित्त मंत्री ने कहा कि 2017- 18 के आईजीएसटी राजस्व के वितरण मामले को देखने के लिये राज्य मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया है. इस मामले को जीएसटी काउंसिल के सामने रखा जाएगा. जैसे ही मंत्री समूह की यह रिपोर्ट मिलेगी इसे जीएसटी के मामले सर्वोच्च अधिकार प्राप्त जीएसटी काउंसिल के सामने रखा जाएगा.

सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार सहयोगात्मक संघवाद के सिद्धांत को लेकर प्रतिबद्ध है और वह सभी राज्यों के बकाये का पूरा भुगतान करेगी. वित्त मंत्री के जवाब के बाद राज्यसभा ने चालू वित्त वर्ष की 21,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अनुपूरक अनुदान मांगों को ध्वनिमत से अपनी सहमति दे दी. लोकसभा पहले ही अतिरिक्त व्यय से संबंधित इन मांगों को पारित कर चुकी है.

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राज्यों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई की अपनी प्रतिबद्धता को निभाएगी. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि केंद्र कब तक यह भरपाई कर देगा. राज्यों की शिकायत है कि उन्हें जीएसटी राजस्व में होने वाले कमी की अगस्त से भरपाई नहीं की जा रही है.

देश में जीएसटी व्यवस्था लागू होते समय केंद्र ने राज्यों से वादा किया था कि उनके राजस्व में होने वाले नुकसान की वह भरपाई करेगा. केंद्र ने पांच साल तक राज्यों को यह मदद देने का वादा किया है. देश में जीएसटी व्यवस्था 1 जुलाई 2017 से अमल में आई है. राज्यों को यह भरपाई दो महीने के भीतर की जानी चाहिए लेकिन राज्यों का कहना है कि उन्हें अगस्त 2019 से यह राशि नहीं मिल रही है.

सीतारमण राज्यसभा में अतिरिक्त अनुदान मांगों पर संसद की मंजूरी के लिए हुई चर्चा का जवाब दे रही थीं. चर्चा के दौरान कांग्रेस, लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने जीएसटी मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. ये दल जानना चाहते थे कि उन्हें कब यह मुआवजा दिया जाएगा.

वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र अपने दायित्वों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि इसमें किसी को भी शंका नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यों को जीएसटी के तहत मुआवजा 5 उत्पादों पर लगाए जा रहे सेस से दिया जाता है. यह मुआवजा विभिन्न राज्यों के वर्ष 2015- 16 के राजस्व को आधार मानकर उसमें हर साल 14 प्रतिशत की वृद्धि की गणना के अनुसार दिया जाता है.

ये भी पढ़ें: दूरंसचार उद्योग के लिए मिनिमन टैरिफ तय कर सकता है ट्राई

जीएसटी लागू होने के पहले साल 2017-18 में जीएसटी सेस के तहत टैक्स कलेक्शन 62,596 करोड़ रुपये रहा जिसमें से 41,146 करोड़ रुपये राज्यों को जारी किए गए. शेष 15,000 करोड़ रुपये को अगले साल की राशि में शामिल कर लिया गया. इसके बाद के वर्षों में राज्यों को 95,081 करोड़ रुपये और 69,275 करोड़ रुपये जारी किए गए. सीतारमण ने बताया कि इस मद में इस साल 31 अक्टूबर 2019 तक 55,467 करोड़ रुपये प्राप्त हुए जबकि राज्यों को 65,250 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. चालू वित्त वर्ष में राज्यों को 9,783 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान हो चुका है.

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है. वित्त मंत्री ने हालांकि मार्क्सवादी कॉम्युनिस्ट पार्टी के केके रागेश के सीधे सवाल का काई जवाब नहीं दिया. रागेश ने पूछा कि बकाए का भुगतान कब तक कर दिया जाएगा. इस पर वित्त मंत्री ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.

सीतारमण ने कहा कि केवल गैर-बीजेपी शासित राज्य ही नहीं बल्कि सभी राज्यों को अगस्त के बाद से जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान नहीं किया गया है. एकीकृत जीएसटी के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि 2017-18 में किसी राज्य ने एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) का दावा नहीं किया था लेकिन इसके बाद के वर्षों में इसका भुगतान किया गया. आईजीएसटी एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान भेजने पर लगाया जाता है.

वित्त मंत्री ने कहा कि 2017- 18 के आईजीएसटी राजस्व के वितरण मामले को देखने के लिये राज्य मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया है. इस मामले को जीएसटी काउंसिल के सामने रखा जाएगा. जैसे ही मंत्री समूह की यह रिपोर्ट मिलेगी इसे जीएसटी के मामले सर्वोच्च अधिकार प्राप्त जीएसटी काउंसिल के सामने रखा जाएगा.

सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार सहयोगात्मक संघवाद के सिद्धांत को लेकर प्रतिबद्ध है और वह सभी राज्यों के बकाये का पूरा भुगतान करेगी. वित्त मंत्री के जवाब के बाद राज्यसभा ने चालू वित्त वर्ष की 21,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अनुपूरक अनुदान मांगों को ध्वनिमत से अपनी सहमति दे दी. लोकसभा पहले ही अतिरिक्त व्यय से संबंधित इन मांगों को पारित कर चुकी है.

Intro:Body:

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राज्यों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई की अपनी प्रतिबद्धता को निभाएगी. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि केंद्र कब तक यह भरपाई कर देगा. राज्यों की शिकायत है कि उन्हें जीएसटी राजस्व में होने वाले कमी की अगस्त से भरपाई नहीं की जा रही है.



देश में जीएसटी व्यवस्था लागू होते समय केंद्र ने राज्यों से वादा किया था कि उनके राजस्व में होने वाले नुकसान की वह भरपाई करेगा. केंद्र ने पांच साल तक राज्यों को यह मदद देने का वादा किया है. देश में जीएसटी व्यवस्था 1 जुलाई 2017 से अमल में आई है. राज्यों को यह भरपाई दो महीने के भीतर की जानी चाहिए लेकिन राज्यों का कहना है कि उन्हें अगस्त 2019 से यह राशि नहीं मिल रही है.



सीतारमण राज्यसभा में अतिरिक्त अनुदान मांगों पर संसद की मंजूरी के लिए हुई चर्चा का जवाब दे रही थीं. चर्चा के दौरान कांग्रेस, लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने जीएसटी मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा उठाया. ये दल जानना चाहते थे कि उन्हें कब यह मुआवजा दिया जाएगा.



वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र अपने दायित्वों को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि इसमें किसी को भी शंका नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यों को जीएसटी के तहत मुआवजा 5 उत्पादों पर लगाए जा रहे सेस से दिया जाता है. यह मुआवजा विभिन्न राज्यों के वर्ष 2015- 16 के राजस्व को आधार मानकर उसमें हर साल 14 प्रतिशत की वृद्धि की गणना के अनुसार दिया जाता है.



जीएसटी लागू होने के पहले साल 2017-18 में जीएसटी सेस के तहत टैक्स कलेक्शन 62,596 करोड़ रुपये रहा जिसमें से 41,146 करोड़ रुपये राज्यों को जारी किए गए. शेष 15,000 करोड़ रुपये को अगले साल की राशि में शामिल कर लिया गया. इसके बाद के वर्षों में राज्यों को 95,081 करोड़ रुपये और 69,275 करोड़ रुपये जारी किए गए. सीतारमण ने बताया कि इस मद में इस साल 31 अक्टूबर 2019 तक 55,467 करोड़ रुपये प्राप्त हुए जबकि राज्यों को 65,250 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. चालू वित्त वर्ष में राज्यों को 9,783 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान हो चुका है.



वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है. वित्त मंत्री ने हालांकि मार्क्सवादी कॉम्युनिस्ट पार्टी के केके रागेश के सीधे सवाल का काई जवाब नहीं दिया. रागेश ने पूछा कि बकाए का भुगतान कब तक कर दिया जाएगा. इस पर वित्त मंत्री ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.



सीतारमण ने कहा कि केवल गैर-बीजेपी शासित राज्य ही नहीं बल्कि सभी राज्यों को अगस्त के बाद से जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान नहीं किया गया है. एकीकृत जीएसटी के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि 2017-18 में किसी राज्य ने एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) का दावा नहीं किया था लेकिन इसके बाद के वर्षों में इसका भुगतान किया गया. आईजीएसटी एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान भेजने पर लगाया जाता है.



वित्त मंत्री ने कहा कि 2017- 18 के आईजीएसटी राजस्व के वितरण मामले को देखने के लिये राज्य मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया है. इस मामले को जीएसटी काउंसिल के सामने रखा जाएगा. जैसे ही मंत्री समूह की यह रिपोर्ट मिलेगी इसे जीएसटी के मामले सर्वोच्च अधिकार प्राप्त जीएसटी काउंसिल के सामने रखा जाएगा.



सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार सहयोगात्मक संघवाद के सिद्धांत को लेकर प्रतिबद्ध है और वह सभी राज्यों के बकाये का पूरा भुगतान करेगी. वित्त मंत्री के जवाब के बाद राज्यसभा ने चालू वित्त वर्ष की 21,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अनुपूरक अनुदान मांगों को ध्वनिमत से अपनी सहमति दे दी. लोकसभा पहले ही अतिरिक्त व्यय से संबंधित इन मांगों को पारित कर चुकी है.

ये भी पढ़ें:


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.