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मंत्रिमंडल ने अरूण-तीन पनबिजली परियोजना के लिये 1,236 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति ने अरुण-3 जल विद्युत परियोजना (नेपाल भाग) के ट्रांसमिशन घटक के लिए जून, 2017 के मूल्‍य स्‍तर पर 1236.13 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निवेश को अपनी स्‍वीकृति दे दी है.

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Published : Mar 1, 2019, 8:37 AM IST

Updated : Mar 1, 2019, 8:46 AM IST

नई दिल्ली : मंत्रिमंडल की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत और ताजिकिस्तान के बीच हुए सहयोग के समझौते से अवगत कराया गया. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारत और ताजिकिस्तान के बीच अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को लेकर हुए सहमति पत्र (एमओयू) की जानकारी दी गयी.

इस एमओयू पर आठ अक्टूबर 2018 को हस्ताक्षर किये गये थे. इस एमओयू से आपसी लाभ, समानता एवं पारस्पारिकता के आधार पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में द्विपक्षीय तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने हेतु भारत और ताजिकिस्तान के बीच सहयोगात्मक संस्थागत संबंधों के लिए एक ठोस आधार की स्थापना करने का मार्ग प्रशस्त होगा. इसके तहत नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और भंडारण प्रौद्योगिकियों के विकास व उपयोग पर फोकस किया जाएगा. इससे विभिन्न उपायों के जरिये दोनों देशों के बीच सहयोग और अधिक बढ़ेगा.

वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मियों का आदान-प्रदान एवं प्रशिक्षण, वैज्ञानिक एवं तकनीकी सूचनाओं तथा आंकड़ों का आदान-प्रदान, कार्यशालाओं व संगोष्ठियों का आयोजन एवं कार्य समूहों का गठन, गैर-वाणिज्यिक आधार पर उपकरणों, आवश्यक जानकारियों एवं प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण, पारस्परिक हित वाले विषयों पर संयुक्त अनुसंधान अथवा तकनीकी परियोजनाओं का विकास एवं दोनों ही देशों द्वारा निर्धारित किए गए अन्य तरीके इन विभिन्न उपायों में शामिल हैं.
(भाषा)
पढ़ें : जानें कैसे विभिन्न बीमा पॉलिसियों में निवेश करके आप अपने टैक्स बचा सकते हैं

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नई दिल्ली : मंत्रिमंडल की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत और ताजिकिस्तान के बीच हुए सहयोग के समझौते से अवगत कराया गया. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारत और ताजिकिस्तान के बीच अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को लेकर हुए सहमति पत्र (एमओयू) की जानकारी दी गयी.

इस एमओयू पर आठ अक्टूबर 2018 को हस्ताक्षर किये गये थे. इस एमओयू से आपसी लाभ, समानता एवं पारस्पारिकता के आधार पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में द्विपक्षीय तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने हेतु भारत और ताजिकिस्तान के बीच सहयोगात्मक संस्थागत संबंधों के लिए एक ठोस आधार की स्थापना करने का मार्ग प्रशस्त होगा. इसके तहत नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और भंडारण प्रौद्योगिकियों के विकास व उपयोग पर फोकस किया जाएगा. इससे विभिन्न उपायों के जरिये दोनों देशों के बीच सहयोग और अधिक बढ़ेगा.

वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मियों का आदान-प्रदान एवं प्रशिक्षण, वैज्ञानिक एवं तकनीकी सूचनाओं तथा आंकड़ों का आदान-प्रदान, कार्यशालाओं व संगोष्ठियों का आयोजन एवं कार्य समूहों का गठन, गैर-वाणिज्यिक आधार पर उपकरणों, आवश्यक जानकारियों एवं प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण, पारस्परिक हित वाले विषयों पर संयुक्त अनुसंधान अथवा तकनीकी परियोजनाओं का विकास एवं दोनों ही देशों द्वारा निर्धारित किए गए अन्य तरीके इन विभिन्न उपायों में शामिल हैं.
(भाषा)
पढ़ें : जानें कैसे विभिन्न बीमा पॉलिसियों में निवेश करके आप अपने टैक्स बचा सकते हैं

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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति ने अरुण-3 जल विद्युत परियोजना (नेपाल भाग) के ट्रांसमिशन घटक के लिए जून, 2017 के मूल्‍य स्‍तर पर 1236.13 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निवेश को अपनी स्‍वीकृति दे दी है.

नई दिल्ली : सरकार ने बृहस्पतिवार को अरूण-3 पनबिजली परियोजना के नेपाल हिस्से में पारेषण उपकरणों के लिये 1,236.13 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इस परियोजना का विकास सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) कर रही है.

एक आधिकारिक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में अरूण-3 पनबिजली परियोजना के नेपाल हिस्से में पारेषण व्यवस्था के लिये निवेश को मंजूरी दे दी गई. इस पर 1,236.13 करोड़ रुपये की लागत अनुमानित है. परियोजना के पारेषण हिस्से के निर्माण से करीब 400 लागों को रोजगार मिलने की उम्मीद है.

वर्तमान स्‍वीकृति 400 किलोवाट डी/सी डिडिंग (नेपाल में)- बथनाहा (अंतरराष्‍ट्रीय सीमा) वाया धलकेबर (नेपाल में) ट्रांसमिशन लाइन के लिए है. यह ट्रांसमिशन लाइन 217 किलोवाट की है और नेपाल में अरुण-3 एचईपी से बिजली निकालने के लिए है. यह नेपाल के भूभाग के अंदर है.



परियोजना के ट्रांसमिशन घटक के निर्माण से लगभग 400 व्‍यक्तियों को रोजगार मिलेगा. यह परियोजना नेपाल के साथ आर्थिक संपर्क को मजबूत बनाने के लिए भारत को अधिशेष विद्युत प्रदान करेगी. इस परियोजना से बिजली नेपाल के धलकेबर से भारत में मुजफ्फरपुर भेजी जाएगी.

(भाषा)

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Last Updated : Mar 1, 2019, 8:46 AM IST
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