बेंगलुरु : यूनाइटेड किंगडम के यूरोपीय संघ बाजार छोड़ने से भारत की सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल कंपनियों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा और ब्रेक्जिट के बाद भी यह हमेशा की तरह व्यापार करेगा. उद्योग से जुड़े दिग्गजों ने यह जानकारी दी.
इंफोसिस लिमिटेड के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी, वी बालाकृष्णन ने सोमवार को पीटीआई को बताया, इसका कोई भी प्रभाव नहीं होगा क्योंकि यूके में पहले से ही भारतीय तकनीकियों के लिए एक अच्छा वीजा शासन है.
एक्सफिनिटी वेंचर पार्टनर्स के पार्टनर और चेयरमैन ने कहा कि भारत के लिए यूरोप में भी इसका कोई प्रभाव नहीं दिखता है. हमें नहीं लगता कि ब्रेक्जिट के बाद कोई बदलाव हो रहा है.
"पहले भी, वीजा के मामलों में, यूके और यूरोप के साथ अलग से निपटना पड़ता था."
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बायोटेक प्रमुख बायोकॉन लिमिटेड के कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार-शॉ ने कहा कि इंडियन फार्मा यूके के बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है.
मजुमदार-शॉ ने पीटीआई को बताया, "मेरा मानना है कि ब्रेक्जिट के बाद भारत को कई प्रमुख क्षेत्रों में अपने द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत करने का अवसर मिला है."
उन्होंने कहा (यूके) के एमएचआरए (मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी) और (भारत के) सीजीएससीओ (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन) के बीच घनिष्ठ सहयोग के माध्यम से पारस्परिक नियामक मान्यता मॉडल बनाने का एक मजबूत भागीदारी अवसर है.
यूके, एकल बाजार और सीमा शुल्क संघ को 31 दिसंबर को छोड़ देगा.