नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट भाषण के दौरान कहा कि सरकार ने निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) को बैंक जमा बीमा संरक्षण पांच गुना कर 5 लाख रुपये तक करने की अनुमति दी है.
डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है. यह बैंकों में जमा ग्राहकों के पैसों का बीमा करती है. वित्त मंत्री ने लोकसभा में बजट भाषणा के दौरान कहा कि जमा बीमा सुरक्षा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाएगा.
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वर्तमान में बैंक के डूब ने की स्थिति में हर ग्राहक को डीआईसीजीसी के माध्यम से अधिकतम एक लाख रुपये का बीमा देता है.
पिछले साल पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक जैसे बैंकों की विफलता ने सामान्य जमाकर्ताओं के बीच अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के साथ बनाए गए उनके जीवनकाल की बचत की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा कर दी थी.
पिछले साल सितंबर में बैंकिंग क्षेत्र के नियामक भारतीय रिजर्व बैंक ने पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक के संचालन पर प्रतिबंध लगाया था. रिजर्व बैंक जमाकर्ताओं को एक दिन में 10,000 रुपये से अधिक निकालने से प्रतिबंधित किया, लेकिन बाद में यह सीमा बढ़ा दी गई.
हालांकि, इससे बैंक के जमाकर्ताओं को अत्यधिक कष्ट हुआ क्योंकि सैकड़ों लोगों ने अपनी जीवन भर की बचत खो दी. इन प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप बैंक के कई जमाकर्ताओं की मृत्यु हो गई.
बीमा जमा कवर क्या है?
1961 में सरकार ने बैंक जमाकर्ताओं के साथ बीमा कवर प्रदान करने के लिए जमा बीमा निगम विधेयक पारित किया था.
पहले यह केवल वाणिज्यिक बैंकों के कामकाज पर लागू था. आरबीआई ने 1960 में क्रेडिट गारंटी योजना भी शुरू की थी, बाद में इन दोनों को 1978 में बैंक जमाकर्ताओं की बचत के हितों की रक्षा के लिए आरबीआई के तहत डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन की स्थापना की गई.
दरअसल डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) बैंकों में जमा राशि की एक सीमा तक सुरक्षा की गारंटी लेता है. यह रिजर्व बैंक की एक सहायक इकाई है.
(लेखक - कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ट पत्रकार)