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बजट 2019: नई बिजली परियोजनाओं को मिल सकती है निवेश से जुड़ी कटौती

बिजली मंत्रालय और उद्योग संगठनों ने निवेश संबंधित कटौती की योजना में बिजली परियोजनाओं को पूर्वप्रभावी तरीके से एक अप्रैल, 2017 से शामिल करने की मांग को लेकर वित्त मंत्रालय से संपर्क किया है.

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Published : Jun 17, 2019, 6:15 PM IST

Updated : Jun 17, 2019, 7:21 PM IST

बजट 2019: नई बिजली परियोजनाओं को मिल सकती है निवेश से जुड़ी कटौती

नई दिल्ली: बिजली क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार बिजली उत्पादन इकाइयों को उन अवसंरचना परियोजनाओं की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जो निवेश से जुड़ी कर कटौती की पात्र हैं. यह जानकारी सोमवार को आधिकारिक सूत्रों से मिली.

इस कदम का मकसद आर्थिक विकास के अहम क्षेत्र में निवेश लाना है. हरित क्षेत्र की बिजली परियोजनाओं के लिए धनागम बंद हो गया है, क्योंकि वित्तीय और ईंधन संबंधी समस्याओं को लेकर कई आगामी और नव-परिचालित परियोजनाओं का काम ठप पड़ गया है.

सरकार के सूत्रों के अनुसार, बिजली मंत्रालय और उद्योग संगठनों ने निवेश संबंधित कटौती की योजना में बिजली परियोजनाओं को पूर्वप्रभावी तरीके से एक अप्रैल, 2017 से शामिल करने की मांग को लेकर वित्त मंत्रालय से संपर्क किया है.

ये भी पढ़ें: यूपी में 26 फीसदी तक महंगी हो सकती हैं बिजली की दरें

माना जाता है कि इससे क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा, क्योंकि डेवलपरों को इससे आने वाले वर्षो तक के लिए कर का भुगतान टल जाएगा, क्योंकि परियोजना से राजस्व पैदा होने तक के लिए कर का भुगतान करने में राहत मिल जाएगी.

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट 2016 में अवसंरचना क्षेत्र के लिए एक नया प्रोत्साहन शुरू किया था, जिसमें चुंगी वाली सड़कों, बंदरगाहों, हवाईअड्डों, सेतुओं, रेलवे तंत्रों, राजमार्ग परियोजनाओं और जलापूर्ति व सिंचाई परियोजनाओं को आयकर अधिनियम की धारा 35-एडी के तहत शामिल किया गया है और इन क्षेत्रों की परियोजनाओं को इन्वेस्टमेंट लिंक्ड डिडक्शन यानी निवेश संबंद्ध कटौती प्रदान की गई है.

बिजली क्षेत्र को पूर्व में धारा 80-आईए (लाभ संबद्ध प्रोत्साहन) के प्रावधान के तहत 31 मार्च, 2017 तक के लिए 10 साल का कर अवकाश प्रदान किया गया था. लिहाजा, इसे निवेश संबद्ध कर कटौती योजना में शामिल नहीं किया गया था.

अब पांच जु़लाई को पेश किए जाने वाले आम बजट 2019-20 में बिजली क्षेत्र को इसमें शामिल करके वित्तमंत्री इस मसले का हल कर सकती हैं.

निजी क्षेत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "इस क्षेत्र के लिए यह अच्छा कदम होगा, क्योंकि संकट में फंसी बिजली परियोजनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. कर में विराम जारी रहने से डेवलपर इसमें धन लगाना जारी रखेंगे, जिससे ईंधन व वित्तीय चिंताएं दूर होंगी."

नई दिल्ली: बिजली क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार बिजली उत्पादन इकाइयों को उन अवसंरचना परियोजनाओं की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जो निवेश से जुड़ी कर कटौती की पात्र हैं. यह जानकारी सोमवार को आधिकारिक सूत्रों से मिली.

इस कदम का मकसद आर्थिक विकास के अहम क्षेत्र में निवेश लाना है. हरित क्षेत्र की बिजली परियोजनाओं के लिए धनागम बंद हो गया है, क्योंकि वित्तीय और ईंधन संबंधी समस्याओं को लेकर कई आगामी और नव-परिचालित परियोजनाओं का काम ठप पड़ गया है.

सरकार के सूत्रों के अनुसार, बिजली मंत्रालय और उद्योग संगठनों ने निवेश संबंधित कटौती की योजना में बिजली परियोजनाओं को पूर्वप्रभावी तरीके से एक अप्रैल, 2017 से शामिल करने की मांग को लेकर वित्त मंत्रालय से संपर्क किया है.

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माना जाता है कि इससे क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा, क्योंकि डेवलपरों को इससे आने वाले वर्षो तक के लिए कर का भुगतान टल जाएगा, क्योंकि परियोजना से राजस्व पैदा होने तक के लिए कर का भुगतान करने में राहत मिल जाएगी.

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट 2016 में अवसंरचना क्षेत्र के लिए एक नया प्रोत्साहन शुरू किया था, जिसमें चुंगी वाली सड़कों, बंदरगाहों, हवाईअड्डों, सेतुओं, रेलवे तंत्रों, राजमार्ग परियोजनाओं और जलापूर्ति व सिंचाई परियोजनाओं को आयकर अधिनियम की धारा 35-एडी के तहत शामिल किया गया है और इन क्षेत्रों की परियोजनाओं को इन्वेस्टमेंट लिंक्ड डिडक्शन यानी निवेश संबंद्ध कटौती प्रदान की गई है.

बिजली क्षेत्र को पूर्व में धारा 80-आईए (लाभ संबद्ध प्रोत्साहन) के प्रावधान के तहत 31 मार्च, 2017 तक के लिए 10 साल का कर अवकाश प्रदान किया गया था. लिहाजा, इसे निवेश संबद्ध कर कटौती योजना में शामिल नहीं किया गया था.

अब पांच जु़लाई को पेश किए जाने वाले आम बजट 2019-20 में बिजली क्षेत्र को इसमें शामिल करके वित्तमंत्री इस मसले का हल कर सकती हैं.

निजी क्षेत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "इस क्षेत्र के लिए यह अच्छा कदम होगा, क्योंकि संकट में फंसी बिजली परियोजनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. कर में विराम जारी रहने से डेवलपर इसमें धन लगाना जारी रखेंगे, जिससे ईंधन व वित्तीय चिंताएं दूर होंगी."

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नई दिल्ली: बिजली क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए, सरकार बुनियादी ढांचा परियोजना की सूची में बिजली पैदा करने वाली इकाइयों को शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जो निवेश से जुड़ी कटौती के योग्य हैं. एक अधिकारिक सूत्र ने सोमवार को यह जानकारी दी.

इस कदम से आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले क्षेत्र में निवेश लाने की उम्मीद है. ग्रीनफील्ड पावर प्रोजेक्ट्स में किया निवेश बह गया है क्योंकि कई आगामी और नए कमीशन प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, जिनपर वित्तपोषण और ईंधन से संबंधित मुद्दों के चलते काम करना बंद हो गया.

सरकार के सूत्रों के अनुसार, 1 अप्रैल, 2017 से निवेश से जुड़े कटौती पर योजना में बिजली क्षेत्र की परियोजनाओं को शामिल करने के लिए ऊर्जा मंत्रालय और उद्योग संघों ने वित्त मंत्रालय से संपर्क किया है.

यह माना जाता है कि इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करेगा क्योंकि परियोजना डेवलपर्स भविष्य के वर्षों के लिए कर भुगतानों को स्थगित कर देंगे, जब तक परियोजना राजस्व उत्पन्न करना शुरू नहीं करेगी.

कर प्रोत्साहनों को चरणबद्ध करने की समग्र प्रवृत्ति के बीच, बजट 2016 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए एक नया प्रोत्साहन पेश किया, जिसके द्वारा टोल रोड, बंदरगाह, हवाई अड्डे, पुल, रेलवे सिस्टम, राजमार्ग परियोजनाओं और जल आपूर्ति और सिंचाई का निर्माण किया गया. इनकम टैक्स एक्ट के एक नए सेक्शन 35-एडी के तहत प्रोजेक्ट्स को शामिल किया गया था, जिससे इन सेक्टर्स के प्रोजेक्ट्स में निवेश से जुड़ी कटौती की जा सके.

पावर सेक्टर, जिसे पहले सेक्शन 80-आईए (प्रॉफिट लिंक्ड इंसेंटिव) के प्रावधान के तहत 31 मार्च, 2017 तक 10 साल की टैक्स हॉलिडे मिलती थी, को निवेश से जुड़ी टैक्स डिडक्शन स्कीम के तहत शामिल नहीं किया गया था. 5 जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट 2019-20 में बिजली क्षेत्र को शामिल करने के मुद्दों को देखते हुए अब वित्त मंत्री के साथ इसे ठीक किए जाने की संभावना है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह उस सेक्टर के लिए एक अच्छा विकास होगा जो स्ट्रेस्ड पावर प्रोजेक्ट्स की बढ़ती संख्या को देख रहा है. टैक्स ब्रेक की निरंतरता यह सुनिश्चित करेगी कि प्रोजेक्ट डेवलपर को पैसा देना जारी रहेगा."

धारा 35-एडी, धारा 80-आईए के तहत बिजली क्षेत्र के लिए पहले से जुड़ी लाभकारी प्रोत्साहन योजना से अलग है क्योंकि यह बाद के वर्ष में कर योग्य आय की गणना करते हुए, आय से योग्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं द्वारा किए गए पूंजीगत व्यय में कटौती की अनुमति देता है. निवेश-लिंक्ड कटौती नामक लाभ, कंपनियों को भविष्य के वर्षों के लिए कर भुगतान को स्थगित करने में मदद करता है.

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Last Updated : Jun 17, 2019, 7:21 PM IST
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