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लॉकडाउन से निकलने पर वित्तीय क्षेत्र को खड़ा करना सबसे बड़ी चुनौती: पनगढ़िया

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा, "अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने और कोविड-19 से पहले वाले दौर में वापस लाने के लिए हमें इस स्वास्थ्य संकट से बाहर आना होगा. एक बार जब यह हो जाएगा तो हमें जिस कमजोरी से पार पाने की जरूरत होगी, वह वित्तीय बाजारों में व्यवधानों का दूर करना. इसे हमने कोविड-19 से पहले अनसुलझा छोड़ दिया था."

लॉकडाउन से निकलने पर वित्तीय क्षेत्र को खड़ा करना सबसे बड़ी चुनौती: पनगढ़िया
लॉकडाउन से निकलने पर वित्तीय क्षेत्र को खड़ा करना सबसे बड़ी चुनौती: पनगढ़िया
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Published : Jun 1, 2020, 9:55 PM IST

नई दिल्ली: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को लॉकडाउन से बाहर लाने के बाद 'पहले नंबर की चुनौती' वित्तीय क्षेत्र को वापस उसके पैरों पर खड़ा करना होगी.

पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में पनगढ़िया ने कहा कि भारत एक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था अचानक से रुक गयी है.

उन्होंने कहा, "अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने और कोविड-19 से पहले वाले दौर में वापस लाने के लिए हमें इस स्वास्थ्य संकट से बाहर आना होगा. एक बार जब यह हो जाएगा तो हमें जिस कमजोरी से पार पाने की जरूरत होगी, वह वित्तीय बाजारों में व्यवधानों का दूर करना. इसे हमने कोविड-19 से पहले अनसुलझा छोड़ दिया था."

पनगढ़िया ने कहा, "अर्थव्यवस्था को एक बार खोलने के बाद सरकार की सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय क्षेत्र को वापस उसके पैरों पर खड़ा करना रह जाएगी."

कोविड-19 के प्रसार को सीमित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को पहले 21 दिन का लॉकडाउन किया था. तब से अब तक इसे विभिन्न बदलावों के साथ पांच बार आगे बढ़ाया जा चुका है. विभिन्न रियायतों के साथ लॉकडाउन का पांचवा चरण 30 जून तक रहेगा.

ये भी पढ़ें: पयर्टक को किराये की मोटरसाइकिल, कैब चालाते समय विशेष बिल्ला पहनना जरूरी नहीं, लाइसेंस जरूरी

भारत की मौजूदा वृहद आर्थिक स्थिति पर अर्थशास्त्री पनगढ़िया ने कहा कि जब लोगों का जीवन बिना मास्क और सामुदायिक दूरी के सुचारू और सामान्य हो जाएगा. देश की आर्थिक वृद्धि अपने आप तेज हो जाएगी.

उन्होंने कहा कि क्या हम अंदाजा लगा सकते हैं कि 2020-21 में देश की जीडीपी कहां जाकर ठहरेगी. उन्हें लगता है कि इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता क्योंकि अभी बहुत ज्यादा अनिश्चिता है, हम कब बिना मास्क और सामुदायिक दूरी के सामान्य तरीके से जीवन जी सकेंगे.

पनगढ़िया ने कहा कि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि कोरोना वायरस का टीका कब बनता है या इसका इलाज कब उपलब्ध होता है. या फिर वायरस कब खुदबखुद खत्म होता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को लॉकडाउन से बाहर लाने के बाद 'पहले नंबर की चुनौती' वित्तीय क्षेत्र को वापस उसके पैरों पर खड़ा करना होगी.

पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में पनगढ़िया ने कहा कि भारत एक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था अचानक से रुक गयी है.

उन्होंने कहा, "अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने और कोविड-19 से पहले वाले दौर में वापस लाने के लिए हमें इस स्वास्थ्य संकट से बाहर आना होगा. एक बार जब यह हो जाएगा तो हमें जिस कमजोरी से पार पाने की जरूरत होगी, वह वित्तीय बाजारों में व्यवधानों का दूर करना. इसे हमने कोविड-19 से पहले अनसुलझा छोड़ दिया था."

पनगढ़िया ने कहा, "अर्थव्यवस्था को एक बार खोलने के बाद सरकार की सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय क्षेत्र को वापस उसके पैरों पर खड़ा करना रह जाएगी."

कोविड-19 के प्रसार को सीमित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को पहले 21 दिन का लॉकडाउन किया था. तब से अब तक इसे विभिन्न बदलावों के साथ पांच बार आगे बढ़ाया जा चुका है. विभिन्न रियायतों के साथ लॉकडाउन का पांचवा चरण 30 जून तक रहेगा.

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भारत की मौजूदा वृहद आर्थिक स्थिति पर अर्थशास्त्री पनगढ़िया ने कहा कि जब लोगों का जीवन बिना मास्क और सामुदायिक दूरी के सुचारू और सामान्य हो जाएगा. देश की आर्थिक वृद्धि अपने आप तेज हो जाएगी.

उन्होंने कहा कि क्या हम अंदाजा लगा सकते हैं कि 2020-21 में देश की जीडीपी कहां जाकर ठहरेगी. उन्हें लगता है कि इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता क्योंकि अभी बहुत ज्यादा अनिश्चिता है, हम कब बिना मास्क और सामुदायिक दूरी के सामान्य तरीके से जीवन जी सकेंगे.

पनगढ़िया ने कहा कि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि कोरोना वायरस का टीका कब बनता है या इसका इलाज कब उपलब्ध होता है. या फिर वायरस कब खुदबखुद खत्म होता है.

(पीटीआई-भाषा)

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