ETV Bharat / business

बासमती चावल का निर्यात अगले वित्त वर्ष में 4-5 प्रतिशत बढ़ने की संभावना: रिपोर्ट

author img

By

Published : Mar 28, 2019, 8:43 AM IST

इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय बासमती चावल उद्योग का निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 30,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर को छूने की संभावना है. इससे पहले 2013-14 में यह 29,300 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचा था.

कॉन्सेप्ट इमेज।

मुंबई : देश का बासमती चावल का निर्यात वर्ष 2019-20 में 4-5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है. बासमती की औसत प्राप्ति में वृद्धि, ईरान सहित विभिन्न देशों से मजबूत मांग तथा पिछले तीन वर्षों से धान की कीमतों में निरंतर वृद्धि होना इसके पीछे प्रमुख वजह होगी. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय बासमती चावल उद्योग का निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 30,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर को छूने की संभावना है. इससे पहले 2013-14 में यह 29,300 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचा था.

इस वित्तवर्ष में निर्यात में वृद्धि मुख्य रूप से औसत प्राप्ति बढ़ने, ईरान की मजबूत मांग तथा तीन साल से धान कीमतों में लगातार वृद्धि जैसे कारणों से संभव होगा. इक्रा को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में निर्यात वृद्धि की गति 2019-20 में भी बनी रहेगी, जहां निर्यात में 4-5 प्रतिशत वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है.

इक्रा के सहायक उपाध्यक्ष दीपक जोतवानी ने कहा, "यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह वृद्धि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सामने आई कुछ चुनौतियों के बावजूद हासिल हुई है. जैसे कीटनाशक अवशेषों का मुद्दा यूरोपीय संघ (ईयू) को निर्यात में गिरावट का कारण बना था, उधर, सऊदी अरब ने कड़े कीटनाशक नियमों को अपनाया, कुछ ईरानी आयातकों की ओर से भुगतान संबंधी मसला सामने आया और अमेरिका द्वारा ईरान पर व्यापार प्रतिबंध लगाने के बाद अनिश्चितता की स्थिति बन गई थी."

वित्त वर्ष 2017-18 में बनी रफ्तार को जारी रखते हुए भारत ने चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने में 24,919 करोड़ रुपये (33.7 लाख टन) बासमती चावल का निर्यात कर दिया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 21,319 करोड़ रुपये (32.8 लाख टन) के निर्यात से 17 प्रतिशत अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान द्वारा आयात फिर शुरू करने से वित्त वर्ष 2018-19 में चावल निर्यात लगभग 30,000 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर तक पहुंच जायेगा.
ये भी पढ़ें : न्यूनतम आय योजना चरणबद्ध तरीके से लागू होगी: चिदंबरम

मुंबई : देश का बासमती चावल का निर्यात वर्ष 2019-20 में 4-5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है. बासमती की औसत प्राप्ति में वृद्धि, ईरान सहित विभिन्न देशों से मजबूत मांग तथा पिछले तीन वर्षों से धान की कीमतों में निरंतर वृद्धि होना इसके पीछे प्रमुख वजह होगी. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय बासमती चावल उद्योग का निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 30,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर को छूने की संभावना है. इससे पहले 2013-14 में यह 29,300 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचा था.

इस वित्तवर्ष में निर्यात में वृद्धि मुख्य रूप से औसत प्राप्ति बढ़ने, ईरान की मजबूत मांग तथा तीन साल से धान कीमतों में लगातार वृद्धि जैसे कारणों से संभव होगा. इक्रा को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में निर्यात वृद्धि की गति 2019-20 में भी बनी रहेगी, जहां निर्यात में 4-5 प्रतिशत वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है.

इक्रा के सहायक उपाध्यक्ष दीपक जोतवानी ने कहा, "यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह वृद्धि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सामने आई कुछ चुनौतियों के बावजूद हासिल हुई है. जैसे कीटनाशक अवशेषों का मुद्दा यूरोपीय संघ (ईयू) को निर्यात में गिरावट का कारण बना था, उधर, सऊदी अरब ने कड़े कीटनाशक नियमों को अपनाया, कुछ ईरानी आयातकों की ओर से भुगतान संबंधी मसला सामने आया और अमेरिका द्वारा ईरान पर व्यापार प्रतिबंध लगाने के बाद अनिश्चितता की स्थिति बन गई थी."

वित्त वर्ष 2017-18 में बनी रफ्तार को जारी रखते हुए भारत ने चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने में 24,919 करोड़ रुपये (33.7 लाख टन) बासमती चावल का निर्यात कर दिया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 21,319 करोड़ रुपये (32.8 लाख टन) के निर्यात से 17 प्रतिशत अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान द्वारा आयात फिर शुरू करने से वित्त वर्ष 2018-19 में चावल निर्यात लगभग 30,000 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर तक पहुंच जायेगा.
ये भी पढ़ें : न्यूनतम आय योजना चरणबद्ध तरीके से लागू होगी: चिदंबरम

Intro:Body:

मुंबई : देश का बासमती चावल का निर्यात वर्ष 2019-20 में 4-5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है. बासमती की औसत प्राप्ति में वृद्धि, ईरान सहित विभिन्न देशों से मजबूत मांग तथा पिछले तीन वर्षों से धान की कीमतों में निरंतर वृद्धि होना इसके पीछे प्रमुख वजह होगी. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय बासमती चावल उद्योग का निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 30,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर को छूने की संभावना है. इससे पहले 2013-14 में यह 29,300 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचा था.

इस वित्तवर्ष में निर्यात में वृद्धि मुख्य रूप से औसत प्राप्ति बढ़ने, ईरान की मजबूत मांग तथा तीन साल से धान कीमतों में लगातार वृद्धि जैसे कारणों से संभव होगा. इक्रा को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में निर्यात वृद्धि की गति 2019-20 में भी बनी रहेगी, जहां निर्यात में 4-5 प्रतिशत वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है.

इक्रा के सहायक उपाध्यक्ष दीपक जोतवानी ने कहा, "यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह वृद्धि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सामने आई कुछ चुनौतियों के बावजूद हासिल हुई है. जैसे कीटनाशक अवशेषों का मुद्दा यूरोपीय संघ (ईयू) को निर्यात में गिरावट का कारण बना था, उधर, सऊदी अरब ने कड़े कीटनाशक नियमों को अपनाया, कुछ ईरानी आयातकों की ओर से भुगतान संबंधी मसला सामने आया और अमेरिका द्वारा ईरान पर व्यापार प्रतिबंध लगाने के बाद अनिश्चितता की स्थिति बन गई थी."

वित्त वर्ष 2017-18 में बनी रफ्तार को जारी रखते हुए भारत ने चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने में 24,919 करोड़ रुपये (33.7 लाख टन) बासमती चावल का निर्यात कर दिया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 21,319 करोड़ रुपये (32.8 लाख टन) के निर्यात से 17 प्रतिशत अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान द्वारा आयात फिर शुरू करने से वित्त वर्ष 2018-19 में चावल निर्यात लगभग 30,000 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर तक पहुंच जायेगा.

ये भी पढ़ें :


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.