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रिजर्व बैंक के निर्णय के बाद 8.4 लाख करोड़ रुपये तक के ऋण का पुनर्गठन करने को बैंक तैयार: रिपोर्ट - इंडिया रेटिंग्स

एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि 8.4 करोड़ रुपये के इन कर्जों में 60 प्रतिशत से अधिक को यदि पुनर्गठित नहीं किया गया, तो उनके गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में गिरने की आशंका है.

रिजर्व बैंक के निर्णय के बाद 8.4 लाख करोड़ रुपये तक के ऋण का पुनर्गठन करने को बैंक तैयार: रिपोर्ट
रिजर्व बैंक के निर्णय के बाद 8.4 लाख करोड़ रुपये तक के ऋण का पुनर्गठन करने को बैंक तैयार: रिपोर्ट
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Published : Aug 19, 2020, 6:32 PM IST

मुंबई: रिजर्व बैंक से मंजूरी मिल जाने के बाद बैंक 8.4 लाख करोड़ रुपये के संकटग्रस्त ऋणों का पुनर्गठन करने की तैयारी में हैं. यह बैंकों के कुल कर्ज का 7.7 प्रतिशत है. एक घरेलू रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही.

एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि 8.4 करोड़ रुपये के इन कर्जों में 60 प्रतिशत से अधिक को यदि पुनर्गठित नहीं किया गया, तो उनके गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में गिरने की आशंका है.

पुनर्गठन से बैंकों की आय भी बेहतर होगी, क्योंकि उन्हें अपेक्षाकृत कम प्रावधान करना होगा. इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई ने एक पुनर्गठन पैकेज की घोषणा की थी.

एजेंसी ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के समय करीब 90 प्रतिशत पुनर्गठित कर्ज कॉरपोरेट क्षेत्र के थे. तब की तुलना में इस बार कॉरपोरेट से इतर के क्षेत्रों की हिस्सेदारी अधिक होगी, जिनमें छोटे व्यवसाय, कृषि व खुदरा कर्ज शामिल होंगे.

अनुमान है कि 2.1 लाख करोड़ रुपये के ऐसे कर्ज का पुनर्गठन किया जाना है, जो कॉरपोरेट क्षेत्र के नहीं हैं. एजेंसी ने कहा कि गैर-कॉरपोरेट क्षेत्र महामारी की शुरुआत से पहले ही संकट के संकेत देने लगा था.

इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र के चार लाख करोड़ रुपये के कर्ज महामारी के पहले से ही संकट में फंसे थे. महामारी के कारण इसमें 2.5 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो गया.

ये भी पढ़ें: सोने में 640 रुपये की गिरावट, चांदी 3,112 रुपये टूटा

गैर-कॉरपोरेट क्षेत्र में यह इजाफा और अधिक हुआ. पहले इस क्षेत्र के संकट में फंसे कर्ज महज 70 हजार करोड़ रुपये थे, जिनके 2.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की आशंका है.

एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट क्षेत्र में 3.3 लाख करोड़ रुपये से 6.3 लाख करोड़ रुपये तक के कर्ज का पुनर्गठन किया जा सकता है. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक क्या रणनीति अपनाते हैं.

पुनर्गठन में रियल एस्टेट और होटल जैसे क्षेत्रों की काफी हिस्सेदारी रहने वाली है, लेकिन बुनियादी संरचना, बिजली और निर्माण क्षेत्रों की हिस्सेदारी सर्वाधिक रहेगी.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: रिजर्व बैंक से मंजूरी मिल जाने के बाद बैंक 8.4 लाख करोड़ रुपये के संकटग्रस्त ऋणों का पुनर्गठन करने की तैयारी में हैं. यह बैंकों के कुल कर्ज का 7.7 प्रतिशत है. एक घरेलू रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही.

एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि 8.4 करोड़ रुपये के इन कर्जों में 60 प्रतिशत से अधिक को यदि पुनर्गठित नहीं किया गया, तो उनके गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में गिरने की आशंका है.

पुनर्गठन से बैंकों की आय भी बेहतर होगी, क्योंकि उन्हें अपेक्षाकृत कम प्रावधान करना होगा. इस महीने की शुरुआत में, आरबीआई ने एक पुनर्गठन पैकेज की घोषणा की थी.

एजेंसी ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के समय करीब 90 प्रतिशत पुनर्गठित कर्ज कॉरपोरेट क्षेत्र के थे. तब की तुलना में इस बार कॉरपोरेट से इतर के क्षेत्रों की हिस्सेदारी अधिक होगी, जिनमें छोटे व्यवसाय, कृषि व खुदरा कर्ज शामिल होंगे.

अनुमान है कि 2.1 लाख करोड़ रुपये के ऐसे कर्ज का पुनर्गठन किया जाना है, जो कॉरपोरेट क्षेत्र के नहीं हैं. एजेंसी ने कहा कि गैर-कॉरपोरेट क्षेत्र महामारी की शुरुआत से पहले ही संकट के संकेत देने लगा था.

इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र के चार लाख करोड़ रुपये के कर्ज महामारी के पहले से ही संकट में फंसे थे. महामारी के कारण इसमें 2.5 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो गया.

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गैर-कॉरपोरेट क्षेत्र में यह इजाफा और अधिक हुआ. पहले इस क्षेत्र के संकट में फंसे कर्ज महज 70 हजार करोड़ रुपये थे, जिनके 2.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की आशंका है.

एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट क्षेत्र में 3.3 लाख करोड़ रुपये से 6.3 लाख करोड़ रुपये तक के कर्ज का पुनर्गठन किया जा सकता है. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक क्या रणनीति अपनाते हैं.

पुनर्गठन में रियल एस्टेट और होटल जैसे क्षेत्रों की काफी हिस्सेदारी रहने वाली है, लेकिन बुनियादी संरचना, बिजली और निर्माण क्षेत्रों की हिस्सेदारी सर्वाधिक रहेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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