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दबाव में कर्ज देने से और दुर्बल हो जाएंगे बैंक, दो साल में छह प्रतिशत बढ़ जाएगा एनपीए: फिच - बैंक एनपीए

फिच रेटिंग्स ने कहा कि जबरन कर्ज देने के दबाव के चलते बैंकों का बकाया ऋण अनुपात दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच हो सकता है. यह बैंकों के हालात की गंभीरता और बैंकों के जोखिम लेने की क्षमता और उच्च नियामक प्रावधानों पर निर्भर करेगा.

दबाव में कर्ज देने से और दुर्बल हो जाएंगे बैंक, दो साल में छह प्रतिशत बढ़ जाएगा एनपीए: फिच
दबाव में कर्ज देने से और दुर्बल हो जाएंगे बैंक, दो साल में छह प्रतिशत बढ़ जाएगा एनपीए: फिच
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Published : May 28, 2020, 7:37 PM IST

मुंबई: फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दीफिच रेटिंग्स ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी कि सरकार के करीब 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज के तहत पहले से स्वीकृत उधार देने से उन्हें कर्ज की किस्ते वसूल करने में उल्लेखनीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे अगले दो वर्षों के दौरान उनके बकाया ऋण अनुपात में छह प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है.

फिच रेटिंग्स ने कहा कि जबरन कर्ज देने के दबाव के चलते बैंकों का बकाया ऋण अनुपात दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच हो सकता है. यह बैंकों के हालात की गंभीरता और बैंकों के जोखिम लेने की क्षमता और उच्च नियामक प्रावधानों पर निर्भर करेगा. एजेंसी ने हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों के एनपीए के बारे में अलग-अलग जानकारी नहीं दी.

सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज में बैंक ऋण में कई तरह की राहत और कर्ज अदायगी में दी गई मोहलत में 90 दिनों की वृद्धि शामिल है. फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये उपाय विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर भारी बोझ डालेंगे, जिनकी बैलेंस शीट पहले ही बहुत कमजोर है.

ये भी पढ़ें: गौतम अडाणी ने कहा, कोविड-19 स्वच्छ ऊर्जा की ओर तेजी से बढ़ने का अवसर

रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के काबू में आने तक उपभोक्ता मांग और विनिर्माण, दोनों ही खराब स्थिति में रहने वाले हैं. फिच ने कहा कि सभी क्षेत्रों में तनाव बढ़ रहा है, लेकिन एमएसएमई और खुदरा क्षेत्र में सबसे अधिक जोखिम होगा.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दीफिच रेटिंग्स ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी कि सरकार के करीब 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज के तहत पहले से स्वीकृत उधार देने से उन्हें कर्ज की किस्ते वसूल करने में उल्लेखनीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे अगले दो वर्षों के दौरान उनके बकाया ऋण अनुपात में छह प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है.

फिच रेटिंग्स ने कहा कि जबरन कर्ज देने के दबाव के चलते बैंकों का बकाया ऋण अनुपात दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच हो सकता है. यह बैंकों के हालात की गंभीरता और बैंकों के जोखिम लेने की क्षमता और उच्च नियामक प्रावधानों पर निर्भर करेगा. एजेंसी ने हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों के एनपीए के बारे में अलग-अलग जानकारी नहीं दी.

सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज में बैंक ऋण में कई तरह की राहत और कर्ज अदायगी में दी गई मोहलत में 90 दिनों की वृद्धि शामिल है. फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये उपाय विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर भारी बोझ डालेंगे, जिनकी बैलेंस शीट पहले ही बहुत कमजोर है.

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रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के काबू में आने तक उपभोक्ता मांग और विनिर्माण, दोनों ही खराब स्थिति में रहने वाले हैं. फिच ने कहा कि सभी क्षेत्रों में तनाव बढ़ रहा है, लेकिन एमएसएमई और खुदरा क्षेत्र में सबसे अधिक जोखिम होगा.

(पीटीआई-भाषा)

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