नई दिल्ली: वाणिज्यक बैंकों ने रेपो दर में लगातार तीसरी कटौती का स्वागत करते हुए इसे वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाला कदम बताया है पर वे बृहस्पतिवार को इस कटौती के बावजूद अनलर कर्ज और अधिक सस्ता करने कम करने के बारे में तत्काल कोई भरोसा देने को तैयार नहीं दिखे.
इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के चेयरमैन सुनील मेहता ने भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति द्वारा बृहस्पतिवार को रेपो दर 0.25 प्रतिशत कम करने निर्णय पर कहा, "आर्थिक वृद्धि की जरूरतों को देखते हुए बैंकों को रेपो दर में कटौती का लाभ आगे बढ़ाने के बारे में फैसला करना चाहिये."
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भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, "रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख को नरम बनाने से से आने वाले समय में वित्तीय प्रणाली को कम ब्याज दर वाली व्यवस्था की ओर बढने और इससे वृद्धि की चिंताओं को भी देखने में मदद मिलेगी."
आईसीआईसीआई बैंक के समूह प्रमुख (वैश्विक बाजार-बिक्री, व्यापार एवं शोध) बी प्रसन्ना ने कहा, "यह (बदला) नीतिगत रुख काफी उत्साहजनक है. यह फैसला सर्वसम्मति से हुआ है. रुख को (तटस्थ से) बदलकर नरम किया गया है. मौद्रिक समीक्षा वृद्धि और निजी निवेश को प्रोत्साहन देने वाली है."
एचडीएफसी बैंक के अर्थशास्त्री ने कहा कि अगस्त की समीक्षा में एक और बार कटौती की जा सकती है.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने नीतिगत ब्याज दर में कटौती का लाभ ग्राहकों को देने के मोर्चे पर बैंकों की स्थिति की बृहस्पतिवार को सराहना की. हालांकि, उन्होंने साथ में यह भी कहा कि बैंकों को नीतिगत दर (रेपो) में कमी का लाभ ग्राहकों को अपेक्षाकृत अधिक ऊंचा और अधिक तेजी से देना चाहिए.
दास ने कहा कि बैंकों ने जनवरी के बाद से रेपो दर में हुई 0.50 प्रतिशत की कटौती में से उपभोक्ताओं को महज 0.21 प्रतिशत का लाभ दिया.