नई दिल्ली : इस साल कोविड-19 महामारी के चलते बुरी तरह प्रभावित होने के बाद उम्मीद है कि देश का निर्यात 2021 में तेजी से बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियों की बहाली तथा दुनिया भर में मांग बढ़ने से इसमें मदद मिलेगी.
हालांकि, बढ़ते संरक्षणवाद के कारण अनिश्चित वैश्विक व्यापार की स्थिति आने वाले महीनों में निर्यात पर प्रतिकूल असर दिखा सकती है. गौरतलब है कि संरक्षणवाद से 2019 में वैश्विक व्यापार पर असर पड़ा था.
निर्यातकों को भरोसा है कि अप्रैल 2021 से निर्यात में एक उल्लेखनीय वृद्धि होने लगेगी, और कोविड-19 की वैक्सीन आने के बाद विकसित देशों के साथ ही विकसित देशों में भी मांग बढ़ेगी.
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने अक्टूबर में अनुमान लगाया था कि 2020 में वैश्विक व्यापार में 9.2 प्रतिशत की गिरावट होगी, हालांकि इसके बाद 2021 में 7.2 प्रतिशत वृद्धि की बात कही गई. ये अनुमान अनिश्चितता से भरे हैं, क्योंकि ये महामारी की स्थिति और सरकारों की प्रतिक्रियाओं के अधीन हैं.
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) शरद कुमार सराफ ने कहा, "2021 की पहली तिमाही सुस्त रहेगी, क्योंकि एमईआईएस (भारत से वस्तुओं का निर्यात योजना) से संबंधित मुद्दों का अभी समाधान नहीं हुआ है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले महीनों में इन मुद्दों का समाधान हो जाएगा और अप्रैल से निर्यात के लिए स्थिति सामान्य हो जाएगी."
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उन्होंने कहा कि निर्यातकों की ऑर्डर बुक अच्छी है लेकिन एमईआईएस से जुड़े मुद्दे, उच्च माल भाड़ा और कच्चे माल की कीमतें फिलहाल निर्यात को नुकसान पहुंचा रही हैं.
फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि 2021 निर्यातकों के लिए आशा की नई किरण लाएगा, क्योंकि उम्मीद कि कोविड-19 का सबसे बुरा दौर खत्म हो गया है और वैक्सीन से जिंदगी एक बार फिर पटरी पर आ जाएगी.
उन्होंने उम्मीद जताई कि वैश्विक व्यापार में तेजी से सुधार होगा और हम 2020 में जितना खो चुके हैं, उससे बहुत ज्यादा हासिल कर लेंगे.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड (आईआईएफटी) के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से निर्यात अगले साल सकारात्मक हो जाएगा.
उन्होंने कहा, "हालांकि, वैश्विक बाजारों में भारतीय उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए संरचनात्मक सुधार करने की जरूरत है."