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"एक्ट ऑफ गॉड": वित्त मंत्री ने जीएसटी की कमी को कोविड महामारी से जोड़ा - जीएसटी परिषद

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक के बाद संवाददाताओं को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था असाधारण प्राकृतिक आपदा का सामना कर रही है. इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में गिरावट आ सकती है.

जीएसटी काउंसिल की प्रेस कांफ्रेस चालू, जानकारी देती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
जीएसटी काउंसिल की प्रेस कांफ्रेस चालू, जानकारी देती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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Published : Aug 27, 2020, 4:31 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 7:01 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र ने बृहस्पतिवार को जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिये राज्यों द्वारा उधार जुटाने के लिये जीएसटी परिषद के समक्ष दो विकल्प रखे. चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक के बाद संवाददाताओं को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था असाधारण प्राकृतिक आपदा का सामना कर रही है. इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में गिरावट आ सकती है.

केंद्र के आकलन के अनुसार चालू वित्त वर्ष में क्षतिपूर्ति के रूप में राज्यों को 3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी. इसमें से 65,000 करोड़ रुपये की भरपाई जीएसटी के अंतर्गत लगाये गये उपकर से प्राप्त राशि से होगी. इसीलिए कुल कमी 2.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.

वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि इसमें से 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी की कमी की वजह से जबकि शेष का कारण कोविड-19 का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव है.

पांडे ने कहा कि रिजर्व बैंक से विचार-विमर्श के बाद राज्यों को विशेष विकल्प उपलब्ध कराये जा सकते हैं. इसके तहत वाजिब ब्याज दर 97,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जा सकते हैं. राशि का भुगतान पांच साल बाद (जीएसटी लागू होने के) 2022 के अंत में उपकर संग्रह से किया जा सकता है.

राज्यों के पास दूसरा विकल्प यह है कि वे क्षतिपूर्ति की पूरी राशि 2.35 लाख करोड़ रुपये विशेष उपाय के तहत कर्ज लें.

राज्यों ने मांगा एक सप्ताह का समय

वित्त सचिव ने बताया कि राज्यों ने विकल्पों के बारे में सोचने के लिए उन्हें 7 कार्य दिवस देने को कहा है. ये विकल्प केवल चालू वर्ष के दौरान उपलब्ध होंगे, स्थिति की समीक्षा अगले वर्ष की जाएगी. हम जल्द ही एक और जीएसटी बैठक कर सकते हैं.

प्रेस कॉंफ्रेस में वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने बताया कि जैसा कि मार्च 2020 में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उल्लेख किया था, मामले की कानूनी राय भारत के अटॉर्नी जनरल से मांगी गई थी.

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जीएसटी मुआवजे का भुगतान संक्रमण अवधि के लिए किया जाना है - जुलाई 2017 से जून 2022 तक.

वित्त सचिव का कहना है कि सेस फंड से मिलने वाली क्षतिपूर्ति अंतर को उपकर की धनराशि से लिया जाना चाहिए.

अटॉर्नी जनरल का स्पष्ट मत था कि क्षतिपूर्ति अंतर भारत के समेकित कोष से पूरा नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने सुझाव दिया कि क्षतिपूर्ति उपकर को 5 साल से अधिक बढ़ाया जा सकता है.

नई दिल्ली: केंद्र ने बृहस्पतिवार को जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिये राज्यों द्वारा उधार जुटाने के लिये जीएसटी परिषद के समक्ष दो विकल्प रखे. चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक के बाद संवाददाताओं को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था असाधारण प्राकृतिक आपदा का सामना कर रही है. इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में गिरावट आ सकती है.

केंद्र के आकलन के अनुसार चालू वित्त वर्ष में क्षतिपूर्ति के रूप में राज्यों को 3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी. इसमें से 65,000 करोड़ रुपये की भरपाई जीएसटी के अंतर्गत लगाये गये उपकर से प्राप्त राशि से होगी. इसीलिए कुल कमी 2.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.

वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि इसमें से 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी की कमी की वजह से जबकि शेष का कारण कोविड-19 का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव है.

पांडे ने कहा कि रिजर्व बैंक से विचार-विमर्श के बाद राज्यों को विशेष विकल्प उपलब्ध कराये जा सकते हैं. इसके तहत वाजिब ब्याज दर 97,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जा सकते हैं. राशि का भुगतान पांच साल बाद (जीएसटी लागू होने के) 2022 के अंत में उपकर संग्रह से किया जा सकता है.

राज्यों के पास दूसरा विकल्प यह है कि वे क्षतिपूर्ति की पूरी राशि 2.35 लाख करोड़ रुपये विशेष उपाय के तहत कर्ज लें.

राज्यों ने मांगा एक सप्ताह का समय

वित्त सचिव ने बताया कि राज्यों ने विकल्पों के बारे में सोचने के लिए उन्हें 7 कार्य दिवस देने को कहा है. ये विकल्प केवल चालू वर्ष के दौरान उपलब्ध होंगे, स्थिति की समीक्षा अगले वर्ष की जाएगी. हम जल्द ही एक और जीएसटी बैठक कर सकते हैं.

प्रेस कॉंफ्रेस में वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने बताया कि जैसा कि मार्च 2020 में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उल्लेख किया था, मामले की कानूनी राय भारत के अटॉर्नी जनरल से मांगी गई थी.

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जीएसटी मुआवजे का भुगतान संक्रमण अवधि के लिए किया जाना है - जुलाई 2017 से जून 2022 तक.

वित्त सचिव का कहना है कि सेस फंड से मिलने वाली क्षतिपूर्ति अंतर को उपकर की धनराशि से लिया जाना चाहिए.

अटॉर्नी जनरल का स्पष्ट मत था कि क्षतिपूर्ति अंतर भारत के समेकित कोष से पूरा नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने सुझाव दिया कि क्षतिपूर्ति उपकर को 5 साल से अधिक बढ़ाया जा सकता है.

Last Updated : Aug 27, 2020, 7:01 PM IST
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