मुंबई: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के 20 फीसदी कर्जदारों ने ही कर्ज की किस्तें चुकाने में दी गई छूट का लाभ उठाया. एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर बैंकों से कर्ज ले रखे लोगों को राहत देते हुये उन्हें तीन महीने के लिये कर्ज किस्तें चुकाने से छूट देने की घोषणा की थी. यह छूट एक मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक के लिये दी गई थी. रिजर्व बैंक ने अब शुक्रवार को इसे तीन महीने और बढ़ा कर 31 अगस्त 2020 तक कर दिया है.
कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, "एसबीआई के मामले में इनका (किस्त से राहत विकल्प चुनने वालों का) प्रतिशत बहुत छोटा है."
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने छूट का विकल्प चुना है, उनमें सभी तरलता के संकट का सामना नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "उनमें से कई अपने ऋण की किस्तें चुका सकते थे, लेकिन उन्होंने रणनीति के अनुसार छूट का लाभ उठाना तय किया. वे अपनी नकदी को बचाकर रखना चाहते हैं, इसीलिये उन्होंने किस्तें चुकाने से छूट का विकल्प चुना."
कुमार ने कर्जदाताओं को सलाह दिया कि यदि वे नकदी की कमी से नहीं जूझ रहे हैं तो कर्ज की किस्तें चुकाते रहें.
उन्होंने कहा, "यदि आप ईएमआई (कर्ज की किस्तें) चुकाने में सक्षम हैं, तो भुगतान करते रहें. यदि भुगतान करने में असमर्थ हैं, तभी कर्ज की किस्तों से छूट का लाभ उठाना चाहिये."
उन्होंने कहा कि कर्ज की किस्तें चुकाने से राहत की अवधि का विस्तार उद्योग के लिये मददगार होगा. इसके अलावा, इस कदम के कारण आरबीआई को फंसे कर्ज खातों का एक बार पुनर्गठन करने की तत्काल आवश्यकता नहीं होगी.
उन्होंने कहा, "फिलहाल, कर्ज की किस्तें चुकाने में राहत का समय बढ़ाने से नकदी के प्रवाह में व्यवधान से संबंधित स्थिति को नियंत्रण में रखा जायेगा. जब हमारे पास 31 अगस्त तक का समय होगा, ऐसे में मैं एक बारगी ऋण पुनर्गठन को अधिक तवज्जो नहीं दूंगा."
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हालांकि, कुमार ने कहा कि आरबीआई के सात जून के परिपत्र के अनुसार, यदि आवश्यक हो, तो अभी भी बैंक फंसे कर्ज के खातों का पुनर्गठन करने का विकल्प चुन सकते हैं.
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को मोहलत देने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि यह विशिष्ट मामलों के आधार पर दिया जायेगा.
उन्होंने कहा, "मामला दर मामला आधार पर फैसला करेंगे. हमें उनके (एनबीएफसी/एचएफसी) नकदी प्रवाह को देखना होगा और निर्णय लेना होगा"
(पीटीआई-भाषा)