नई दिल्ली: संकटग्रस्त येस बैंक ने सात निजी बैंकों को 1,000 करोड़ इक्विटी शेयर और भारतीय स्टेट बैंक को 10,000 करोड़ रुपये के कुल ऋण के लिए आवंटित किया है.
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक 250 करोड़ रुपये के निवेश के साथ एसबीआई के नेतृत्व वाली बचाव दल में प्रवेश करने वाला नवीनतम बैंक है. निजी बैंकों द्वारा निवेश अब तक 3,950 करोड़ रुपये हो गया है.
विनियामक फाइलिंग में येस बैंक ने कहा कि "395,00,00,000 इक्विटी शेयर जारी किए गए हैं और (निजी) निवेशकों को 39,50,00,00,000 रुपये की कुल सदस्यता पर विचार के लिए आवंटित किया गया है. जिसकी कीमत 10 रुपये प्रति इक्विटी शेयर जिसमें 2 अंकित मूल्य और 8 प्रीमियम शामिल हैं."
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इसके अलावा, एसबीआई जो कैश-स्टैप्ड ऋणदाता में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है, उसे 6,050 करोड़ रुपये में 605 करोड़ शेयर आवंटित किए गए हैं. यस बैंक के लिए रिज़र्व बैंक-प्रस्तावित पुनर्निर्माण योजना के तहत, एसबीआई 14 मार्च से तीन साल पूरे होने से पहले अपनी हिस्सेदारी 26 प्रतिशत से कम नहीं करेगा.
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने रविवार को कहा कि वह संकट में फंसे यस बैंक में 250 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश करेगा. इस निवेश से बैंक को यस बैंक के 25 करोड़ शेयर मिलेंगे.
बैंक ने बंबई शेयर बाजार (बीएसई) को दी सूचना में कहा, "आईडीएफसी फर्स्ट के निदेशक मंडल की अधिकृत समिति ने 14 मार्च 2020 को हुई बैठक में यस बैंक में 250 करोड़ रुपये तक निवेश करने की अनुमति दे दी. यस बैंक के प्रस्तावित पुनर्गठन योजना के तहत इस निवेश से 10-10 रुपये के 25 करोड़ शेयर मिलेंगे जिनका अंकित मूल्य 2 रुपये है."
इससे पहले, शनिवार को फेडरल बैंक ने यस बैंक में 300 करोड़ रुपये निवेश की प्रतिबद्धता जतायी थी. केंद्र सरकार ने शनिवार को यस बैंक लि. पुनर्गठन योजना 2020 को मंजूरी दे दी.
इससे एक दिन पहले शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आरबीआई द्वारा प्रस्तावित पुनर्गठन योजना को मंजूरी दे दी. पुनर्गठन योजना के तहत यस बैंक पर लगी रोक 18 मार्च को हट जाएगी.
योजना के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआई संकट में फंसे बैंक में 7,250 करोड़ रुपये निवेश करेगा और 49 प्रतिशत हिस्सेदारी लेगा. इसके अलावा आईसीआईसीआई बैंक (1,000 करोड़ रुपये), एचडीएफसी (1,000 करोड़ रुपये), एक्सिस बैंक (600 करोड़ रुपये), कोटक महिंद्रा बैंक (500 करोड़ रुपये), बंधन बैंक (300 करोड़ रुपये), आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (250 करोड़ रुपये) और फेडरल बैंक (300 करोड़ रुपये) ने भी निवेश की घोषणा की है.
यस बैंक ने कहा, 2020-21 में कायम रहेगी डूबे कर्ज की समस्या
संकट में फंसे निजी क्षेत्र के यस बैंक का मानना है कि अगले वित्त वर्ष 2020-21 में भी उसकी गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या कायम रहेगी.
हालांकि, बैंक के नामित मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रशांत कुमार को भरोसा है कि 10,000 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश के बाद बैंक फिर से खड़ा हो सकेगा. डूबे कर्ज के दबाव की वजह से यस बैंक को चालू वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तीसरी तिमाही में 18,654 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.
यह निजी क्षेत्र के किसी बैंक का अब तक का सबसे ऊंचा घाटा है. बैंक से पिछले छह माह के दौरान 72,000 करोड़ रुपये की निकासी हुई और यह आंकड़ा 1.37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
(पीटीआई-भाषा)