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ई-कॉमर्स क्षेत्र में शीर्ष पर जाने का रिलायंस का लक्ष्य

पिछले साल नवंबर में मेक इन ओडिशा सम्मेलन में रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा था कि रिलायंस दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन न्यू कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने पर विचार कर रही है.

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Published : May 3, 2019, 7:47 PM IST

नई दिल्ली : जब पेटीएम मॉल का आगाज हुआ था तो उसे अपने निवेशक अलीबाबा से संकेत मिला था और उसका मकसद सबके लिए एक डिजिटल दुनिया बनना था. आरंभिक पेशकश के रूप में कंपनी ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कैशबैक देना शुरू किया.

काउंटर प्वाइंट रिसर्च में डिवाइस व इकोसिस्टम मामलों के सीनियर एनालिस्ट पावेल नैया ने कहा कि यह अल्पावधि की रणनीति थी, लेकिन भारत जैसे कीमतों को लेकर संवेदनशील बाजार में इससे लंबी अवधि में लाभ कमाना मुश्किल काम था, क्योंकि लाभ कई कारकों पर निर्भर करता है. मसलन, सेवा प्रदान करना, विशेष पेशकश देना और अतिरिक्त उत्पाद का बंडल बनाना आदि.

नैया ने कहा, "जैसे ही कैशबैक गायब हुआ, ग्राहक भी गायब हो गए."

कम मार्जिन और ई-कॉमर्श में बड़ी नकदी के संकट से जूझ रही पेटीएम मॉल ने छोटे विक्रेताओं के लिए ऑनलाइन से ऑफलाइन (ओ-टू-ओ) मंच बनने के लिए अपनी रणनीति बदलना शुरू कर दिया.

उधर, इस क्षेत्र में रिलायंस के उरतने की घोषणा वास्तव में पेटीएम और उसके मालिकों के लिए चिंता का सबब बन गई.

पिछले साल नवंबर में मेक इन ओडिशा सम्मेलन में रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, "रिलायंस दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन न्यू कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने पर विचार कर रही है."

ये भी पढ़ें : अमेजन का ग्रीष्मकालीन सेल शुक्रवार मध्यरात्रि से

रिलायंस रिटेल के पूरे भारत में 10,000 आउटलेट हैं जिसका रिलायंस को अवश्य लाभ मिलेगा और यह रिटेल क्षेत्र की अन्य कंपनियों के लिए चिंता का सबब होगी.

फोरेस्टर रिसर्च के सीनियर एनालिस्ट सतीश मीना ने आईएएनएस को बताया, "रिलायंस के पास पूंजी, असीमित क्षमता, व्यापक रिटेल आउटलेट, और संसाधन हैं, जिससे वह प्रतिस्पर्धा को ही समाप्त कर सकती है. मुकेश अंबानी का मकसद देश में रिटेल क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल करना है और वह यह काम उसी तरह आसानी से कर सकते हैं जिस तरह उन्होंने रिलायंस जियो के लिए किया."

एक बात जो हमेशा रिलायंस के पक्ष में रही है वह उसकी छूट की रणनीति है और यह उनके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के मामले में भी अहम कारक होगी.

मीना ने कहा, "पेटीएम गलत मॉडल के कारण लड़खड़ा गई. आगे उसके लिए काफी मुश्किल दौर है क्योंकि चीन की तरह भारत को अभी ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन बाजार का तजुर्बा नहीं हुआ है."

साइबर मीडिया रिसर्च के प्रमुख व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट थॉमस जॉर्ज ने एक कदम आगे बढ़कर कहा, "मुझे इस बात में कोई हैरानी नहीं होगी कि भारत में ई-कॉमर्स बाजार में अवसर बनाए रखने के लिए रिलायंस या अलीबाबा का लक्ष्य पेटीएम का अधिग्रहण करना होगा."

अलीबाबा ने कभी भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में लंबी अवधि की संवृद्धि नहीं देखी इसलिए उन्होंने पैर पसारते डिजिटल भुगतान पर अपना दाव खेला.

गूगल और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अनुसार, भारत का डिजिटल भुगतान क्षेत्र 2020 तक 500 अरब डॉलर का हो जाएगा.

पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने ऐसा नहीं सोचा, जिसका नतीजा सामने है.

मीना ने कहा, "रिलायंस, अमेजन और वालमार्ट-फ्लिपकार्ट को पीछे छोड़ शीर्ष स्थान पर जाने की जुगत में है. उसके मुकाबले में पेटीएम मॉल एक छोटा-सा प्रतियोगी है."

नई दिल्ली : जब पेटीएम मॉल का आगाज हुआ था तो उसे अपने निवेशक अलीबाबा से संकेत मिला था और उसका मकसद सबके लिए एक डिजिटल दुनिया बनना था. आरंभिक पेशकश के रूप में कंपनी ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कैशबैक देना शुरू किया.

काउंटर प्वाइंट रिसर्च में डिवाइस व इकोसिस्टम मामलों के सीनियर एनालिस्ट पावेल नैया ने कहा कि यह अल्पावधि की रणनीति थी, लेकिन भारत जैसे कीमतों को लेकर संवेदनशील बाजार में इससे लंबी अवधि में लाभ कमाना मुश्किल काम था, क्योंकि लाभ कई कारकों पर निर्भर करता है. मसलन, सेवा प्रदान करना, विशेष पेशकश देना और अतिरिक्त उत्पाद का बंडल बनाना आदि.

नैया ने कहा, "जैसे ही कैशबैक गायब हुआ, ग्राहक भी गायब हो गए."

कम मार्जिन और ई-कॉमर्श में बड़ी नकदी के संकट से जूझ रही पेटीएम मॉल ने छोटे विक्रेताओं के लिए ऑनलाइन से ऑफलाइन (ओ-टू-ओ) मंच बनने के लिए अपनी रणनीति बदलना शुरू कर दिया.

उधर, इस क्षेत्र में रिलायंस के उरतने की घोषणा वास्तव में पेटीएम और उसके मालिकों के लिए चिंता का सबब बन गई.

पिछले साल नवंबर में मेक इन ओडिशा सम्मेलन में रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, "रिलायंस दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन न्यू कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने पर विचार कर रही है."

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रिलायंस रिटेल के पूरे भारत में 10,000 आउटलेट हैं जिसका रिलायंस को अवश्य लाभ मिलेगा और यह रिटेल क्षेत्र की अन्य कंपनियों के लिए चिंता का सबब होगी.

फोरेस्टर रिसर्च के सीनियर एनालिस्ट सतीश मीना ने आईएएनएस को बताया, "रिलायंस के पास पूंजी, असीमित क्षमता, व्यापक रिटेल आउटलेट, और संसाधन हैं, जिससे वह प्रतिस्पर्धा को ही समाप्त कर सकती है. मुकेश अंबानी का मकसद देश में रिटेल क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल करना है और वह यह काम उसी तरह आसानी से कर सकते हैं जिस तरह उन्होंने रिलायंस जियो के लिए किया."

एक बात जो हमेशा रिलायंस के पक्ष में रही है वह उसकी छूट की रणनीति है और यह उनके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के मामले में भी अहम कारक होगी.

मीना ने कहा, "पेटीएम गलत मॉडल के कारण लड़खड़ा गई. आगे उसके लिए काफी मुश्किल दौर है क्योंकि चीन की तरह भारत को अभी ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन बाजार का तजुर्बा नहीं हुआ है."

साइबर मीडिया रिसर्च के प्रमुख व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट थॉमस जॉर्ज ने एक कदम आगे बढ़कर कहा, "मुझे इस बात में कोई हैरानी नहीं होगी कि भारत में ई-कॉमर्स बाजार में अवसर बनाए रखने के लिए रिलायंस या अलीबाबा का लक्ष्य पेटीएम का अधिग्रहण करना होगा."

अलीबाबा ने कभी भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में लंबी अवधि की संवृद्धि नहीं देखी इसलिए उन्होंने पैर पसारते डिजिटल भुगतान पर अपना दाव खेला.

गूगल और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अनुसार, भारत का डिजिटल भुगतान क्षेत्र 2020 तक 500 अरब डॉलर का हो जाएगा.

पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने ऐसा नहीं सोचा, जिसका नतीजा सामने है.

मीना ने कहा, "रिलायंस, अमेजन और वालमार्ट-फ्लिपकार्ट को पीछे छोड़ शीर्ष स्थान पर जाने की जुगत में है. उसके मुकाबले में पेटीएम मॉल एक छोटा-सा प्रतियोगी है."

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नई दिल्ली : जब पेटीएम मॉल का आगाज हुआ था तो उसे अपने निवेशक अलीबाबा से संकेत मिला था और उसका मकसद सबके लिए एक डिजिटल दुनिया बनना था. आरंभिक पेशकश के रूप में कंपनी ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कैशबैक देना शुरू किया.

काउंटर प्वाइंट रिसर्च में डिवाइस व इकोसिस्टम मामलों के सीनियर एनालिस्ट पावेल नैया ने कहा कि यह अल्पावधि की रणनीति थी, लेकिन भारत जैसे कीमतों को लेकर संवेदनशील बाजार में इससे लंबी अवधि में लाभ कमाना मुश्किल काम था, क्योंकि लाभ कई कारकों पर निर्भर करता है. मसलन, सेवा प्रदान करना, विशेष पेशकश देना और अतिरिक्त उत्पाद का बंडल बनाना आदि.

नैया ने कहा, "जैसे ही कैशबैक गायब हुआ, ग्राहक भी गायब हो गए."

कम मार्जिन और ई-कॉमर्श में बड़ी नकदी के संकट से जूझ रही पेटीएम मॉल ने छोटे विक्रेताओं के लिए ऑनलाइन से ऑफलाइन (ओ-टू-ओ) मंच बनने के लिए अपनी रणनीति बदलना शुरू कर दिया.

उधर, इस क्षेत्र में रिलायंस के उरतने की घोषणा वास्तव में पेटीएम और उसके मालिकों के लिए चिंता का सबब बन गई.

पिछले साल नवंबर में मेक इन ओडिशा सम्मेलन में रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, "रिलायंस दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन न्यू कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने पर विचार कर रही है."



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फोरेस्टर रिसर्च के सीनियर एनालिस्ट सतीश मीना ने आईएएनएस को बताया, "रिलायंस के पास पूंजी, असीमित क्षमता, व्यापक रिटेल आउटलेट, और संसाधन हैं, जिससे वह प्रतिस्पर्धा को ही समाप्त कर सकती है. मुकेश अंबानी का मकसद देश में रिटेल क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल करना है और वह यह काम उसी तरह आसानी से कर सकते हैं जिस तरह उन्होंने रिलायंस जियो के लिए किया."

एक बात जो हमेशा रिलायंस के पक्ष में रही है वह उसकी छूट की रणनीति है और यह उनके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के मामले में भी अहम कारक होगी.

मीना ने कहा, "पेटीएम गलत मॉडल के कारण लड़खड़ा गई. आगे उसके लिए काफी मुश्किल दौर है क्योंकि चीन की तरह भारत को अभी ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन बाजार का तजुर्बा नहीं हुआ है."

साइबर मीडिया रिसर्च के प्रमुख व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट थॉमस जॉर्ज ने एक कदम आगे बढ़कर कहा, "मुझे इस बात में कोई हैरानी नहीं होगी कि भारत में ई-कॉमर्स बाजार में अवसर बनाए रखने के लिए रिलायंस या अलीबाबा का लक्ष्य पेटीएम का अधिग्रहण करना होगा."

अलीबाबा ने कभी भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में लंबी अवधि की संवृद्धि नहीं देखी इसलिए उन्होंने पैर पसारते डिजिटल भुगतान पर अपना दाव खेला.

गूगल और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के अनुसार, भारत का डिजिटल भुगतान क्षेत्र 2020 तक 500 अरब डॉलर का हो जाएगा.

पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने ऐसा नहीं सोचा, जिसका नतीजा सामने है.

मीना ने कहा, "रिलायंस, अमेजन और वालमार्ट-फ्लिपकार्ट को पीछे छोड़ शीर्ष स्थान पर जाने की जुगत में है. उसके मुकाबले में पेटीएम मॉल एक छोटा-सा प्रतियोगी है."


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