मुंबई: अनिल अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड ने गुरुवार को ऑडिट कंपनी प्राइस वाटरहाउस एंड कंपनी (पीडब्ल्यूसी) की टिप्पणियों को निराधार व अनुचित बताया.
कंपनी ने एक बयान में कहा, "पीडब्ल्यूसी ने ऑडिट कमेटी के साथ वैधानिक परिचर्चा किए बगैर अपरिपक्वतापूर्ण कार्य किया है."
कंपनी के अनुसार, ऑडिट कमेटी द्वारा उसके लेखा परीक्षक पाठक एच. डी. एंड एसोसिएट्स को पीडब्ल्यूसी की टिप्पणियों पर स्वतंत्र रूप से अपनी रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर सौंपने को कहा गया है.
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कंपनी ने कहा कि उसे भरोसा है कि मौजूदा परीक्षक की स्वतंत्र रिपोर्ट से यह साबित हो जाएगा कि अनियमितताएं नहीं हुई हैं.
पीडब्ल्यूसी रिलायंस कैपिटल के वैधानिक लेखापरीक्षकों में से एक है, जिसने मंगलवार को बतौर लेखापरीक्षक इस्तीफा दे दिया.
पीडब्ल्यूसी द्वारा लगाए गए फंड की हेराफेरी के आरोपों का खंडन करते हुए रिलायंस कैपिटल ने कहा, "हेराफेरी का कोई सवाल नहीं है. पीडब्ल्यूसी के लेखा परीक्षण की अवधि में किसी कर्जदाता द्वारा प्रदत्त कर्ज या तरलता शून्य है. रिलायंस कैपिटल बतौर कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (सीआईसी) कानून सिर्फ समूह की कंपनियों को ही धन दे सकती है."
कंपनी ने कहा कि पिछले 14 महीनों में समूह के 35,000 करोड़ रुपये के कर्ज में मदद करने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया गया है.
रिलायंस कैपिटल ने पीडब्ल्यूसी के इस्तीके के कारण के संबंध में मंगलवार को नियामकीय फाइलिंग में कहा, "पीडब्ल्यूसी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जारी लखा परीक्षा के हिस्से के रूप उसे अपने आकलन में जो लेन-देन व टिप्पणियां देखने को मिली हैं, वह संतोषप्रद नहीं हो सकता है. उसने कहा कि उसे अपने सवालों का संतोषप्रद जवाब नहीं मिला."
रिलायंस कैपिटल ने कहा, "कंपनी ने कहा कि वह फर्म के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकती है."