मुंबई: उच्चतम न्यायालय के आधार पर फैसले के बाद दिक्कतों का सामना कर रहा भुगतान सेवा उद्योग चाहता है कि भारतीय रिजर्व बैंक उन्हें ग्राहक को जानो (केवाईसी) नियम के अनुपालन के लिये चेहरे की पहचान आधारित सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की अनुमति दे.
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि वित्तीय/बैंकिंग लेनदेन के लिए आधार को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है. पिछले साल आए शीर्ष न्यायालय के फैसले ने इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सेवा कंपनियों को ग्राहक सेवा सत्यापन के लिए आधार आंकड़ों का इस्तेमाल करने से रोक दिया था.
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उल्लेखनीय है कि वित्तीय क्षेत्र ग्राहकों द्वारा दी गई जानकारी की जांच करने और सामान्य केवाईसी नियमों को पूरा करने के लिए दुनिया में कहीं भी चेहरा पहचान की तकनीकों का उपयोग नहीं करता है. पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के चेयरमैन नवीन सूर्या ने यहां बुधवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि पीसीआई ने एक मॉडल का प्रस्ताव दिया है, जिसमें संभावित ग्राहक अपने दस्तावेज की तस्वीर अपलोड कर सकता है और उसके बाद खुद कैमरे के सामने बैठना होगा.
उन्होंने कहा कि एल्गोरिथम पहले अपलोड किए गए दस्तावेज की प्रमाणिकता की जांच करेगा और फिर दस्तेवाज में लगी फोटो का मिलान कैमरे के सामने बैठे शख्स से करेगा. यह केवाईसी जरूरतों को पूरा करेगा. सूर्या ने दावा किया कि एल्गोरिथम इस काम को अंजाम दे सकता है लेकिन आरबीआई इस प्रस्ताव पर पूरी तरह से सहमत नहीं है. मेरा मानना है कि उसे प्रस्ताव को स्वीकार करने में छह महीने तक लग सकते हैं. उन्होंने जोर दिया कि आधार पर आए फैसले के इर्द-गिर्द काम करने के कुछ विकल्प तलाशना आवश्यक है.
सूर्या ने केवाईसी नियमों का पालन करने के लिए प्रीपेड भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए समय-सीमा को छह माह बढ़ाने के कदम का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि पुराने नियमों को जोखिम आधारित प्रणाली में बदलने की जरूरत है.
(भाषा)