नई दिल्ली: सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की नुमालीगढ़ रिफाइनरी में 61 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीद सकती है.
बता दें कि कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनोमिक अफेयर्स ने सबसे बड़े निजीकरण के फैसले को मंजूरी देते हुए बुधवार को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) समेत 5 सरकारी कंपनियों में विनिवेश को मंजूरी दी थी. सरकार ने स्पष्ट किया था की बीपीसीएल की नुमालीगढ़ रिफाइनरी सरकार के पास रहेगी.
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सरकार के फैसले के बाद असम में विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया है और यह मुद्दा एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. एनआरएल 1985 के असम समझौते के अनुसार स्थापित किया गया था. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन जो एकॉर्ड के हस्ताक्षरकर्ता हैं, वह पहले ही एनआरएल में बदलावों का विरोध कर चुकें हैं.
बीपीसीएल के पास वर्तमान में एनआरएल में 61.65 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि ओआईएल के पास 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है. रिफाइनरी में असम सरकार की 12.35 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
एक आधिकारिक स्रोत ने कहा कि ऑयल इंडिया का परिचालन बड़े पैमाने पर पूर्वोत्तर में स्थित है और यह एनआरएल को संभालने के लिए सबसे फिट है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़े शेयरधारक होने के नाते सरकार को ऑयल इंडिया को इसका अधिग्रहण दे देना चाहिए.
एनआरएल 2018-19 में सरकार को सबसे अधिक राजस्व 18,511 करोड़ रुपये दिया था. यह पिछले साल के मुकाबले 16.25 प्रतिशत अधिक थी. वहीं, इसकी प्रति शेयर आय 27.79 रुपये थी, जबकि शुद्ध कमाई 5,551 करोड़ रुपये थी.
बीपीसीएल को खरीद सकती है सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी ऑयल इंडिया - BPCL may buy state-owned oil company Oil India
कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनोमिक अफेयर्स ने सबसे बड़े निजीकरण के फैसले को मंजूरी देते हुए बुधवार को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) समेत 5 सरकारी कंपनियों में विनिवेश को मंजूरी दी थी. सरकार ने स्पष्ट किया था की बीपीसीएल की नुमालीगढ़ रिफाइनरी सरकार के पास रहेगी.
![बीपीसीएल को खरीद सकती है सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी ऑयल इंडिया बीपीसीएल को खरीद सकती है सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी ऑयल इंडिया](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-5180763-thumbnail-3x2-pic.jpg?imwidth=3840)
नई दिल्ली: सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की नुमालीगढ़ रिफाइनरी में 61 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीद सकती है.
बता दें कि कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनोमिक अफेयर्स ने सबसे बड़े निजीकरण के फैसले को मंजूरी देते हुए बुधवार को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) समेत 5 सरकारी कंपनियों में विनिवेश को मंजूरी दी थी. सरकार ने स्पष्ट किया था की बीपीसीएल की नुमालीगढ़ रिफाइनरी सरकार के पास रहेगी.
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सरकार के फैसले के बाद असम में विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया है और यह मुद्दा एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. एनआरएल 1985 के असम समझौते के अनुसार स्थापित किया गया था. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन जो एकॉर्ड के हस्ताक्षरकर्ता हैं, वह पहले ही एनआरएल में बदलावों का विरोध कर चुकें हैं.
बीपीसीएल के पास वर्तमान में एनआरएल में 61.65 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि ओआईएल के पास 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है. रिफाइनरी में असम सरकार की 12.35 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
एक आधिकारिक स्रोत ने कहा कि ऑयल इंडिया का परिचालन बड़े पैमाने पर पूर्वोत्तर में स्थित है और यह एनआरएल को संभालने के लिए सबसे फिट है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़े शेयरधारक होने के नाते सरकार को ऑयल इंडिया को इसका अधिग्रहण दे देना चाहिए.
एनआरएल 2018-19 में सरकार को सबसे अधिक राजस्व 18,511 करोड़ रुपये दिया था. यह पिछले साल के मुकाबले 16.25 प्रतिशत अधिक थी. वहीं, इसकी प्रति शेयर आय 27.79 रुपये थी, जबकि शुद्ध कमाई 5,551 करोड़ रुपये थी.
बीपीसीएल को खरीद सकती है सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी ऑयल इंडिया
नई दिल्ली: सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की नुमालीगढ़ रिफाइनरी में 61 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीद सकती है.
बता दें कि कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनोमिक अफेयर्स ने सबसे बड़े निजीकरण के फैसले को मंजूरी देते हुए बुधवार को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) समेत 5 सरकारी कंपनियों में विनिवेश को मंजूरी दी थी. सरकार ने स्पष्ट किया था की बीपीसीएल की नुमालीगढ़ रिफाइनरी सरकार के पास रहेगी.
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सरकार के फैसले के बाद असम में विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया है और यह मुद्दा एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. एनआरएल 1985 के असम समझौते के अनुसार स्थापित किया गया था. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन जो एकॉर्ड के हस्ताक्षरकर्ता हैं, वह पहले ही एनआरएल में बदलावों का विरोध कर चुकें हैं.
बीपीसीएल के पास वर्तमान में एनआरएल में 61.65 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि ओआईएल के पास 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है. रिफाइनरी में असम सरकार की 12.35 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
एक आधिकारिक स्रोत ने कहा कि ऑयल इंडिया का परिचालन बड़े पैमाने पर पूर्वोत्तर में स्थित है और यह एनआरएल को संभालने के लिए सबसे फिट है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़े शेयरधारक होने के नाते सरकार को ऑयल इंडिया को इसका अधिग्रहण दे देना चाहिए.
एनआरएल 2018-19 में सरकार को सबसे अधिक राजस्व 18,511 करोड़ रुपये दिया था. यह पिछले साल के मुकाबले 16.25 प्रतिशत अधिक थी. वहीं, इसकी प्रति शेयर आय 27.79 रुपये थी, जबकि शुद्ध कमाई 5,551 करोड़ रुपये थी.
Conclusion: