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एल एंड टी ने कार्यबल को जोड़े रखने के लिए प्रयास तेज किए : कंपनी सीईओ

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Published : May 23, 2021, 5:06 PM IST

एल एंड टी ने कहा कि महामारी के दौरान चिकित्सा सुविधाएं और अन्य उपायों के जरिए वह विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहे 2,45,000 श्रमिकों में से करीब 70 प्रतिशत को जोड़े रखने में कामयाब रही है.

एल एंड टी
एल एंड टी

नई दिल्ली : इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने (एल एंड टी) ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के फैलने के बाद से अपने कार्यबल को जोड़े रखने के प्रयास तेज कर दिए हैं.

कंपनी ने कहा कि महामारी के दौरान चिकित्सा सुविधाएं और अन्य उपायों के जरिए वह विभिन्न परियोजनाओं में अनुबंध पर काम कर रहे 2,45,000 श्रमिकों में से करीब 70 प्रतिशत को जोड़े रखने में कामयाब रही है.

कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान भी कंपनी को इसी प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ा था. उस समय महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन से श्रमिक अपने घरों को लौट गए थे.

ये भी पढ़ेंं : एवरेस्ट पर पहुंचा कोरोना वायरस, 100 से अधिक पर्वतारोही संक्रमित

कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक एस एन सुब्रमणियम ने कहा, 'पिछले साल कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान काफी संख्या में श्रमिक अपने गांवों और शहरों को लौट गए थे. हम अपने प्रयासों से उनमें से कइयों को काम पर वापस लाने में सफल रहे.'

मौजूदा स्थिति के बारे में उन्होंने कहा, 'मार्च अंत तक करीब 2,45,000 श्रमिक हमारी विभिन्न परियोजना स्थलों पर काम कर रहे थे. यह संख्या घटकर अब 1,71,000 पर आ गई है. यानी कुछ श्रमिक अपने घरों को चले गए हैं, लेकिन हमने उन्हें यह बताने के लिए वे यहां पूरी तरह सुरक्षित हैं, परियोजना स्थलों के साथ श्रमिकों के रहने वाले स्थानों पर चिकित्सा सुविधा समेत कई कदम उठाए हैं.'

सुब्रमणियम ने कहा कि श्रमिकों को वापस आना चाहिए, क्योंकि इस बार महामारी दूरदराज के क्षेत्रों में फैल रही है और ऐसी जगहों पर चिकित्सा संबंधी ढांचागत सुविधाओं के अभाव में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

उन्होंने कहा कि कई राज्य सरकारें भी लोगों से आग्रह कर रही हैं कि वे जहां हैं, वहीं रहें, क्योंकि लोगों की आवाजाही से संक्रमण बढ़ने का जोखिम है.

एल एंड टी के प्रबंध निदेशक ने कहा कि महामारी की रोकथाम के लिए विभिन्न राज्यों खासकर पश्चिमी और दक्षिण राज्यों में 'लॉकडाउन' के दौरान लोगों की आवाजाही पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए गए. इससे भी लोगों के एक जगह से दूसरी जगह जाने पर लगाम लगा है.

उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारों के इन उपायों से श्रमिकों को उसी स्थान पर रखने में मदद मिली है, जहां वे रह रहे हैं. सुब्रमणियम ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि अगर मामले कम होते हैं, हम कर्मचारियों को जोड़े रखने और आगे बढ़ने में कामयाब होंगे.'

ये भी पढ़ेंं : भारत को कोविड-19 संकट से सीख लेने की जरूरत है : चेतन भगत

एल एंड टी ने कहा कि मार्च 2021 की स्थिति के अनुसार हमारी विभिन्न परियोजनाओं में अनुबंध पर 2,45,000 श्रमिक कार्य कर रहे थे. कंपनी शिविरों में चिकित्सा सुविधाओं और साफ-सफाई की व्यवसथा कर, फिलहाल करीब 70 प्रतिशत कामगारों को जोड़े रखने में कामयाब रही है.

इसके अलावा जो लोग काम छोड़कर अपने गांव और शहर चले गये हैं, उन्हें फिर से नियुक्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

नई दिल्ली : इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने (एल एंड टी) ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के फैलने के बाद से अपने कार्यबल को जोड़े रखने के प्रयास तेज कर दिए हैं.

कंपनी ने कहा कि महामारी के दौरान चिकित्सा सुविधाएं और अन्य उपायों के जरिए वह विभिन्न परियोजनाओं में अनुबंध पर काम कर रहे 2,45,000 श्रमिकों में से करीब 70 प्रतिशत को जोड़े रखने में कामयाब रही है.

कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान भी कंपनी को इसी प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ा था. उस समय महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन से श्रमिक अपने घरों को लौट गए थे.

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कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक एस एन सुब्रमणियम ने कहा, 'पिछले साल कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान काफी संख्या में श्रमिक अपने गांवों और शहरों को लौट गए थे. हम अपने प्रयासों से उनमें से कइयों को काम पर वापस लाने में सफल रहे.'

मौजूदा स्थिति के बारे में उन्होंने कहा, 'मार्च अंत तक करीब 2,45,000 श्रमिक हमारी विभिन्न परियोजना स्थलों पर काम कर रहे थे. यह संख्या घटकर अब 1,71,000 पर आ गई है. यानी कुछ श्रमिक अपने घरों को चले गए हैं, लेकिन हमने उन्हें यह बताने के लिए वे यहां पूरी तरह सुरक्षित हैं, परियोजना स्थलों के साथ श्रमिकों के रहने वाले स्थानों पर चिकित्सा सुविधा समेत कई कदम उठाए हैं.'

सुब्रमणियम ने कहा कि श्रमिकों को वापस आना चाहिए, क्योंकि इस बार महामारी दूरदराज के क्षेत्रों में फैल रही है और ऐसी जगहों पर चिकित्सा संबंधी ढांचागत सुविधाओं के अभाव में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

उन्होंने कहा कि कई राज्य सरकारें भी लोगों से आग्रह कर रही हैं कि वे जहां हैं, वहीं रहें, क्योंकि लोगों की आवाजाही से संक्रमण बढ़ने का जोखिम है.

एल एंड टी के प्रबंध निदेशक ने कहा कि महामारी की रोकथाम के लिए विभिन्न राज्यों खासकर पश्चिमी और दक्षिण राज्यों में 'लॉकडाउन' के दौरान लोगों की आवाजाही पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए गए. इससे भी लोगों के एक जगह से दूसरी जगह जाने पर लगाम लगा है.

उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारों के इन उपायों से श्रमिकों को उसी स्थान पर रखने में मदद मिली है, जहां वे रह रहे हैं. सुब्रमणियम ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि अगर मामले कम होते हैं, हम कर्मचारियों को जोड़े रखने और आगे बढ़ने में कामयाब होंगे.'

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एल एंड टी ने कहा कि मार्च 2021 की स्थिति के अनुसार हमारी विभिन्न परियोजनाओं में अनुबंध पर 2,45,000 श्रमिक कार्य कर रहे थे. कंपनी शिविरों में चिकित्सा सुविधाओं और साफ-सफाई की व्यवसथा कर, फिलहाल करीब 70 प्रतिशत कामगारों को जोड़े रखने में कामयाब रही है.

इसके अलावा जो लोग काम छोड़कर अपने गांव और शहर चले गये हैं, उन्हें फिर से नियुक्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

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